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कास्ट: स्वरा भास्कर, अक्षय ओबेरॉय, विद्या मालवडे, युधिष्ठिर उर्स, महिमा मकवाना, नताशा स्टेनकोविक, सयानदीप सेनगुप्ता, उदय टिकेकर
निर्देशक: दानिश असलम
सिद्धार्थ आनंद ‘युद्ध’ और ‘बैंग बैंग’ के निर्देशक इस बार लेकर आए हैं वेब सीरीज ‘फ़्लैश’। जो कि ओटीटी प्लेटफॉर्म इरोज़ नाओ पर रिलीज़ हुई है। उनके द्वारा बनायी गयी आठ-एपिसोड की यह वेब श्रृंखला पूजा लाधा सुरती (अंधाधुन की सह-लेखिका और एडिटर) द्वारा लिखित यह सीरीज आपको नीदों से जगाती है या कह लीजिए उसमें ख़लल डालती है। सीरीज की कहानी इतनी सी है कि पुलिसवालों ने मानव तस्करों के एक गिरोह का भंडाफोड़ करने के लिए मुंबई और कोलकाता की सड़कों पर धावा बोला है, जिसके कारण भयानक तमाशे हुए और वे पूरे देश में फैले गये।
यह सीरीज 16 साल की जोया की कहानी कहती हुई आगे बढ़ती है जो मुंबई में अपहृत हो जाती है वहीं से शुरू होता है यह मामला जो पहुँचता है एसीपी राधा नौटियाल (स्वरा भास्कर) के पास। फिर जोया की खोजबीन करने पर पता चलता है कि उसका अपहरण कर उसे जिस्मफरोशी के धन्धे में उतारने के लिए बेच दिया गया है। इसके बाद राधा जैसे-जैसे इस मामले की तह तक जाती है, वैसे-वैसे नए राज खुलते जाते हैं। हमारे देश में हर साल हजारों लड़कियों को सेक्स ट्रैफिकिंग के जरिये खाड़ी देशों में भेज दिया जाता है। मुंबई से शुरू हुई ‘फ्लेश’ की कहानी कोलकाता जाकर खत्म होती है। ह्यूमन ट्रैफिकिंग को लेकर हाल ही में जी5 पर विद्युत जामवाल की फ़िल्म खुदा हाफिज भी रिलीज हुई थी।
स्वरा भास्कर खाकी वर्दी में हार्ड कोर लैंग्वेज का प्रयोग करती हुई बातें (संवाद) करती है और उसमें भी सबसे अभिनन्दनीय है कि वह अपराधियों पर सटीक निशाना भी साधती है। स्वरा भास्कर न केवल एक व्यापक अर्थ में संवादों को स्पेयर करने के प्रयास के साथ-साथ ईमानदार पुलिस अफ़सर की भूमिका के साथ न्याय करती नजर आती है, बल्कि सहायक पुलिस आयुक्त राधा नौटियाल की भूमिका उसे और अधिक निखार प्रदान करती है। एक जगह वह कहती है “मैं एक आदमी की दुनिया में एक औरत हूँ।”
हालाँकि इस श्रृंखला में पूरी तरह एक तरह की लयात्मकता दिखाई नहीं देती बल्कि यह उनके बीच आने वाले अंतरालों में यात्रा करती हुई दिखाई देती है। कारण इसकी स्क्रिप्ट का असमान होना है। इरोज नाओ की इस श्रृंखला के पहले दो एपिसोड धमाकेदार हैं क्योंकि उनमें निर्देशक दानिश असलम मंच की स्थापना करने और नापाक गतिविधियों, अपराध-पर्दाफाश की योजना को संभालने से पहले प्रमुख पात्रों का परिचय देते हैं। तीसरे अध्याय के बाद इसमें ट्विस्ट आता है और यह श्रृंखला एक स्थान से दूसरे स्थान के बीच आगे-पीछे कूदती-फांदती कहानी के साथ कतरा-कतरा तालमेल बैठाती है। कहानी में कई बिंदु हैं जब आप चाहते हैं कि शो में कुछ अधिक देखने को मिले, लेकिन आश्चर्यजनक और बेहूदा चीजों के अलावा कुछ हाथ नहीं लगता। मुंबई, कोलकाता की लोकेशन, रियल-एस्टेट का उद्यम, मानव तस्करी और वेश्यावृत्ति रैकेट इस सीरीज के प्रमुख आयाम हैं।
इरोज नाओ की वेब सीरीज ‘फ्लेश’ एक्शन और रोमांच से तो भरपूर है किन्तु इसको जिस तरीके से पिक्चराइज किया गया है वह निराश करता है। हाँ एक अच्छी बात है कि इसका बैकग्राउंड स्कोर जरूर बांधे रखने में कामयाब होता है। कुल मिलाकर ‘फ़्लेश’ सेक्स ट्रैफिकिंग की तहें खोलने में नाकाम है किन्तु रहस्य-रोमांच से भरपूर है। यह भी बताया गया है कि यह सच्ची घटनाओं से प्रेरित वेब सीरीज है।
अपनी रेटिंग – 2.5 स्टार
तेजस पूनियां
लेखक स्वतन्त्र आलोचक एवं फिल्म समीक्षक हैं। सम्पर्क +919166373652 tejaspoonia@gmail.com
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जब समाज चौतरफा संकट से घिरा है, अखबारों, पत्र-पत्रिकाओं, मीडिया चैनलों की या तो बोलती बन्द है या वे सत्ता के स्वर से अपना सुर मिला रहे हैं। केन्द्रीय परिदृश्य से जनपक्षीय और ईमानदार पत्रकारिता लगभग अनुपस्थित है; ऐसे समय में ‘सबलोग’ देश के जागरूक पाठकों के लिए वैचारिक और बौद्धिक विकल्प के तौर पर मौजूद है।
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