देश

अमृत महोत्सव एक नई दृष्टि

 

गौरतलब है कि भारत वर्ष (2022 ) में 15 अगस्त को अपना 75 वाँ स्वतन्त्रता दिवस मना रहा है। इस अवसर को चिन्हित करने के लिए भारत सरकार ने ‘आजादी का अमृत महोत्सव, नेशन फर्स्ट, ऑलवेज फर्स्ट, थीम के साथ विभिन्न कार्यक्रमों को आयोजित कर रही है। इसके अलावा सरकार इस खास मौके को आयोजित करने हेतु ‘हर घर तिरंगा’ अभियान के माध्यम से देशभर में तिरंगा फहराने को प्रोत्साहित कर रही है। किन्तु हम भारतीय 15 अगस्त को ही क्यों आजादी महोत्सव मानते हैं इस पर नजर डालें तो स्पष्ट होता है कि भारत 15 अगस्त को अपना स्वतन्त्रता दिवस पहले से नहीं मना कर था जिसका मुख्य था कि वर्ष 1930 से 1947 तक भारत द्वारा 26 जनवरी को स्वतन्त्रता दिवस के रूप में मनाया गया जिसे बदल कर के बाद में 15 अगस्त कर दिया गया।

     दरअसल, अंग्रेज भारत को डोमिनियन स्टेट्स देना चाहते थे। लेकिन मोहम्मद अली जिन्ना, जवाहर लाल नेहरू, महात्मा गाँधी और तेज बहादुर सप्रू के प्रतिनिधित्व में भारतीय पूर्ण स्वतन्त्रता चाहते थे। इसको लेकर लार्ड इरविन और भारतीय प्रतिनिधित्व के बीच सभी वार्ताएं विफल रही। इसके बाद भारतीय राष्ट्रीय काँग्रेस ने 1929 में लाहौर अधिवेशन में ‘पूर्ण स्वराज’ की माँग प्रस्तावित किया। प्रस्ताव अपनाने के बाद पण्डित नेहरू ने 29 दिसम्बर 1929 को लाहौर में रावी नदी के तट पर राष्ट्रीय ध्वज फहराया। इसके बाद काँग्रेस द्वारा पूर्ण स्वतन्त्रता की माँग करते हुए 26 जनवरी 1930 को पहले स्वतन्त्रता दिवस के रूप में चुना गया। तब से 1947 तक भारत ने 26 जनवरी को अपना स्वतन्त्रता दिवस मनाया था। तत्पश्चात् वर्षों के संघर्ष बाद ब्रिटिश सरकार ने लार्ड माउंटबेटन को 30 जून 1948 तक भारत को सत्ता हस्तांतरित करने का आदेश दिया।

भारतीय राष्ट्रवाद की भूमिका

गौरतलब है कि लार्ड माउंटबेटन भारत के अन्तिम ब्रिटिश गवर्नर जनरल थे। तब उन्होंने 15 अगस्त 1947 को सत्ता हस्तांतरित करने का निर्णय लिया। हांलाकि इस तिथि का चुनाव लार्ड माउंटबेटन ने द्वितीय विश्व युद्ध में जापान को आत्म समर्पण की वर्षगाँठ को चिन्हित करने के लिए किया था। दरअसल जापान ने हिरोशिया और नागासाकी परमाणु हमलों में बुरी तरह क्षतिग्रस्त होने पर 15 अगस्त 1947 को मित्र राष्ट्रों के आगे आत्म समर्पण कर दिया था। इसका जिक्र लार्ड माउंटबेटन ने अपनी पुस्तक ‘फ़्रीडम एट मिडनाइट’ में किया है। माउंटबेटन के निर्णय के बाद ब्रिटिश हाउस ऑफ कॉन्मेंस ने 4 जुलाई 1947 को भारतीय विधेयक अधिनियम पारित किया। इसके तहत ही भारत का विभाजन हुआ और पाकिस्तान का निर्माण हुआ। पाकिस्तान ने भी 1948 को अपना पहला स्मारक डाक टिकट जारी किया था। इसमें उसने 15 अगस्त 1947 को अपना स्वतन्त्रता दिवस के रूप में उल्लेखित किया। किन्तु बाद में तारीख बदल कर 14 अगस्त कर दिया।

