sablog.in डेस्क – पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी का एम्स में निधन। पिछले नौ सप्ताह से एम्स में दाखिल थे अटल बिहारी वाजपेयी। पिछले 48 घंटे से एम्स में लाइफ सपोर्टिंग सिस्टम पर थे वाजपेयी। वाजपेयी जी एक प्रखर पत्रकार, कुशल वक्ता और राजनेता थे, जिनकी पक्ष के साथ ही विपक्षी दलों में काफी इज्जत थी। एक नजर में देखिए अटल बिहारी वाजपेयी की एक सफल राजनेता बनने की यात्रा।
साल दर साल वाजपेयी जी का सफर
- वर्ष 1951 में भारतीय जनसंघ के संस्थापक सदस्य बने।
- 1957 में दूसरी लोकसभा के लिए चुने गए।
- 1957-77 में भारतीय जनसंघ संसदीय दल के अध्यक्ष बने।
- 1962 में राज्यसभा के सांसद बने।
- वर्ष 1967 में चौथी लोकसभा के लिए निर्वाचित हुए।
- वर्ष 1968 से 73 तक भारतीय जनसंघ के अध्यक्ष बने।
- 1971 में पांचवी लोकसभा के लिए चुने गए।
- वर्ष 1977 में छठी लोकसभा के लिए निर्वाचित।
- वर्ष 1977 से 79 तक विदेश मंत्री रहे।
- 1977 से 80 तक जनता पार्टी के संस्थापक सदस्य।
- 1980 में सातवीं लोकसभा के लिए निर्वाचित।
- वर्ष 1980 से 86 तक भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष रहे।
- वर्ष 1980 से 84 और 1993 से 96 तक भाजपा संसदीय दल के नेता रहे।
- 1986 में राज्यसभा के सांसद बने।
- वर्ष 1991 में दसवीं लोकसभा के लिए चुने गए।
- वर्ष 1996 में ग्याहरवीं लोकसभा के सदस्य बनें।
- 16 मई 1996 से 31 मई 1996 में प्रधानमंत्री रहे।
- 1996 से 97 तक लोकसभा में विपक्षी दलों के नेता रहे।
- वर्ष 1998 में बारहवीं लोकसभा के लिए निर्वाचित हुए।
- वर्ष 1998 से 99 तक देश के प्रधानमंत्री रहे।
- 1999 में तेरहवीं लोकसभा के लिए निर्वाचित हुए।
- 13 अक्टूबर 1999 से मई 2004 तक देश के प्रधानमंत्री रहे।
- साल 2004 में 14वीं लोकसभा के लिए चुने गए।
कमेंट बॉक्स में इस लेख पर आप राय अवश्य दें। आप हमारे महत्वपूर्ण पाठक हैं। आप की राय हमारे लिए मायने रखती है। आप शेयर करेंगे तो हमें अच्छा लगेगा।
Previous Postअभी अटल जी ही!
Next Post वो आखिरी शब्द... अलविदा दिल्ली... अब नहीं लौटना तुम्हारे आंगन में...
Related articles

दिशाहीनता काँग्रेस को ले डूबेगी
अजय तिवारीAug 26, 2022डोनेट करें
जब समाज चौतरफा संकट से घिरा है, अखबारों, पत्र-पत्रिकाओं, मीडिया चैनलों की या तो बोलती बन्द है या वे सत्ता के स्वर से अपना सुर मिला रहे हैं। केन्द्रीय परिदृश्य से जनपक्षीय और ईमानदार पत्रकारिता लगभग अनुपस्थित है; ऐसे समय में ‘सबलोग’ देश के जागरूक पाठकों के लिए वैचारिक और बौद्धिक विकल्प के तौर पर मौजूद है।
विज्ञापन

Leave a Reply