रेडियो सूचना, शिक्षा और मनोरंजन प्रदान करने का सबसे सशक्त और प्रभावी माध्यम है। बदलते वक्त के साथ रेडियो में भी काफी परिर्वतन हुआ है। परन्तु, रेडियो ने अपने लक्ष्य के साथ कभी समझौता नहीं किया है। हमेशा श्रोताओं को सटीक और तथ्य परक सूचना प्रदान की है। हर साल 13 फरवरी के दिन विश्व रेडियो दिवस मनाया जाता है।
औपचारिक रूप से पहला विश्व रेडियो दिवस 2012 में मनाया गया। स्पेन रेडियो अकैडमी ने 2010 में पहली बार इसका प्रस्ताव रखा था। 2011 में यूनेस्को की महासभा के 36वें सत्र में 13 फरवरी को विश्व रेडियो दिवस घोषित किया गया। साथ ही 13 फरवरी को विश्व रेडियो दिवस के तौर पर यूनेस्को की घोषणा को संयुक्त राष्ट्र की महासभा ने 14 जनवरी, 2013 को मंजूरी दी। इस वर्ष के लिए निर्धारित की गयी थीम ‘न्यू वर्ल्ड, न्यू रेडियो’ है।
दरअसल, रेडियो ही एक ऐसा जनसंचार का माध्यम है, जिसके ज़रिये असंख्य लोगों तक सूचनाओं को पहुंचाया जा सकता है। खासकर गाँव, कस्बों और ऐसी जगहों पर रहने वाले लोगों तक, जहाँ संचार का कोई और अन्य माध्यम पहुँचना आसान नहीं है। 21वीं सदी में जहाँ सूचना की सटिकता पर प्रशन चिन्ह है। ऐसे वक्त में रेडियो पर भरोसा श्रोताओं का ओर अधिक बड़ा है। रेडियो श्रोताओं को जागरूक बनाने के लिए विभिन्न प्रोग्रामों के माध्यम सामाजिक दायित्व का निर्वहन कर रहा है।
आजादी के वक्त भारत के सामने तमाम सारी चुनौतियाँ थी। इन चुनौतियों और समस्याओं से पार पाने के लिए भारत सरकार ने रेडियो के महत्व को समझा और राष्ट की उन्नति के लिए उपयोग करना शुरू किया। भारत के सामने बढ़ती जनसंख्या और अकाल दो बड़ी समस्याएं थी। इसी के मद्देनजर रेडियो ने परिवार नियोजन और कृषि की बेहतरी के लिए कार्यक्रम बनाया और जागरूकता फैलाई। जिसका परिणाम यह रहा कि समाज में सकारात्मक परिर्वतन हुए।
मीडिया के अन्य माध्यमों की तरह ही रेडियो भी देश की तरक्की का साथी बना हुआ है। सबसे खास बात रेडियो की यह है कि अपने काम को करने के साथ कार्यक्रमों का आनंद लिया जा सकता है। रेडियो की प्राथमिकता में हमेशा से ही व्यक्ति की प्राथमिक जरूरतें अहम रही हैं। यही वजह है कि स्वास्थ्य, शिक्षा, रोटी, कपड़ा, मकान और कर्तव्यों और अधिकारों के प्रति जागरूकता के लिए समय – समय पर कार्यक्रमों का प्रसारण करता है। जिसमें विषय विशेषज्ञ भी शामिल होते हैं, साथ ही श्रोता वर्ग भी अपने प्रशन विशेषज्ञों से भी पूछ सकते हैं।
आकाशवाणी के साथ प्राइवेट रेडियो चैनल भी श्रोतावर्गों में खूब पसंद किये जाते हैं। ये चैनल न्यूज के आलावा सभी कार्यक्रमों को प्रसारित करते हैं। इंटरनेट की पहुँच आम जनता तक आसान होने की वजह से लगभग सभी रेडियो प्रसारणकर्ता नये माध्यम यानी सोशल मीडिया और इंटरनेट पर सीधा प्रसारण करते हैं। इंटरनेट यूजर्स आसानी से कहीं भी और कभी भी रेडियो का आनंद ले सकता है। इसके साथ ही रेडियो की नवीन शैली के रूप में पॉडकास्ट तेजी से विकसित हो रहा है।
वेबसाईटों ने खबरों को पढने के साथ ही सुनने के लिए पॉडकास्ट भी बनाना शुरू कर दिया है। यही रेडियो की सफलता है कि इंटरनेट के इस नये युग ने भी रेडियो को अपने साथ थाम लिया है।

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जब समाज चौतरफा संकट से घिरा है, अखबारों, पत्र-पत्रिकाओं, मीडिया चैनलों की या तो बोलती बन्द है या वे सत्ता के स्वर से अपना सुर मिला रहे हैं। केन्द्रीय परिदृश्य से जनपक्षीय और ईमानदार पत्रकारिता लगभग अनुपस्थित है; ऐसे समय में ‘सबलोग’ देश के जागरूक पाठकों के लिए वैचारिक और बौद्धिक विकल्प के तौर पर मौजूद है।
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