चुनावी बवाल के बीच भाजपा ने फहराया जीत का परचम
पंचायत चुनाव में शुरुआत के खराब प्रदर्शन के बावजूद भारतीय जनता पार्टी आखिरकार जिला पंचायत और क्षेत्र पंचायत के अध्यक्ष सीट पर बंपर तरीके से कब्जा जमा लेने में कामयाब रही। जिला और क्षेत्र दोनों ही पंचायतों की ज्यादातर अध्यक्ष पद की कुर्सियों पर सत्ताधारी भाजपा का कब्जा हो गया। जिला पंचायत अध्यक्ष की 75 में 65 सीट पर भाजपा काबिज हो गयी। दो जिलों में भाजपा के सहयोगी दल, तीन पर निर्दलीय और महज पांच जिलों की सीट पर प्रमुख विपक्षी दल सपा जीत दर्ज करा सकी। किसान नेता राकेश टिकैत के क्षेत्र मुजफ्फर नगर में भी भाजपा ने जीत दर्ज कराया। राकेश बालियान (टिकैत) के गृह जनपद में तो उनके प्रत्याशी को मात्र चार वोट ही हासिल हो सके।
इसी प्रकार क्षेत्र पंचायत अध्यक्ष यानी ब्लॉक प्रमुख के लिए 825 में 635 सीटों पर भाजपा ने कब्जा जमाया। गौर करने की बात यह है कि 349 सीटों पर निर्विरोध जीते। राजधानी लखनऊ का ही मामला लें। यहाँ आठ में सात सीटों पर भाजपा ने जीत दर्ज कराई, बाकी बची एकमात्र सीट पर निर्दलीय प्रत्याशी जीता। खास बात यह है कि पंचायत चुनाव में सदस्य को जिताने में भाजपा भले ही ज्यादा कामयाब न हो पाई पर जिला पंचायत अध्यक्ष और ब्लॉक प्रमुख की कुर्सी हासिल करने के लिए भाजपा ने हर तरह के हथकंडों का खुला प्रयोग किया। जगह – जगह फायरिंग, मारपीट जैसी वारदातें होती रहीं। ताज्जुब की बात यह है कि मनबढ़ लोग मनमानी तरीके से बवाल करते रहे और पुलिस बैकफुट पर रहते हुए ज्यादातर मामले में तमाशबीन हाल में दिखी।
फायरिंग, पथराव और पर्चे की छीना झपटी
जिला पंचायत अध्यक्ष का चुनाव हो या ब्लॉक प्रमुख का चुनाव, दोनों ही चुनाव में जगह जगह जमकर बवाल हुआ। इटावा जिले के बढ़पुरा में ब्लाक प्रमुख के चुनाव में मतदान के दौरान कई राउंड फायरिंग कर दहशत का माहौल बनाया गया। रोकने की कोशिश पर एक भाजपा नेता ने एसपी सिटी प्रशांत कुमार को थप्पड़ मार दिया। पुलिस अफसर को थप्पड़ मारने की दुस्साहसिक घटना से गुस्साए पुलिसकर्मियों ने आंसू गैस के गोले छोड़े। बवाल के चलते वहाँ एक घंटा से ज्यादा समय तक मतदान बाधित रहा।
हमीरपुर, अमरोहा, चंदौली, उन्नाव, गोंडा समेत कई जिलों में बवाल हुआ। उन्नाव जिले में तो हद हो गयी। चुनाव कवरेज करने गये एक न्यूज़ चैनल के पत्रकार को वहाँ तैनात मुख्य विकास अधिकारी ने एक सफेदपोश नेता के साथ मिलकर पीट दिया। इस घटना से क्षुब्ध पत्रकार धरने पर बैठ गये। इस घटना के विरोध में पत्रकारों के समूह आन्दोलित होने लगे। कानपुर, लखनऊ, सीतापुर, प्रयागराज, वाराणसी आदि जिले के पत्रकारों में विरोध के स्वर तेज होने लगे। पत्रकारों का विरोध बढ़ता देख उन्नाव के मुख्य विकास अधिकारी ने भुक्तभोगी पत्रकार के घर जाकर माफी मांगी। बड़े ही नाटकीय तरीके से उक्त पत्रकार ने क्षतिग्रस्त हुए दो मोबाइल सेट पाने के बाद माफी भी दे दी।
