सामयिक

सड़क सुरक्षा की महत्वत्ता याद दिलाती ‘अनएकेडमी रोड सेफ्टी वर्ल्ड सीरीज़’

 

2008 में तड़क-भड़क के साथ आईपीएल की शुरुआत हुई। सेट मैक्स में आने वाले आईपीएल को सोचकर ही मन रोमांचित हो रहा था। इंटरनेट से पहले वाले काल में किताबों के पन्नों में खिलाड़ियों की लिस्ट बना पन्ने पलट पेज़ नम्बर के हिसाब से चौके छक्के मारने से लेकर क्रिकेट ग्राउंड तक क्रिकेट ही क्रिकेट था। सचिन, सहवाग और धोनी को एक-दूसरे के खिलाफ़ खेलते देख दर्शकों के बीच आईपीएल की लोकप्रियता बढ़ती गयी। रिकी पोंटिंग, शेन वार्न, फ्लिंटॉफ से लेकर विश्व का हर बड़ा क्रिकेटर इस लीग में शामिल हुआ। अपने तेरह वर्षों के सफर में आईपीएल ने लोकप्रियता के साथ बहुत से विवाद देखे, आईपीएल के शुरुआती सितारों में अब कुछ ही अपने आखिरी वर्षों का क्रिकेट खेल रहे हैं।

 पिछले कुछ वर्षों में विश्व क्रिकेट के पटल पर ऐसे बड़े खिलाड़ी कम ही हुए हैं जो सिर्फ अपने नाम से ही भीड़ खींचने में समर्थ हों। इस बीच पिछले कुछ वर्षों से सड़क सुरक्षा को लेकर एक क्रिकेट सीरीज़ खेली जा रही है ‘अनएकेडमी रोड सेफ्टी वर्ल्ड सीरीज़’। 5 मार्च से शुरू हुई इस सीरीज में पिछले साल कोरोना से पहले खेली जा रही अधूरी ‘अनएकेडमी रोड सेफ्टी वर्ल्ड सीरीज़’ के आगे का हिस्सा खेला जा रहा है। इस सीरीज़ को सड़क सुरक्षा के प्रति जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से खेला जा रहा है जहाँ आप सचिन, सहवाग, जोंटी रोड्स, युवराज, इऱफान पठान जैसे अपने पसंदीदा खिलाड़ियों को खेलते देख सकते हैं।

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बीसीसीआई द्वारा जिस तरीके से आईपीएल का प्रचार प्रसार किया जाता है वैसा इस सीरीज़ के लिए नही किया जाता। इसके पीछे कारण यही है कि यह सीरीज़ बीसीसीआई को वैसा राजस्व नही दे सकती जैसा आईपीएल देता है। किसी भी खेल को दर्शक ही बड़ा छोटा बनाते हैं। भारत में क्रिकेट आज जहाँ है उसका कारण है कि वह भारतीयों के बीच सबसे ज्यादा देखा और खेला जाने वाला खेल है। एक अच्छे उद्देश्य और लोगों के बीच सड़क सुरक्षा को लेकर जागरूकता लाने के लिए यह सीरीज़ देखी जा सकती है।

क्यों जरूरी है सड़क सुरक्षा के प्रति जागरूकता?

कार में खड़े होकर नाच रही दुल्हन के साथ बाकि बारातियों की खुशी तब मातम में बदल गयी जब सड़क पर चल रही बारात को चीरते हुए एक अनियंत्रित कार तेज़ी से निकल गयी, इस दुर्घटना में एक बाराती की मौत हो गयी थी। सोशल मीडिया पर वायरल इस वीडियो में हमें भारतीयों की सड़क सुरक्षा के प्रति लापरवाही का एक उदाहरण भर मिलता है।

भारतीय सड़क परिवहन मंत्रालय के वर्ष 2018 के सड़क हादसों के आंकड़े से हमें इनकी भयावहता का अनुमान लग जाता है। जिसके अनुसार वर्ष 2018 में लगभग डेढ़ लाख लोगों ने सड़क हादसों में अपनी जान गंवायी थी। सड़क पर वाहन चलाने की बात हो तो सीधी सड़क को सबसे सुरक्षित माना जाता है पर आंकड़ों के अनुसार उन डेढ़ लाख लोगों में से 97 हज़ार चालकों ने सीधी सड़क पर ही अपनी जान गंवाई थी। मोड़ों पर अपनी जान गंवाने वाले 20 हज़ार चालक थे। पुरुषों को वाहन चलाने में अधिक निपुण समझा जाता है और वाहन चालन में महिलाओं से अधिक संख्या पुरुषों की ही है। सड़क हादसों में मरने वाले 85 फीसदी पुरुष थे। 

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सड़क पर चलते हुए हम किसी उम्रदराज चालक की धीमी गति का उपहास उड़ाते हैं पर आंकड़ो के अनुसार तेज़ गति के कारण ही सबसे अधिक सड़क हादसे होते हैं। इन आंकड़ों के अनुसार डेढ़ लाख में से 98 हज़ार लोगों ने तेज़ गति के कारण ही अपनी जान गंवायी थी और उसमें 25-45 आयु वर्ग के युवा सबसे अधिक थे। ड्राईविंग लाइसेंस मिलने की आसान प्रकिया के कारण अप्रशिक्षित वाहन चालक सड़क पर उतर अन्य वाहनों के लिये खतरा बन जाते हैं। हाईवे पर हल्के और धीरे चलने वाले वाहनों को अपनी बायीं ओर चलना चाहिए पर ऐसे चालक अपनी लेन के मध्य और दायीं ओर तेज़ गति में चलते हैं। Whip on students without helmets - Fine and exam bar on law-breakers - Telegraph India

