वैसे तो उत्तर प्रदेश में एनडीए के प्रमुख घटक सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर आए दिन राज्य सरकार और बीजेपी को आँखें दिखाते रहते हैं लेकिन अब एक अन्य अहम घटक दल अपना दल (एस) की ओर से भी बीजेपी को अल्टीमेटम मिलने लगा है.
अपना दल (एस) ने बीजेपी पर घटक दलों के साथ भेदभावपूर्ण बर्ताव करने और महत्व न देने का आरोप लगाया है. अपना दल की नेता अनुप्रिया पटेल केंद्र की मोदी सरकार में राज्य मंत्री हैं.अनुप्रिया पटेल नरेंद्र मोदी मंत्रिपरिषद की सबसे कम उम्र की मंत्री हैं. उनके पास स्वास्थ्य मंत्रालय के राज्यमंत्री का कार्यभार है. लेकिन स्वास्थ्य मंत्रालय को कैबिनेट मंत्री जय प्रकाश नड्डा ही चलाते हैं. जो काम बच जाता है उसे दूसरे राज्य मंत्री अश्विनी चौबे संभाल लेते हैं. अनुप्रिया पटेल के पास मंत्रालय में कोई काम नहीं है.
दिल्ली में स्वास्थ्य मंत्रालय के मुख्यालय निर्माण भवन में उनका बेहद शानदार ऑफिस है, लेकिन इस ऑफिस में फाइलें कम ही आती हैं. अगर वे अपने चुनाव क्षेत्र के किसी मरीज़ को एम्स इलाज के लिए भेजती हैं, तो उन्हें सहायता अक्सर नहीं मिलती, क्योंकि एम्स सीधे कैबिनेट मंत्री के अधीन है. लेकिन चूंकि वे सरकार में सबसे अच्छी इंग्लिश बोलने वाली मंत्रियों में हैं, इसलिए देशी-विदेशी डेलिगेशन से मिलना हो या किसी टेक्निकल सेशन में भाषण देना, सरकार उन्हें याद कर लेती है.
अपना दल (एस) के राष्ट्रीय अध्यक्ष और अनुप्रिया के पति आशीष पटेल कहते हैं कि सहयोगी दलों के प्रति बीजेपी का ये उपेक्षापूर्ण रवैया तब से शुरू हुआ है जबसे उत्तर प्रदेश में एनडीए की सरकार बनी है.
एक कार्यक्रम में अनुप्रिया को बुलाने से बीजेपी ने परहेज किया जिसके बाद से दोनों पार्टियों के संबंध काफी ख़राब हो गए हैं. मामला ये है कि एक मेडिकल कॉलेज के उद्घाटन कार्यक्रम में केंद्रीय स्वास्थ्य राज्य मंत्री अश्विनी चौबे को बुलाया गया था लेकिन अनुप्रिया को इसमें नहीं बुलाया गया. अनुप्रिया लगातार इस तरह के आरोप लगाती रही हैं कि 2017 में जब से राज्य में योगी सरकार आई है उनकी और उनकी पार्टी की उपेक्षा की जा रही है.
बीते कुछ महीनों में मिर्जापुर में भी बीजेपी नेताओं और अपना दल के स्थानीय नेताओं के बीच कहासुनी बढ़ी है. उधर, सुहेलदेव पार्टी के ओम प्रकाश राजभर ने ओबीसी आरक्षण में बंटवारे को लेकर बीजेपी नेतृत्व के खिलाफ मोर्चा खोले हुए हैं और अपना दल ने भी इस मामले को सुलझाने के लिए बीजेपी को 20 फरवरी तक का वक़्त दिया था लेकिन बात बन नहीं पाई.
आशीष पटेल कहते हैं, “मुख्य रूप से बीजेपी की प्रदेश इकाई का रवैया बेहद असहयोगात्मक है. सुहेलदेव समाज पार्टी और अपना दल (एस) के साथ आने से ही बीजेपी को दलितों-पिछड़ों का वोट मिला लेकिन सरकार बनने के बाद अब वो सहयोगी दलों की अहमियत को नज़रअंदाज कर रही है.”
अनुप्रिया पटेल ने 28 फ़रवरी को पार्टी की अहम बैठक बुलाई है. इस बैठक में कांग्रेस संग गठबंधन और एनडीए से अलग होने का फैसला लिया जा सकता है. हालांकि प्रियंका से मुलाकात को लेकर किसी भी तरह की टिप्पणी से इनकार करने वाले आशीष पटेल ने कहा कि हमारी नहीं सुनी गई, अब हम निर्णय लेने के लिए स्वतंत्र हैं. उन्होंने कहा कि गठबंधन धर्म ईमानदारी से निभाने के बावजूद हमारी नहीं सुनी गई. हमें सम्मान तक के लायक नहीं समझा गया. अब हम निर्णय के लिए स्वतंत्र हैं. बरेली में अनुप्रिया पटेल ने केंद्र सरकार और बीजेपी पर जमकर निशाना साधा. अनुप्रिया ने कहा कि बीजेपी को सहयोगी दलों की समस्याओं से कोई लेना-देना नहीं. अब अपना दल स्वतंत्र है अपना रास्ता चुनने के लिए. पार्टी की बैठक में आगे की रणनीति तय होगी.
यूपी की राजनीति को पुराने समय से जानने वाले लोग जानते हैं कि वे प्रमुख कुर्मी नेता रहे सोनेलाल पटेल की पुत्री हैं. सोनेलाल पटेल बसपा में सक्रिय रहे और बाद में उन्होंने अपना दल का गठन किया. लेकिन वे कभी कोई चुनाव जीत नहीं पाए. उनकी छवि पिछड़ों-दलितों के लिए संघर्ष करने वाले नेता की रही. 2009 में एक दुर्घटना में उनका निधन हो गया.
तब तक अनुप्रिया पटेल ने राजनीति में आने के बारे में सोचा भी नहीं था. लेकिन पिता की स्मृति सभा में उनके भाषण से इस बात का एहसास हो गया कि यूपी की राजनीति को एक प्रखर वक्ता मिलने वाला है. इसके बाद से उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा.
अनुप्रिया पटेल की पहचान सामाजिक न्याय के लिए संघर्ष करने वाली नेता की रही है. 2013 में यूपी लोक सेवा आयोग की परीक्षाओं में त्रिस्तरीय आरक्षण लागू करने की मांग को लेकर उन्होंने काफी संघर्ष किया और इस दौरान उन्हें तीन बार गिरफ्तार भी किया गया. ये एक ऐसा समय था, जब यूपी सरकार उनकी सभाओं को विफल करने के लिए तमाम कोशिशें कर रही थीं. उन पर दर्ज किए गए कई मुकदमे अब भी चल रहे हैं. अनुप्रिया पटेल की शिकायत रही है कि सरकार किसी भी पार्टी की हो, पिछड़ों को उनकी आबादी के अनुपात में राजकाज में हिस्सा नहीं मिलता है.
अब समय ही बताएगा अनुप्रिया का भविष्य
लेखिका सबलोग के उत्तर प्रदेश ब्यूरो की प्रमुख हैं |