गोंडा में कई राउंड फायरिंग में घंटों दहशत का माहौल रहा। बताया जा रहा है कि गोंडा जिले के कटरा बाजार में ब्लॉक प्रमुख चुनाव के लिए पर्चा खरीदते समय सपा और भाजपा के कार्यकर्ता आपस में भिड़ गये। जमकर पथराव हुआ। सपा के पूर्व विधायक बैजनाथ दुबे की गाड़ियों पर पत्थर बरसाए गये। उनकी गाड़ी के गेट और शीशे तोड़ दिए गये। बवाल बढ़ता देख पुलिस को हवाई फायरिंग करनी पड़ी। पूर्व विधायक बैजनाथ दुबे ने आरोप लगाया कि उनकी पार्टी के प्रत्याशी पंकज गोस्वामी को पर्चा नहीं लेने दिया जा रहा था। इसे लेकर दोनों पक्षों में बवाल हुआ। उधर, हरदोई में भी नामांकन के दौरान फायरिंग व पथराव हुआ। यहाँ 19 में भाजपा के 8 निर्विरोध ब्लाक प्रमुख चुने गये।
सीतापुर जिले में भी बमबाजी व फायरिंग हुई। इसमें एक व्यक्ति घायल हो गया। कन्नौज में पथराव के साथ फायरिंग हुई। कानपुर देहात के रसूलाबाद में ब्लॉक प्रमुख पद के लिए नामांकन के दौरान भाजपा और सपा के कार्यकर्ता आमने-सामने आकर नारेबाजी करने लगे। देखते ही देखते पथराव और फायरिंग की घटना हुई। बाराबंकी में पंद्रह में ग्यारह सीट पर भाजपा ने कब्जा जमाया। झांसी में आठ ब्लॉक प्रमुख की सीटों में पांच पर भाजपा, दो पर सपा और एक सीट पर निर्दलीय ने जीत दर्ज कराई। झांसी में आठ में पांच सीट पर भाजपा, दो पर सपा और एक सीट पर निर्दलीय प्रत्याशी जीता। बाराबंकी में पंद्रह में ग्यारह सीट पर भाजपा ने जीत दर्ज कराई।
ब्लॉक में झाड़ू लगाने वाले युवक की पत्नी को ब्लॉक प्रमुख की कमान
इसे संयोग ही कहा जाएगा कि जिस ब्लॉक में पति झाड़ू लगाया करता है, वहाँ ब्लॉक प्रमुख की कमान उसकी पत्नी ने संभाल लिया। बतौर भाजपा प्रत्याशी वह सर्वसम्मति से निर्विरोध ब्लॉक प्रमुख चुन ली गयीं। सहारनपुर जिले के बलिया खेड़ी ब्लॉक में सुनील नामक युवक सफाई कर्मचारी है। वहाँ किसी प्रत्याशी ने पर्चा दाखिल नहीं किया। ऐसे में अनुसूचित जाति की महिला सोनिया (26) बलिया खेड़ी ब्लॉक में ब्लॉक प्रमुख बन गयी।
गौरतलब है कि यूपी में सात – आठ महीने बाद ही विधानसभा का चुनाव होने जा रहा है। सियासी क्षेत्र में इसे विधान सभा चुनाव का ट्रायल भी माना जा रहा है। बहरहाल, जिला पंचायत और क्षेत्र पंचायत अध्यक्ष की कुर्सी के लिए जिस तरीके से साम-दाम, दण्ड -भेद अपनाए गये चुनावी लोकतन्त्र के लिए इसे उचित तो कत्तई नहीं कहा जा सकता। आसानी से सहमत भले ही न हों पर आवाम के बीच इसका सामाजिक संदेश काफी गलत गया है।