          इस तरह भारत वर्ष 2022, में अपना 75 वाँ आजादी महोत्सव मना रहा है। जिसका निर्णय केंद्र सरकार ने 12 मार्च 2021 को लिया। क्योंकि राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी ने 12 मार्च 1930 को ही नमक सत्याग्रह आन्दोलन शुरू किया था जो कि 6 अप्रैल 1930 तक चला था और अब उसका 91 वें वर्ष पूर्ण हुआ है। इसलिए इस महोत्सव की शुरुआत 12मार्च 2021 से लेकर अगस्त 2023 तक चलेगा। जो कि 388 किलोमीटर की पग यात्रा से शुरू हुई अहमदाबाद के साबरमती आश्रम से लेकर नवसारी में दांडी तक रही है। जिसका उद्देश्य देशभक्ति को जागृत करना।

यही कारण है कि वर्ष 2021 में 75 स्थानों पर एक साथ कई कार्यक्रमों का आयोजन हुआ। जिसके अध्यक्ष केंद्रीय मन्त्री अमित शाह जी रहे। इस कार्यक्रम का मूल उद्देश्य देशभर के लोगो को देश प्रेम के प्रति समर्पण की भावना को विकसित करना। विशेष रूप से वर्ष 2020, 2021 के ओलम्पिक खेलों में पदक जीतने वाले खिलाड़ियों को शामिल होने के लिए आमंत्रण भी भेजा गया है। इस महोत्सव के अन्तर्गत ब्रम्हाकुमारी संस्था द्वारा आयोजित साल भर के चलने वाले अमृत महोत्सव की मुख्य भूमिका रही हैं। जिसका अनावरण भारत के प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी द्वारा ‘आजादी महोत्सव से स्वर्णिम भारत की ओर’ कार्यक्रम द्वारा किया गया। भले ही यह संस्था निजीकरण पर बल देती हैं किन्तु यह भारतीय आध्यात्म को जोड़ने की भूमिका में अपना अहम योगदान देती हैं आज 130 देशों में यह संस्था भारतीय आध्यात्म का प्रतिनिधित्व करती है। यही कारण रहा कि प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी द्वारा इस महोत्सव में सात अन्य पहलुओं की शुरुआत की गई–

  1. मेरा भारत स्वस्थ भारत
  2. आत्म निर्भर भारत: आत्म निर्भर किसान
  3. महिलाएं भारत की ध्वजवाहक
  4. शांति बस अभियान की शक्ति
  5. अनदेखा भारत साईकिल रैली
  6. युनाइटेड इंडिया मोटर बाइक अभियान
  7. स्वच्छ भारत अभियान के तहत हरित पहल

 इसी महोत्सव के तहत हाल ही में प्रधानमन्त्री नरेंद्र मोदी ने‘ हर घर तिरंगा’ अभियान की शुरूआत की जिसकी पहल करते हुए स्वयं सोशल मीडिया के सभी प्लेट फार्म पर तिरंगा डीपी को लगाकर देशभर के लोगों से अपील लिया किया कि सभी लोग अपने घरों में तिरंगा लगाएं और प्रचार अभियान में अपना योगदान दें।

 

भारतीय तिरंगे का निर्माण पिंगली वेंकैया ने वर्ष 1921 में किया था। जो 22 जुलाई 1947 को राष्ट्रीय ध्वज के रूप में अपनाया गया। इस अभियान में लागत मूल्य की बात करें तो विभिन्न कंपनियों के सामाजिक फंड द्वारा खर्च किया जाएगा। इसी सन्दर्भ में कार्पोरेट मंत्रालय द्वारा हाल ही में एक परिपत्र जारी किया गया। जिसका उद्देश्य अमृत महोत्सव को बढ़ावा देना है जिसमें निजी कम्पनियां भी भाग ले सकती हैं। इसके लिए एक अगस्त से नागरिक 1.6 लाख डाक घरों में से किसी से भी राष्ट्रीय ध्वज खरीद सकते हैं। डाक घरों में राष्ट्रीय ध्वज की संभावित कीमत 9 से 25 रुपए के बीच होगी। यह अनुदान सरकार द्वारा किया जा रहा है। सरकार ने 13 अगस्त से 15 अगस्त के बीच हर घर तिरंगा अभियान के तहत 20 करोड़ परिवारों द्वारा झंडा फहराने का लक्ष्य रखा है। गौरतलब है कि इस अभियान को सुविधाजनक बनाने के लिए पिछले वर्ष ‘भारतीय झंडा संहिता’ में संशोधन किया गया।