सड़क कानून पालन का सख्ती से पालन ना करवाए जाने के कारण बहुत से नाबालिग सड़क पर खतरनाक तरीके से वाहन चलाते दिख जाते हैं। युवाओं को महंगी और शक्तिशाली इंजन की बाइकों को चलाने का शौक़ होता है। बाइकों में पीछे से आते वाहनों को देखने के लिए प्रयोग में आने वाले शीशों को निकालकर और सिर की सुरक्षा के लिये प्रयोग में आने वाले हेलमेट का प्रयोग ना कर बहुत से बाइक चालक अपनी जान से हाथ धो बैठते हैं। तेज़ गति में चलते वाहन ट्रैफिक सिग्नलों पर रेड लाइट तोड़कर दुर्घटनाओं में शामिल होते हैं तो बहुत से वाहन सड़क पर लगे बैरियरों से टकरा जाते हैं। गलत दिशा में चलते वाहन भी बहुत सी दुर्घटनाओं के लिये जिम्मेदार होते हैं।

चार पहिया वाहन चालक सीट बेल्ट का प्रयोग नही करते हैं जो दुर्घटना होने पर उनके लिये जानलेवा साबित होता है। वाहन चलाते समय मोबाइल का प्रयोग करने की वजह से कई दुर्घटनाएं होती हैं।वाहन के इंडिकेटरों का प्रयोग ना करने के कारण या गलत इंडिकेटर प्रयोग के कारण भी कई वाहन दुर्घटनाग्रस्त होते हैं। शराब पीकर वाहन चलाने पर चालकों की सही समय पर निर्णय लेने की क्षमता समाप्त हो जाती है जिस कारण जरूरत पड़ने पर वाहन चालक सही समय पर ब्रेकों का इस्तेमाल करने में असमर्थ हो जाता है और तेज़ गति में अपनी लेन से हटकर वाहन चलाने पर अन्य लोगों के लिए भी खतरा बन जाता है।

सरकारी तंत्र की असफलता के कारण अपनी समयावधि पार कर चुके कामचलाऊ वाहन भी सडकों पर दौड़ते दिखते हैं। इनमें से बहुत से वाहनों का प्रयोग सवारियों को ढोने के लिए भी किया जाता है। सड़क पर अतिक्रमण तब तक नही हटता जब तक उसकी वजह से बहुत से वाहन दुर्घटनाग्रस्त ना हो जाएं। Bikaner- Roads Began To Break - बदहाल शहर की सड़कें: कहीं गहरे गड्ढे तो कहीं डामर ही गायब, जिम्मेदार मौन | Patrika News

खराब गुणवत्ता से बनी सड़कों पर समय से पहले ही गहरे गड्ढे बन जाते हैं और उसके आस-पास के लोग भी उनसे होने वाली दुघर्टनाओं पर उन गड्डों को भरने की जगह मूकदर्शक बन सरकार द्वारा उन्हें भरने का इंतज़ार करते हैं। बहुत से ड्राइवर हाई और लो बीम की सही जानकारी नही रखते हैं और ना ही इनका प्रयोग करते हैं। लम्बी दृश्यता के लिये हाई बीम का प्रयोग किया जाता है। रात्रि में सामने से गाड़ी आने पर लो बीम कर उसको अच्छी दृश्यता दी जाती है क्योंकि हाई बीम की वजह से अंधेरे में सामने से आने वाले वाहन चालक को कुछ देर की लिए कुछ नही दिखता है।

शहरों में लो बीम और हाईवे में हाई बीम का प्रयोग किया जाना चाहिए।

ट्रैफिक पुलिस सड़क दुर्घटनाओं को रोकने के लिए सड़क पर चलने के नियमों का पालन करवाती है। ट्रैफिक पुलिस को बहुत से बाहरी दबाव में भी काम करना पड़ता है और यदि इन अनावश्यक दबावों से पुलिस को मुक्त रखा जायेगा तो सड़क दुर्घटनाओं में आसानी से कमी लायी जा सकती है। मोटर यान संशोधित बिल 2019 में ट्रैफिक नियमों के उल्लंघन पर जुर्माने और सजा को और भी कड़ा कर दिया गया है जिससे भविष्य में इन दुघर्टनाओं में कमी की उम्मीद की जा सकती है।

सड़क पर चल रहे पैदल राहगीरों के साथ होने वाले हादसों को सड़क के दोनों ओर अधिक से अधिक फुटपाथ बना कर कम किया जा सकता है। सड़क पार करने के लिये जेब्रा क्रॉसिंग का प्रयोग किया जाना चाहिए। ज्यादा भीड़भाड़ वाली जगह पर फुटओवर ब्रिज बनाए जाने चाहिए। साइकिल में चलने वालों के लिए पुरे भारत में चंडीगढ़ की तर्ज़ पर अलग लेन बनायी जा सकती हैं। प्रतिवर्ष लाखों की संख्या में हो रहे इन हादसों को रोकने के लिए जनता को सड़क सुरक्षा पर जल्द जागरूक होना होगा।

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हिमांशु जोशी

लेखक उत्तराखण्ड से हैं और पत्रकारिता के शोध छात्र हैं। सम्पर्क +919720897941, himanshu28may@gmail.com
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