कोरोना
- शंकर नाथ झा
ब्रह्माण्ड में घटित होने वाली सबसे महत्वपूर्ण घटना चौदह बिलियन वर्ष पूर्व घटित हुई थी जब बिग बैंग घटित हुआ था तो दूसरी सबसे महत्वपूर्ण घटना थी वायरस की उत्पत्ति| यह पूर्ण रूप से जीवन की परिभाषा से परिभाषित नहीं भी हो पाने के बावजूद जीवन की शुरुआत की पूर्ववर्ती अवस्था तो जरूर थी| बैक्टेरिया से लेकर अन्य विकसित जीवों के बारे में पर्याप्त ज्ञान हो चुका है पर वायरस अभी भी तिलिस्म बना हुआ है| कह सकते हैं कि अंग्रेजी अल्फाबेट में बी से लेकर वाय तक तो बहुत कुछ समझ लिया है हमने पर ए का ही ज्ञान हमारा अधूरा है| जेड को छोड़ दिया गया है यह सोच कर कि एवोल्यूसन की आगे की सीढ़ी क्या होगी सिर्फ प्रकृति ही जानती है या शायद वह भी नहीं|
वायरस की मूल रचना में जेनेटिक मटेरियल का एक कोर रहता है जो एक प्रोटीन से आवृत्त रहता है| कभी-कभी इस प्रोटीन परिधि के ऊपर भी एक लिपिड की परत होती है| कोर में आर.एन.ए. रहा तो उसे आर.एन.ए. वायरस कहते हैं और डी.एन.ए.रहा तो उसे डी.एन.ए. वायरस कहते हैं| अपना कोरोना वायरस एच.आई.वी.वायरस की तरह ही एक आर.एन.ए. वायरस है| देखने में खूबसूरत तो है पर जानलेवा है|
वायरस इतने सूक्ष्म होते हैं कि आँखों से या माइक्रोस्कोप से इन्हें देखना सम्भव नहीं होता है| इन्हें इलेक्ट्रान माइक्रोस्कोप से ही देखा जा सकता है| आम तौर पर हम कह सकते हैं कि वायरस बैक्टेरिया से सौ गुना छोटा होता है और हमारे शरीर की कोशिका से हजार भाग छोटा| लेकिन धूर्त्तता में वे बैक्टेरिया से सौ गुना आगे| इसे आधुनिक भाषा में हैकर भी कहा जाता है क्योंकि यह हमारे शरीर की कोशिका के अन्दर घुस कर हमारे ही डी.एन.ए. को अपने शरीर की रचना के अनुरूप पदार्थ बनाने को मजबूर करता है| यानी कि यह आउट सौर्सिंग से अपना काम चलाता है| ऐसा इसलिए कि वायरस के अन्दर खुद को रेप्लिकेट करने की क्षमता नहीं होती है न तो एनर्जी प्रोडक्शन की व्यवस्था| इसी लिए इसे जीव कहते भी हैं पर पूर्ण जीव नहीं| अपूर्णता कभी-कभी विषाक्तता को अभिवर्धित कर देती है| भूत से ज्यादा खतरनाक लंगड़ा भूत होता है, फिल्म का विलेन यदि काना हो तो और भी खतरनाक हो जाता है| इसी तरह वायरस को हम लंगड़ा जीवाणु भी कह सकते हैं|
अब आइये आधुनिक समय के सबसे चर्चित महानुभाव की ओर चलें| आलम यह है कि पर्यटकों पर आश्रित थाईलैंड में एक केले के लिए लंगूरों में गृह-युद्ध हो गया| पर्यटक नहीं तो निकम्मे बन्दरों के लिए भोजन नहीं| स्कूल बन्द हैं, कॉलेज बन्द हो गए, मन्दिर बन्द, मस्जिद बन्द, मॉल बन्द, रेल गाड़ियाँ खाली, जहाज के सीट खाली, वीसा बन्द और हनीमून कैंसल| कोरोना ने हाफ-कर्फ्यू की स्थिति पैदा कर दी है| ऐसा इसलिए कि कम समय में लाखों लोग इस बीमारी की चपेट में आ गए| चीन में आठ हजार (संख्या बहुत ज्यादा होने का शक है) लोग मर गए तो इटली में रोज दो सौ लोग मर रहे हैं, अमेरिका जैसे विकसित देश में सौ से ज्यादा लोगों की मृत्यु हो गयी तो ईरान भी बिलबिला रहा है| भारत में भी धीरे-धीरे यह पाँव पसार रहा है| कुल एक सौ सत्तर देशों में यह फैल चूका है, अमेरिका के सभी प्रान्त इससे प्रभावित हैं| कुल दो लाख लोग संक्रमित हो चुके हैं|
