बिहार में कोराना का खौफ
- कुमार कृष्णन
बिहार देश का तीसरा सबसे बड़ी आबादी वाला राज्य है लेकिन यहाँ अब तक लगभग 11 कोराना वायरस से संक्रमण का मामला सामने आया है। इस वैश्विक महामारी ने लोगों को दहशत में डाल दिया है। कोरोना से बचने के लिए लोग कई सावधानियाँ बरत रहे हैं। मगर सिस्टम लाचार और बदहाल है। इसे दुरूस्त करने की कवायद आरम्भ कर दी गयी है। बिहार में नोवेल कोरोना वायरस के संदिग्ध मरीजों की संख्या बढ़ी है। अब तक 354 संदिग्धों की पहचान की गयी है। वहीं, अब तक कुल 113 संदिग्ध को आइसोलेशन से मुक्त किया गया है। नेपाल से सटे 49 स्थानों पर बिहार में आने वाले लोगों की जाँच की जा रही है। बिहार के स्वास्थ्य विभाग के अनुसार 15 जनवरी से बिहार में कोरोनावायरस से ग्रसित देशों से लौटे 354 यात्रियों को सर्विलांस (निगरानी) में रखा गया है। इनमें से 113 यात्रियों ने 14 दिनों की सर्विलांस की अवधि पूरी कर ली है।पटना और गया हवाई अड्डों पर आने वाले लोगों थर्मल स्क्रीनिंग कराई जा रही है। अब तक इन दोनों हवाईअड्डो पर 19 हजार से ज्यादा यात्रियों की स्क्रीनिंग की जा चुकी है। अब तक 72 संदिग्ध लोगों से लिए गए नमूनों की जाँच कराई गई है, लेकिन बिहार में एक भी मामला पॉजिटिव नहीं पाया गया है। नेपाल से सटे बिहार के सात जिलों 49 स्थानों पर नेपाल से आने वाले लोगों की निगरानी रखी जा रही है। अधिकारी के अनुसार, अब तक इन स्थानों पर दो लाख से अधिक लोगों की जाँच कराई गई है, लेकिन एक भी मामला सामने नहीं आया है।इसके बावजूद आशंका जताई जा रही है कि कोरोना के मामले और बढ़ सकते हैं।
बिहार में सबसे ज्यादा संकट कोराना वायरस के डायग्नोसिस की यह प्रक्रिया को लेकर उठाया जा रहा था। क्योंकि बिहार में कोई प्रयोगशाला नहीं है, जहाँ यह जाँच हो सके। सारे ज़िलों से लिए गए जाँच के सैंपल्स पटना में एक जगह एकत्र किए जाते हैं, फ़िर इन्हें कोलकाता जाँच के लिए भेजा जाता है। वहाँ से रिपोर्ट आती है। यह एक लम्बी प्रक्रिया है। ऐसे में सवाल है कि सैंपल्स की क्वालिटी क्या वैसी ही रह पाती है जैसी रहनी चाहिए थी। राज्य सरकार ने प्रदेश में कोरोना की आशंका वाले मामलों की बढ़ती संख्या को देखते हुए आइसीएमआर को यह प्रस्ताव दिया था कि राज्य में कोरोना की जाँच के लिए और केन्द्र खोले जाएं। राज्य सरकार की ओर से पीएमसीएच, डीएमसीएच, एनएमसीएच, आइजीआइएमएस और एम्स पटना में जाँच केन्द्र बनाने का प्रस्ताव दिया गया था। बिहार के स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव संजय कुमार ने आइसीएमआर महानिदेशक को राज्य सरकार द्वारा कोरोना से बचाव के लिए अब तक किए गए कार्यों का हवाला देकर और जाँच केन्द्र बनाने की मांग उठाई। महानिदेशक आइसीएमआर ने राज्य सरकार को आश्वस्त करते हुए कहा कि राजेंद्र मेमोरियल रिसर्च इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (आरएमआरआइ) के अलावा दरभंगा मेडिकल कॉलेज अस्पताल में भी कोरोना जाँच की सुविधा अगले 24 घंटे के अंदर बहाल कर दी गयी है। शेष जाँच केन्द्र जिनका प्रस्ताव राज्य सरकार की ओर से दिया गया है उनके सम्बन्ध में जल्द ही कोई फैसला लिया जाएगा।
करोना के संदिग्धों की पहचान का प्रमुख पैमाना है कि “मरीज़ विदेश से या विदेश से आए किसी व्यक्ति के संपर्क में तो नहीं आया।” इसलिए यहाँ के एयरपोर्ट और राज्य की सीमाओं पर विदेश से आ रहे लोगों की आवाजाही रोक दी गई है। जो आ रहे हैं उन्हें संदिग्ध माना जा रहा है। संदिग्धों की पहचान करने के इस पैमाने पर भी सवाल उठाते हैं। वे कहते हैं, “क्या केवल विदेश और बाहर में रहने वाले लोग हवाई जहाज़ से ही आ रहे हैं? और केवल विदेश ही पैमाना क्यों? सभी पड़ोसी राज्यों तक में तो ये आ ही चुका है। आप स्टेशनों और बस अड्डों पर देखिए कितनी भीड़ है। होली के बाद आम तौर पर राज्य से लोगों के जाने की भीड़ रहती है, लेकिन इन दिनों यहाँ वापस आने की हो गई है। क्या उनके साथ संक्रमण नहीं आ सकता?
