रमेश शर्मा
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May- 2021 -27 Mayस्मृति शेष
लोक को समर्पित एक जीवन्त लेखक डॉ. बलदेव
डॉ. बलदेव हिन्दी और छत्तीसगढ़ी भाषा साहित्य लेखन की दुनिया के एक व्यापक भूगोल का हिस्सा बने रहे। आजीवन सृजन रत रहकर उन्होंने साहित्य की अनवरत सेवा की। एक साहित्यकार होने की वजह भर से ही मेरा सम्बन्ध उनसे…
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11 Mayशख्सियत
अब कोई मंटो क्यों पैदा नहीं होता?
मंटो एक बड़े कथाकार हैं इसलिए उन पर जिक्र हो यह जरूरी नहीं है बल्कि जरूरी बात यह है कि समाज और सत्ता तन्त्र की बुराईयों के साथ लाभ-हानि की बिना कोई परवाह किये पूरी निडरता के साथ दो-दो…
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10 Mayसामयिक
आखिर इन दिनों किस हाल में होगा दृश्य से गायब वह सर्वहारा वर्ग
लॉकडाउन के इस संक्रमण काल में जब कभी शहर की ओर दूध सब्जी या फल वगैरह के लिए जाता हूँ तो मुझे बहुत से लोगों की याद बरबस आने लगती है। शहर का एक समूचा दृश्य जो मेरे अवचेतन…
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6 Mayसामयिक
उम्मीद की लालटेन
महामारी का यह समय मानसिक उलझनों में आदमी को इस कदर झोंक चुका है कि चाहकर भी हम उन उलझनों से बाहर नहीं आ सकते। हर दिन कोई न कोई अशुभ समाचार सुनने को हम अभिशप्त हैं। दिन भर…
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5 Mayसामयिक
लॉकडाउन डायरी और मन के भीतर मचा द्वंद्व
डायरी लेखन यूं तो साहित्य की एक प्रभावी विधा रही है। अगर कोई लेखक हुआ तो वह अपने विचारों, अपनी दृष्टि और भाषा के सौंदर्य से इस डायरी लेखन की विधा में संलग्न होकर अपने उबाऊ समय को एक…
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May- 2019 -7 Mayमुद्दा
सत्ता की पक्षधरता और साहित्यकारों के लेखन पर अविश्वास का संकट
यह कथन आमतौर पर प्रचलित है कि साहित्य समाज का दर्पण होता है और वह हर काल में राजनीति को दिशा प्रदान करता है| राजनीति को दिशा प्रदान करने का आशय ही यही है कि जहाँ भी राजनीति लोकहित…
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Apr- 2019 -22 Aprilशिक्षा
विद्यालयों में असमानता के बीज
जब मैंने सत्तर के दशक में होश सम्भाला तो अपने आसपास स्थित पूर्व में अविभाजित मध्यप्रदेश का एक प्रमुख शहर और वर्तमान में छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर के राजकुमार कालेज का नाम सुना था. यह भी सुना था कि…
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