एकत्तीस दिसम्बर की रात जब दुनिया नए साल के आगमन के लिए जश्न मना रही थी चीन ने एक नयी बीमारी के फैलने की सूचना विश्व स्वास्थ्य संगठन को दी और तीस जनवरी को इसकी वृद्धि की रफ़्तार को देखते-देखते ग्लोबल इमरजेंसी घोषित कर दिया| (जब मैं लिख्र रहा था तो तीस जनवरी को कंप्यूटर ने टीस जनवरी लिख दिया| मुझे लग रहा है कि उसने सही पकड़ा था|) मृत्यु रोज-रोज दस्तक देने लगी| सिर्फ चीन ही नहीं| दुनिया के अधिकतर देशों में यह बीमारी फैल गयी क्योंकि शायद ही आज कोई देश है जहाँ चीन के व्यापारी और उसके सामान नहीं जाते हैं या उनके देशवासी चीन नहीं जाते हैं| एक समय जो एक बन्द देश था आज विश्व का सबसे खुला बाज़ार बन चुका है| विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इसे पान्डेमिक घोषित कर दिया है|
कोरोना वायरस से होने वाली बीमारी को कोविड 19 कहते हैं, जिस वायरस से यह बीमारी हुई है उसका नामकरण सार्स–सी.ओ.वी.2 या 2019 नावेल कोरोना वायरस किया गया है| वुहान प्रदेश में इस बीमारी की शुरुआत हुई थी इसलिए आम लोग इसे वुहान वायरस कहते हैं ठीक उसी तरह जैसे बांग्लादेश युद्ध के बाद भारत में जो कॉनजन्क्टीवाईटिस फैला था उसका नाम ही जय बांगला रख दिया गया था|
सारी दुनिया में यह अफवाह फैल गयी कि वुहान की प्रयोगशाला में बनाए जाने वाले वायरस के लीक हो जाने की वजह से यह जिन्न बोतल से निकल आया था| अन्तर यह था कि वह जिन्न अलादीन के वश में नहीं था और जगत संहार पर निकल चुका| बिल गेट्स का कहना है कि दस वर्षों में यदि एक करोड़ से ज्यादा मृत्यु होती है तो वह किसी एटम बम के हाथों नहीं होगी बल्कि एक एटम बोम्ब से अरबों अरब छोटे सूक्ष्म वायरस से ही होगी|
चीन ने रक्षात्मक प्रतिक्रिया के तहत अमेरिका पर ही दोष देना शुरू कर दिया| झूठ की लड़ाई में सत्य चुप हो जाता है| कोरोना वायरस इन्फ्लुएँजा परिवार का ही एक वायरस है| लेकिन यह फ्लू से ज्यादा संक्रामक है| किसी रोगी में लक्षण आने के दो सप्ताह पूर्व और दो सप्ताह बाद तक आप उनके सम्पर्क में आने पर संक्रमित हो सकते हैं| आप इससे पीडित हो सकते हैं पर घबराएँ नहीं, इसे संघर्ष करना होगा, और इसे पराजित करना होगा| यह अपराजेय वायरस नहीं है| अस्सी प्रतिशत रोगियों को किसी विशेष उपचार की जरूरत नहीं होती है और न तो पैनिक करने की जरूरत है|
संक्रामकता बीमारी के लक्षण प्रकट होने पर ज्यादा होती है| खास कर तब जब उनकी साँस में वायरस निकलने लगते हैं| उसके पहले डायरेक्ट स्पर्श से ही संक्रमण होता है| हो सकता है कि आप को पता नहीं हो और आप वायरस के वाहक हो चुके हों| पर भयभीत न हों कि मैं पीड़ित हूँ या नहीं| परेशान होने से कोई लाभ नहीं है| सतर्क रहें पर मस्त रहें|