मूल समस्या स्वच्छता को लेकर है। नगर निगम से लेकर अन्य क्षेत्रों स्वच्छता को लेकर समस्या जटिल है। राजधानी पटना के पीएमसीएच में जिस कॉटेज वॉर्ड में कोरोना के संदिग्धों को रखा गया है, वहाँ पहुंचने का रास्ता गंदगी से भरा और दुर्गंध वाला है।रास्ते पर नाली का पानी बह रहा था। मरीज़ तो मरीज़, डॉक्टर और नर्सें भी इसी रास्ते को पार कर जाने को विवश हैं।कॉटेज वॉर्ड के ऊपरी तले पर कोरोना के संदिग्ध मरीज़ रखे गए हैं।एहतियात के तौर पर वार्ड में मरीज़, डॉक्टर-नर्स और परिजनों के अलावा किसी को ऊपर जाने की अनुमति नहीं है। हालांकि प्रखण्ड,अनुमंडल और जिला अस्पतालों में अलग वार्ड की व्यवस्था की गयी है। सेना के सब एरिया व बीआरसी में परेड के साथ सभी तगह के मूवमेंट बन्द कर दिए गए हैं। भर्ती कार्यालय में काम बन्द है। कोरोना से बचाव को लेकर सैनिक अस्पताल में भी तैयारी की गई है।
सैनिक अस्पताल में 40, जबकि नालन्दा छात्रावास में 20 बेड का आइसोलेशन वार्ड बनाया गया है। मुंगेर के सिविल सर्जन डॉ पुरुषोत्तम कुमार ने कोरोना वायरस को लेकर किसी प्रकार की अफवाह से लोगों को बचने की सलाह दी है। साथ ही छींकते और खांसते समय नाक व मुंह को ढंककर रखने और हाथों को साबुन से धोते रहने को कहा है। वहीं, कोरोना प्रभावित देशों से वापस लौटे व्यक्तियों को घर पर ही रहना चाहिए। इस रोग के लक्षण पाए जाने पर घर से बाहर या सार्वजनिक स्थल पर नहीं जाने की भी सलाह दी है।
झारखण्ड-बिहार सब एरिया में कोरोना को लेकर सेना सतर्क है। हर मोर्चे पर सतर्कता बरती जा रही है। जो जवान या सैन्य अधिकारी छुट्टी पर गए हैं, उन्हें अगले आदेश तक वापस नहीं आने को कहा गया है।कोरोना के बढ़ते प्रभाव के बीच बिहार सरकार एस्मा (एसेंशियल सर्विसेज मैनेजमेंट एक्ट) लागू करने पर विचार कर रही है। इस कानून के प्रभावी होने के बाद डॉक्टर, नर्स, एएनएम से लेकर एंबुलेंस सेवा कर्मी और आवश्यक सेवा देने वाले सामूहिक हड़ताल पर नहीं जा सकेंगे। सभी की छुट्टियाँ रद्द कर दी गईं हैं। जो छुट्टी पर गए हैं, उन्हें अगले आदेश तक वापस नहीं आने को कहा गया है। अनेक जगह जागरूकता अभियान चलाए जा रहे हैं। स्वास्थ्य विभाग बिहार के सभी जिलों में शॉपिंग मॉल, व्यायामशाला (जिम्नेजियम), स्विमिंग पुल और स्पा सेंटर को 31 मार्च तक बन्द करने का आदेश जारी किया। स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव संजय कुमार ने कोरोना के महामारी घोषित होने व इस सम्बन्ध में राज्य सरकार द्वारा अधिनियम लागू होने के बाद मिले अधिकार का पहली बार प्रयोग करते हुए यह निर्देश जारी किया। बुधवार को जारी जारी निर्देश के अनुसार शादी-विवाह के कार्यक्रमों को छोड़कर किसी भी स्थान पर 50 से अधिक लोगों के एकत्र होने पर भी तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी गयी है। राज्य के सभी थियेटर को भी 31 मार्च तक बन्द करने का आदेश दिया गया है।
राज्य सरकार संक्रमित लोगों के इलाज का उठाएगी पूरा खर्च
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने घोषणा की कि राज्य में कोरोना वायरस से संक्रमित लोगों के इलाज का पूरा खर्च राज्य सरकार उठाएगी। विधानसभा में नीतीश कुमार ने कहा कि इलाज पर होने वाले खर्च का भुगतान मुख्यमंत्री राहत कोष से किया जाएगा। उन्होंने बताया कि कोरोना वायरस से मौत होने की स्थिति पर मृतक के निकटतम संबंधी को 4 लाख रुपये की अनुग्रह राशि दी जाएगी।अब तक राज्य में किसी भी व्यक्ति के इस वायरस से संक्रमित होने की पुष्टि नहीं हुई है। संक्रमण को रोकने के उपायों के तहत शिक्षण संस्थाओं, सिनेमा हॉल और सार्वजनिक पार्को को 31 मार्च तक बन्द कर दिया गया है। सभी सरकारी विभागों के समूह ग और समूह घ कर्मचारियों को एक दिन छोड़कर कार्यालय आने का निर्देश दिया गया है ताकि कार्यालय परिसरों में भीड़ से बचा जा सके। मुख्यमंत्री के अनुसार, ‘जिन लोगों में लक्षण पाए जाएंगे उन्हें सरकार के खर्च पर निर्धारित अवधि तक पृथक रखा जाएगा। संक्रमण का समय पर पता लगाने के लिए चिकित्सा सुविधाओं को मजबूत किया जा रहा है और अस्पतालों में अतिरिक्त जीवन रक्षक प्रणाली और पृथक वार्ड की व्यवस्था की जा रही है।
लेखक स्वतन्त्र पत्रकार और सामाजिक कार्यकर्ता हैं|
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