मकर संक्रान्ति: पतंग का मजा और पक्षियों को सजा
प्रति वर्ष 14 जनवरी के दिन मकर संक्रान्ति का त्यौहार हर्षों – उल्लास के साथ मनाया जाता है। मकर संक्रान्ति को पतंगों का त्यौहार भी कहा जाता है। सभी अपने – अपने घरों की छतों पर पतंग उड़ाने के साथ तिल के व्यंजनों का मजा लेते हुए दिखाई देते हैं। इस दिन आसमान में चारों तरफ उड़ती रंग बिरंगी पतंगें आकर्षण का केन्द्र होती है। लेकिन इस पतंगबाजी से बेजुबान पक्षियों को भारी नुकसान उठाना पड़ता है। दरअसल, पतंग की डोर में उलझकर हर साल कई पक्षियों की मौत हो जाती है। पतंग उड़ाने के लिए जिस मांझें का इस्तेमाल किया जाता है, वों पक्षियों के लिए बेहद खतरनाक होता है। इससे कई बार पक्षियों के पंख तक कट जाते है। इसलिए पतंग उड़ाने के लिए सुरक्षित मांझें का इस्तेमाल सभी को करना चाहिए।
यह साल पक्षियों के लिए शामत लेकर आया है। दरअसल, बर्ड फ्लू नामक बीमारी ने भारत में दोबारा दस्तक दे दी है। देश के अनेक राज्यों में हर दिन हजारों की संख्या में पक्षियों की मृत्यु हो रही है। बर्ड फ्लू का खतरा पक्षियों तक ही सीमित नही है, बल्कि इंसानों के लिए भी खतरनाक साबित हो सकता है। यही वजह है कि राज्य सरकारों ने एहतियातन मीट की दुकानों को बंद करा दिया है। हांलाकि, अच्छी खबर यह है कि भारत में अभी तक किसी भी व्यक्ति की मृत्यु बर्ड फ्लू से नही हुई है। लेकिन कोरोना महामारी के साथ बर्ड फ्लू की आपदा ने सभी को परेशान कर दिया है।
देश में पहली बार साल 2006 में महाराष्ट्र के 28 स्थानों और गुजरात के एक स्थान पर यह बीमारी फैली थी। इस दौरान करीब 10 लाख पक्षियों को मारा दिया गया था ताकि संक्रमण नही फैले और लगभग 2.7 करोड़ रुपए का मुआवजा भी दिया गया था। देश में अब तक 49 बार अनेक राज्यों में यह बीमारी फैली है और लाखों पक्षियों को मारा गया है। कृषि मंत्रालय ने 6 जून 2017 में एवियन इंफ्लूएन्जा एच5 एन8 और एच5 एन1 से मुक्त घोषित कर दिया था। लेकिन, लगातार हो रही पक्षियों की मृत्यु यह संकेत दे रही हैं कि बर्ड फ्लू दोबारा पैर पसारने लगा है।
एवियन इन्फ्लूएंजा वायरस एच 5 एन 1 को बर्ड फ्लू का सबसे बड़ा कारण माना जाता हैं। यह वायरस पक्षियों के साथ ही इंसानो के लिए भी खतरनाक होता हैं। इंसानो में इसके लक्षण बेहद सामान्य होते हैं जैसे सर्दी, जुकाम, सांस लेने में तकलीफ और बार – बार उल्टी आना। यही कारण है कि कई लोग इसके शिकार होते हैं, लेकिन उन्हें अहसास नही होता हैं। इस तरह के लक्षण किसी भी व्यक्ति को हो तो तुरन्त नजदीकी अस्पताल या फिर डॉक्टर से संपर्क करें, ताकि एवियन इन्फ्लूएंजा वायरस के फैलाव को रोका जा सकें।
गौरतलब है कि वायुयानों से टकराने और मोबाइल टावरों से निकलने वाली रेडिएशन से हर साल सैकड़ों की संख्या में पक्षियों की मृत्यु हो जाती है। साथ ही अंधाधुंध पेड़ों की कटाई, मिट्टी के स्थान पर बनते पक्के मकान पक्षियों के लिए मौत का कारण बन रहे है।
पक्षियों को बचाने के लिए पक्षी विशेषज्ञों की राय है कि सुबह छह बजे से आठ बजे तक पक्षी दाने की खोज में निकलते हैं और वे शाम पांच बजे से सात बजे तक वापस घोंसले में लौटते हैं। इन चार घंटों के दौरान पतंगबाजी नही की जाए, तो अधिकतर पक्षियों की जांने बचाई जा सकती है। यह पहल खुद करें, अपने परिजनों को समझाएं और परिचितों तक ये संदेश पहुंचाएं।