यह वायरस आँख, नाक या मुंह के सहारे अन्दर जाता है, फेफड़ों में घुसता है, विकसित होता है और छींक या खाँसी के द्वारा हवा में बिखरता है| यह एक मीटर तक जाता है पर हवा में ज्यादा देर टिकता नहीं है| इसलिए यह ड्रॉपलेट बोर्न तो है पर एयर बोर्न नहीं| यह आप के हाथ पर, कपडे पर, डोर नोब पर, सीढ़ियों के हाथ-रखा पर, कुर्सी पर रह सकता है| लेकिन वहाँ भी यह चौबीस घंटे से ज्यादा जिन्दा नहीं रहता| कुछ लोगों का मानना है कि यह ओरो फेकल रूट से भी फैलता है| 26 से 27 डिग्री सेल्सियस तापमान इसे मारने के लिए काफी है| उम्मीद की जा रही है कि यह बीमारी गर्मियों में थम जायेगी|
आप इस बीमारी के बारे में सोच सकते हैं यदि आप को या किसी मरीज को बुखार, जुकाम, खाँसी, हफ्नी और कमजोरी का एहसास होने लगे| खाँसी सूखी होती है और साँस लेने में अनुपात से ज्यादा दिक्कत| नाक बह सकती है, नहीं भी| इनमें से जितने ज्यादा लक्षण होंगे कोरोना की संभावना उतनी ज्यादा होगी और जितनी तीव्रता ज्यादा होगी उतनी संभावना ज्यादा होगी| यदि आप को सिर्फ बुखार है तो आप मान सकते हैं कि आप को कोरोना नहीं है|
यदि आप को लगता हो कि आप को कोरोना है तो डॉक्टर से जरूर सम्पर्क करें| यदि लक्षण कम हैं तो वे आप को आराम करने और बाहर नहीं जाने की सलाह देंगे| घर वालों और रूम मेट से पृथक रहना सम्भव नहीं है पर एक मीटर की दूरी और हाथ की सफाई पर जरूर ध्यान दें| इस स्तर पर जाँच जरूरी नहीं है पर यदि पास में उपलब्ध हो तो जरूर करा लें| जाँच घर में एक दुविधा है| वहाँ हो सकता है दूसरे प्रत्याशी संक्रमित हों और उनके सम्पर्क में आप को खतरा हो| वहाँ मास्क लगायें, दूरी बना कर रखें और कुर्सी पर ना बैठें, खड़े रहना ज्यादा सुरक्षित होगा| पेरासिटामोल और सर्दी जुकाम की दवा ले सकते हैं जरूरत पड़ने पर| रिच फ़ूड खाएँ और पानी का सेवन ज्यादा करें| ब्रुफेन नहीं लें| अनुमान लगाया जा रहा है कि इटली में लोग ब्रुफेन का ज्यादा इस्तेमाल कर रहे थे इसलिए बीमारी ज्यदा घातक हो गयी|
यदि तकलीफ ज्यादा है और बुखार 102 से ऊपर है, पेरासिटामोल से उतरता नहीं है, साँस लेने में ज्यादा तकलीफ हो रही हो, तो आप को अस्पताल में भरती होना होगा| ऑक्सीजन और आई. वी. फ्लूइड पर रखना पड़ सकता है| कुछ दवाइयों के परिणाम अच्छे आ रहे हैं जिनमे क्लोरोक़ुइन और एँटी वायरल दवाइयाँ रेमेदेसोविर हैं|
अपने आप को जितना हो सके सुरक्षित रखें| दूसरे हंसें तो हंसने दें| जिन्दगी आप की है और इसकी हिफाज़त करना आपका अधिकार है और कर्तव्य भी| आप दोस्तों को सलाह दे भी सकते हैं नहीं भी| आप उनके डॉक्टर नहीं हैं| कल जब अपने एक बहुत ही नजदीकी दोस्त के यहाँ गया था तो सबसे पहले उसने मुझे वाश बेसिन पर भेजा और साबुन से हाथ धोने को कहा| ना तो उसने संकोच किया ना तो मैंने बुरा माना|
