उत्तर प्रदेश में 69 हजार सहायक शिक्षक भर्ती में धांधली का मामला उलझता जा रहा है। पहले तीन आईपीएस अफसरों की जाँच, फिर यूपी एसटीएफ को जाँच। अब खुद मुख्यमन्त्री का सीधे दखल। डेडिकेटेड टीम का गठन। माध्यमिक, उच्च, बेसिक शिक्षा, समाज कल्याण तथा कस्तूरबा गाँधी विद्यालयों में नियुक्त शिक्षकों के भर्ती दस्तावेजों की जाँच ने मामले को बेहद गम्भीर कर दिया है। मुख्यमन्त्री योगी आदित्यनाथ ने अफसरों को बुलाकर कड़े शब्दों में कहा कि भर्ती में धांधली करने और गलत तरीके से भर्ती होने वाले किसी भी हालत में बचने न पाएँ। अफसरों की भी भूमिका की बाकायदे जाँच करें।
प्रयागराज में सरगना समेत आठ लोगों की गिरफ्तारी के बाद बेहद चैंकाने वाले तथ्य सामने आए। पता चला, पिछले कई साल से यह अन्तर प्रान्तीय गिरोह प्रभावी रहा। कई बड़े अफसरों, सफेदपोश और शिक्षा विभाग के माफिया भी संदेह के लपेटे में हैं। इसे व्यापम घोटाले की संज्ञा दी जाने लगी है। कांग्रेस महासचिव प्रियंका गाँधी ने बड़ा मामला बताते हुए योगी सरकार को चेतावनी दी कि कारगर तरीके से मामले का पर्दाफाश न किए होने पर आन्दोलन करेंगी। बसपा सुप्रीमो व पूर्व मुख्यमन्त्री मायावती ने भी मामले को गम्भीर बताकर जाँच की माँग की।
गौरतलब है कि प्रतापगढ़ के लालगंज क्षेत्र के बहुचरा निवासी राहुल सिंह ने 4 जून को एसएसपी प्रयागराज से शिकायत किया कि शिक्षा विभाग में नौकरी दिलाने का झाँसा देकर कुछ लोगों ने कई युवकों से लाखों रूपए की ठगी की है। एसएसपी ने सोरांव थाने में एफआईआर कराके दो आईपीएस अफसरों के साथ मामले की जाँच शुरू कर दी। कॉलेज प्रबन्धक केएल पटेल (डॉ. कृष्ण लाल पटेल) समेत आठ लोगों को गिरफ्तार कर उनके पास से साढ़े सात लाख रूपए, दो कार, कृषि विभाग के नियुक्तिपत्र, कई अभ्यर्थियों की मार्कशीट समेत अन्य कई महत्वपूर्ण दस्तावेज बरामद होने का दावा पुलिस ने किया। एक डायरी मिली, जिसमें भर्ती से जुड़े कई अभ्यथिर्यों के नाम और अन्य विवरण दर्ज हैं। पुलिस ने केएल पटेल (डॉ. कृष्ण लाल पटेल) को गिरोह का सरगना बताया। डॉ. पटेल के पास चार कॉलेज हैं। पूर्व में वह जिलापंचायत सदस्य भी रह चुका है। पकड़े गये लोगों में भदोही जिले के कोईराना क्षेत्र के बारीपुर गाँव का प्रधान श्रवण दुबे, उसका भाई रूद्रपति, शशिप्रकाश सरोज, हरिकृष्ण सरोज, कमल पटेल, रंजीत, आलोक उर्फ धर्मेंद्र सरोज शामिल रहे। भदोही जिले का ग्रामप्रधान श्रवण दुबे का एक और भाई मायापति फरार बताया जा रहा है। गिरफ्तार आलोक उर्फ धर्मेंद्र सरोज मीरजापुर का रहने वाला है। प्रयागराज, भदोही और मीरजापुर जिले के शामिल लोगों का यह गिरोह काफी शातिर बताया जा रहा है। जाँच की अगुवाई कर रहे प्रयागराज के एसएसपी सत्यार्थ अनिरूद्ध पंकज का इस बीच तबादला भी हो गया।
सूत्रों का दावा है कि गिरोह का नेटवर्क कई जिलों में फैला है। सरकारी नौकरी की भर्तियों में यह गिरोह लाखों रूपए ठगकर लोगों को चूना लगाया करता। गिरोह के गुर्गे कई जिलों में जाल-बट्टा फैलाए हैं। कंडीडेट फंसाकर गिरोह से सम्पर्क कराने के एवज में उनको डेढ़ से दो लाख रूपए मिलता है। दावा तो यहाँ तक किया जा रहा है कि कई विभागों में गिरोह की भीतर तक ‘मजबूत’ पकड़ रही है। कई दर्जन युवक-युवतियों को पश्चिमी यूपी से लेकर पूर्वांचल के कई जिलों के विभिन्न विभागों में फर्जी तरीके से भर्ती करा देने तक का दावा किया जा रहा है।
परीक्षा से पहले ही उत्तर-कुँजी उपलब्ध करा दिया जाता था। यूपी टीईटी, और सुपर टेट परीक्षाओं में भी ऐसा ही गेम होता था। विभागीय अफसरों की भूमिका पर भी सवाल उठना लाजिमी है। लम्बी सेटिंगबाजी का संदेह किया जा रहा है। ग्रामपंचायत अधिकारी की पिछली भर्ती परीक्षा में भी इस गिरोह की प्रभावी भूमिका बतायी जा रही है।
उधर, पुलिस ने गिरफ्तार लोगों से पूछताछ के बाद मीडिया को बताया कि परीक्षा पास कराने, काउंसिलिंग से लेकर नियुक्ति तक का बाकायदे ठेका लिया जाता था। केन्द्र-प्रदेश के कई सरकारी विभागों में नौकरी दिलाने के गोरखधन्धे में कई साल से गिरोह सक्रिय रहा। भदोही के पुलिस अधीक्षक रामबदन ने ‘सबलोग’ को बताया कि पकड़ा गया भदोही का प्रधान काफी शातिर है। डेढ़ साल पहले एक साल्वर गिरोह पकडे़ जाने पर भी केएल पटेल का नाम सामने आया। पुलिस ने तब इसे मुकदमे में वांछित किया था। बहरहाल, मामले में अभी कई अनसुलझे रहस्य किसी बड़ी चुनौती से कम नहीं हैं। सवाल ये भी है कि पर्दे के पीछे छिपे बड़े ‘घड़ियालों’ तक जाँच का फन्दा पहुँच भी पाएगा या कुछ गुर्गों तक ही यह सिमट कर रह जाएगा?
शिवा शंकर पाण्डेय
लेखक सबलोग के उत्तरप्रदेश ब्यूरोचीफ और भारतीय राष्ट्रीय पत्रकार महासंघ के प्रदेश महासचिव हैं| +918840338705, shivas_pandey@rediffmail.com
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