दरअसल ‘फ्लैग कोड के अनुसार पहले केवल हाथ से बने हुए या हाथ से काते हुए झंडे की ही अनुमति थी। संशोधन के पश्चात् अब पॉलिएस्टर और मशीन से बने तिरंगे का प्रयोग कर सकते हैं। विभिन्न मंत्रालयों, गवर्मेंट –ई–मार्के॓टप्लेश पोर्टल के माध्यम से कार्यालयों के लिए लिए झंडे का आर्डर दे सकते हैं। इस संहिता की शुरुआत वर्ष 2002 में हुई थी। जिसका मूल उद्देश्य है तिरंगे का सम्मान और उसकी गरिमा को बनाए रखते हुए उसके अप्रतिबंधित प्रदर्शन को अनुमति देना। अनुच्छेद 51, 51 A के अनुसार भारत के प्रत्येक नागरिक का कर्तव्य होता है कि वह संविधान के नियमों का पालन करें और उसके आदर्शों पर चलकर संस्थाओं पर राष्ट्रीय ध्वज और राष्ट्रगान का सम्मान करें।

      इसी के अन्तर्गत राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय द्वारा इस वर्ष स्वतन्त्रता सेनानियों को श्रद्धांजलि अर्पित करने हेतु आजादी का अमृत महोत्सव: 22 वाँ भारत रंग महोत्सव का आयोजन कर रहा है। जिसमें 16 जुलाई से लेकर 14 अगस्त 2022 तक दिल्ली, भुनेश्वर, वाराणसी, अमृतसर, बेंगलुरु और मुंबई सहित कई स्थलों पर लगभग 30 नाटकों का मंचन किया जाएगा। इस कार्यक्रम का आयोजन दिल्ली नोडल एजेंसी संस्कृति मंत्रालय द्वारा किया जा रहा है। इसकी थीम स्वतन्त्रता सेनानियों और बलिदान गाथा पर केन्द्रित है। जिसका पहला मंचन 9 अगस्त को चंद्रकांत तिवारी द्वारा ‘मैं सुभाष हूं’ से प्रारम्भ होगा। इसी तरह 10 अगस्त को डाक्टर मंगेश बसोंड द्वारा ‘गाँधी–अंबेडकर का मंचन, 11 को रूपेश पवार द्वारा निर्देशित नाटक ‘अगस्त क्रांति’ 12 को सुनील जोशी द्वारा निर्देशित नाटक ‘तिलक और अग्रकर’ और 13 को नजीर कुरैशी द्वारा निर्देशित ‘रंग दे बसंती चोला’ जैसे अनेक नाटकों के मंचन के माध्यम से देशभर में यह अमृत महोत्सव मनाया जाएगा। इसी क्रम में सभी राज्य सरकारों ने भी अनेक संस्थाओं, विभागों के माध्यम से देशभर में इस आयोजन को विस्तार देने हेतु दिशा निर्देश जारी कर रहा है। जैसे 15 अगस्त का सभी ऐतिहासिक स्थलों में फ्री एंट्री, पौधारोपण, स्थानीय सेनानियों के प्रति जागरूकता अभियान, स्लोगन, लेखन प्रतियोगिता इत्यादि। इन सभी आयोजनों का मूल उद्देश्य है कि– ‘भारतीय जनमानस में श्रीराम भगवान की भांति मातृ भूमि के प्रति भी प्रेम और सहानुभूति की भावना को जागृत कर समर्पण और त्याग के प्रति जागरूक किया जा सके।

जो भारत कल तक सोने की चिड़िया था उसे आज में बदल कर अत्याधुनिक भारत का निर्माण किया जा सके और सोने की चिड़िया के रूप देखा जा सकें। अत: सभी से अनुरोध है कि सरकार की पहल हर घर तिरंगा अभियान में अपना पूर्ण सहयोग करें

जब हर हाथ तिरंगा होगा।
तब भारत देश तिरंगा होगा।।
 जय हिन्द जय भारत

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रेशमा त्रिपाठी

लेखिका अवधेश प्रताप सिंह विश्वविद्यालय रीवा, मध्य प्रदेश में शोध छात्रा हैं। सम्पर्क +919415606173, reshmatripathi005@gmail.com
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