अनावश्यक कांटेक्ट से बचें| हैण्ड सैनीटाइजर्स, ग्लव्स और मास्क साथ में रखें| मास्क से नाक और मुंह दोनों ढकें| भीड़ से परहेज़ करें| जब तक शंका नहीं हो घर के सदस्यों से और दोस्तों से एक दम से सम्पर्क ना तोड़ें| ये ही हैं जो आप की जरूरत पड़ने पर मदद को आगे आयेंगे| पशुओं की छोटी-छोटी बीमारियों में मृत्यु इस लिए हो जाती है कि बीमारी में उनकी मदद करने वाले दोस्त या रिश्तेदार नहीं होते| बीमारी के लिए और उससे होनेवाले नुक्सान और परेशानी के लिए तैयार रहें मानसिक रूप से| युद्ध सामने हो तो रोया नहीं जाता जरा बख्तर पहना जाता है|
सरकार और डॉक्टरों की सलाह को मानें| एक नव दम्पति जब हनी मून से लौटा तो पति पॉजिटिव थे इसलिए अस्पताल में भर्ती थे| पत्नी को आइसोलेशन में रखा गया तो बोर होकर वहाँ से बिना अनुमति के चली गयी| बंगलौर से होते हुए आगरा गयी| पुलिस ने जब उसे ढूंढ निकाला तो वह भी कोरोना पॉजिटिव थी| अब समस्या यह है कि अनजाने में उसने कितने ही लोगों को वायरस दे दिया होगा| वह पढ़ी लिखी महिला थी, उसे ऐसा नहीं करना चाहिए था|
एबोला और सार्स से कोरोना का फैलाव ज्यादा है पर कम खतरनाक है जिसमे मृत्यु-डर (दर) मात्र दो प्रतिशत है| सार्स और एबोला में चालीस प्रतिशत तक मृत्यु-दर(डर) था| कोरोना से मृत्यु बुजुर्गों में ज्यादा होती है ख़ास कर के यदि वे मधु मेह या रक्त चाप से पीड़ित है| फेफड़े डैमेज होते हैं और आर.डी.एस. (रेस्पिरेटरी डिस्ट्रेस सिंड्रोम) से मौत होती है| ह्रदय भी प्रभावित होता है और मायो- कारडाइटिस प्लस शॉक से जान जाती है|
ए.सी.ई.2 और ए.आर.बी. एँजाइम इस वायरस के मददगार हो जाते हैं| ये दोनों मधुमेह और उच्च रक्त चाप के मरीजों में बढ़ जाते हैं इसलिए इन मरीजों में यह बीमारी ज्यादा खतरनाक हो जाती है|
कोरोना की उत्पत्ति के लिए चमगादड़ को दोषी माना जाता है| बहुत से लोग अब भी चमगादड़ खाते हैं| आदि मानव अपने अस्तित्व की रक्षा हेतु सब कुछ खाने का आदी हो गया था| मनुष्य के सर्वाइवल में उसका सर्वभक्षी होने का बहुत बड़ा योगदान है| चमगादड़ को केव-मेन्स चिकन भी कहा जाता है| यहाँ शायद चमगादड़ और आदमी के बीच एक दूसरा स्टेशन पंगोलिन था, जिसका उपयोग मनुष्य कई रूपों में करते हैं|
इसका प्रभाव आर्थिक क्षेत्र में ज्यादा पड़ने वाला है| उसके लिए तैयार रहें| आप की दूकान बन्द हो सकती है, ट्यूशन बन्द हो सकता है, टैक्सी वाले को सवारी नहीं मिलेगी, और हो सकता है कि अनाज की भी किल्लत हो| कुछ रूपये पास में जरूर रखें और ख़राब नहीं होने वाले अनाज भी जमा कर के रखें| कम से कम खिचड़ी तो मिलेगी| बच्चों के लिए मिल्क पाउडर का भी स्टॉक रखें|
व्यापारियों से उम्मीद की जा सकती है कि वे होर्डिंग और काला बाजारी से बचें| आप ने कितने पैसे बनाए यह याद नहीं रखा जायेगा, ना तो समाज में ना ईश्वर के घर में, पर यह याद रखा जाएगा कि जब समाज को मदद की जरूरत थी तब ये उसकी तकलीफ से फायदे उठा रहे थे| जिन्दगी छोटी होती है पर संस्कारों की उम्र लम्बी होती है| अमेरिका जैसे विकसित देश में भी लोग पैसे कमाने से नहीं चूक रहे हैं| दस डॉलर में हैण्ड वाश खरीदकर उसे अस्सी डॉलर में ब्लैक कर रहे हैं|
