कोरोना का वैक्सीन : ये कैसी सियासत?
हद हो गयी। कोविड 19 त्रासदी से देश से लेकर विदेश तक, पूरा विश्व जूझ रहा है। ला-इलाज वैश्विक बीमारी कोरोना से भयभीत लोगों को आठ-दस महीने घर में नजरबंद रहना पड़ा। बहु प्रतीक्षित वैक्सीन तैयार होकर अपने देश पहुंची ही थी कि राज्य के प्रमुख राजनैतिक दल में शुमार समाजवादी पार्टी (सपा) के मुखिया अखिलेश यादव के पालिटिकल फैसले से भूचाल के हालात बन गए हैं। हैरान करने वाली बात यह कि वैज्ञानिकों ने दिन रात मेहनत कर वैक्सीन तैयार किया। पर जैसे ही वैक्सीन अपने देश पहुंचा वैसे ही इस पर राजनीति का ग्रहण लग गया। देश के लोगों की सारी खुशी स्वार्थ के राजनीतिक दांव-पेंच में फंस गयी। दो जनवरी को समाजवादी पार्टी (सपा) के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने यह कह कर लोगों को चौंका दिया कि भाजपा सरकार द्वारा लाई गयी वैक्सीन और इलाज का बहिष्कार किया जायेगा। इतना ही नहीं आम लोगों से भी वैक्सीन के बहिष्कार की अपील कर दी।
महत्वपूर्ण यह कि उनका यह सार्वजनिक बयान उस समय आया जब पूरा देश नए साल और वैक्सीन आने की दोहरी खुशी में मना रहा था, तभी उनके इस बयान ने पूरे देश को चौंका दिया। इतना ही नहीं, खुद समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ताओं को बगल झांकने को मजबूर कर दिया। सपा के एक पूर्व प्रदेश पदाधिकारी ने दबी जुबान सबलोग से कहा कि जनहित के ऐसे गंभीर मसले पर पार्टी और सियासी हित से अलग करके देखा जाना चाहिए।
गौरतलब है कि सपा मुखिया अखिलेश यादव का यह बयान तब आया जब इसके कुछ ही दिन पहले सपा के वाराणसी खंड स्नातक क्षेत्र के एमएलसी आशुतोष सिन्हा का चौंकाने वाला सार्वजनिक बयान आया था, जिसमें कहा गया था कि वैक्सीन टीका लगवाने से आदमी नपुंसक हो जायेंगे। याद दिला दें कि कोरोना के चरम-काल में प्राथमिक उपचार के समय भी एक अफवाह, खासकर मुस्लिम बाहुल्य इलाके में व्यापक तरीके से फैलायी गयी थी, जिसमें इलाज कराने तक से लोगों को रोका जा रहा था।
बहरहाल, अखिलेश यादव के 2 जनवरी को दिये गए इस सार्वजनिक बयान पर उनकी जमकर आलोचना हो रही है। खुद उनके परिवार में लोग सहमत नहीं हैं। समाजवादी पार्टी (सपा) के संरक्षक मुलायम सिंह यादव की बहू अपर्णा यादव ने अखिलेश यादव के बयान पर आपत्ति जाहिर करते हुए 4 जनवरी को दिये गए एक सार्वजनिक बयान में साफ तौर पर कहा है कि वैक्सीन पर राजनीति नहीं की जानी चाहिए। देश और भयंकर बीमारी से जूझ रही देश की जनता से बढ़कर तो राजनीति नहीं ही है। जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुला ने स्पष्ट कहा – कोरोना टीके का किसी सियासी दल से नहीं, बल्कि इंसानियत से रिश्ता है, हम तो खुशी – खुशी टीके लगवाएंगे।
सपा अध्यक्ष के बयान पर भाजपा पीछे नहीं रही। भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष और राज्य सरकार के मौजूदा डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्या ने पलटवार करते हुए प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि यह वैज्ञानिकों का अपमान है। उन्होंने तो यहाँ तक कह डाला कि अखिलेश को वैक्सीन पर भरोसा नहीं है और देश को तो पहले से ही अखिलेश यादव पर भरोसा नहीं है, उनको बुरी पराजय देकर आवाम ने अपनी मंशा साफ कर दी है। मामला यहीं नहीं थमा। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्रदेव सिंह ने तीखा बयान दे डाला। प्रेस कांफ्रेंस में उन्होंने चुटकी लेते हुए कहा कि अखिलेश यादव भ्रमित हैं। अखिलेश यादव को टैग करते हुए उन्होंने ट्वीट किया कि पहले से पोषित भ्रष्टाचार और गुंडाराज को समाप्त करने के लिए भाजपा की वैक्सीन कारगर साबित हुई, आप कहीं उस वैक्सीन की तो बात नहीं कर रहे हैं…?
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भाजपा के प्रदेश मंत्री ने कहा कि इलाज- टीके और वैक्सीन, किसी पार्टी विशेष या सरकार के नहीं होते, वे वैज्ञानिकों के दिन – रात की कड़ी मेहनत और शोध का परिणाम होते हैं। अखिलेश यादव कम से कम इस पर तो राजनीति करने से बाज आयें। उधर, पीएम नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र के प्रभारी रहे भाजपा के वरिष्ठ नेता प्रभा शंकर पांडेय ने कहा कि वैक्सीन विरोध के बहाने अखिलेश यादव राजनीति की रोटी सेंकने से बाज आयें, उनका यह कहना कि सत्ता में आने पर फ्री में टीके लगवा देंगे… पूरी तरह से मुंगेरी लाल का सपना है। जनता असलियत जान चुकी है, जल्दी सत्ता में वापसी संभव नहीं है। भारत सरकार के स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने ऐलान किया है कि पहले फेज में तीन करोड़ लोगों देश में फ्री में वैक्सीन दी जायेगी। बहरहाल, मामला राजनीतिक बयानों का नहीं है, महत्वपूर्ण ये भी नहीं कि किसने क्या कहा, इस मसले पर सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण ये है कि कोरोना जैसे गंभीर वैश्विक संकट तक में ऐसी राजनीति का मतलब क्या है, ये मुल्क का अवाम जानना चाहता है।
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