यदि आप भीड़ से परहेज़ कर रहे हैं और अपने ऑफिस भी नहीं जा रहे हैं तो एकान्तवासी होकर आप अपना तो कल्याण करते ही हैं समाज का बहुत बड़ा कल्याण करते हैं| 25 लोगों के ऑफिस में यदि एक को भी संक्रमण है तो चांस है कि चन्द दिनों में ही बिना एहसास के पचीसों व्यक्ति संक्रमित हो जायेंगे और यदि आते जाते रहे तो ये बहुत कम समय में दस हजार लोगों को संक्रमित कर देंगे| काम तो बाद में भी हो जायेंगे, परीक्षाएँ बाद में भी हो जायेंगी, इकॉनमी पटरी पर एटम बम के गिरने के बाद भी हिरोशिमा में चन्द वर्षों में तेज रफ़्तार से दौड़ सकती है तो यहाँ भी वापस दौड़ेगी, परेशान होने की जरूरत नहीं है, लेकिन यदि इस बीमारी को खुली छूट मिल जाए तो यह एटम बम से भी ज्यादा लोगों को मारने की क्षमता रखती है| यह ध्यान देना होगा कि इस बीमारी के प्रति हमारे अन्दर अवरोधक क्षमता नहीं है|
नींद और आराम में कटौती ना करें| नींद की कमी हमारी इम्युनिटी को कम करती है| विटामिन्स की कमी ना हो इसलिए पुष्टिकारक और विटामिन युक्त भोजन करें| हर हाल में आइसक्रीम से परहेज रखें| मीट, मछली, अंडा खा सकते हैं पर हाफ कुक्ड या कच्चा नहीं| बेहतर शाकाहारी बनें| सलाद से परहेज करें या उन्हें उबाल कर खाएँ|
यह ऐसा युद्ध है जिसमे न तो आप को घबराना है, न हतोत्साहित होना है| यहाँ दुश्मन से लड़ना भी नहीं है, बस उसके स्पर्श से बचना है| दुश्मन खुद मरनेवाला है| इन्तजार करें| लाखों लोग प्रयोगशालाओं में इसके विरुद्ध टीका बनाने में दिन रात एक किये हुए हैं, परिणाम जल्द ही आने वाले हैं| जब पोलियो को आप ने पराजित कर लिया है, प्लेग नजर नहीं आता है, कॉलरा नगण्य है, स्माल पॉक्स शून्य तो यह कोरोना किस खेत की मूली है|
यदि आप डॉक्टर हैं तो सारी सावधानी के साथ आप को रोगियों का इलाज करना है| चीन के जिस डॉक्टर ने सबसे पहले इस बीमारी के बारे में बतलाया उसकी मौत इसी बीमारी से हो गयी है| इस युद्ध में अहम् भूमिका आप की है| दिन और रात एक करना पड़ सकता है| अपनी सुरक्षा का ध्यान रखें और युद्ध स्तर पर रोगियों की चिकित्सा में लग जाएँ| इस युद्ध में आप ही सिपाही हैं|
अभी-अभी अमेरिका के रोष कंपनी की ओर से डोनाल्ड ट्रम्प ने घोषणा की है कि इसके विरुद्ध टीका तैयार हो चुका है और अगले सप्ताह टीकाकरण प्रारम्भ हो जाएगा| जो मोदी विरोधी हैं वे पता नहीं क्यों ट्रम्प विरोधी भी हो जाते हैं और इसे भी वे ट्रम्प के सैंकड़ों झूठों में से एक कहेंगे| खैर टीका निकले या नहीं निकले चीन के सामान ज्यादा टिकाऊ नहीं होते हैं, चीन से निर्यातित (और शायद निर्मित भी) यह वायरस भी जल्द ही खत्म हो जाएगा|
लेखक प्रसिद्द चिकित्सक और लेखक हैं|
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