लड़कियों के बिंदास बेबाकीपन की बोल्ड कहानी फिल्म ‘वीरे दी वेडिंग’
नए ज़माने की फ़िल्म ‘वीरे दी वेडिंग’ के केंद्र में स्वच्छंद लड़कियों की बोल्ड कहानी है। एक लड़की की शादी है। और उसकी तीन सहेलियां इस शादी के लिए आई हुई हैं। चारों लड़कियां पुरानी दोस्त हैं और एक-दूसरे को वीरे कहती हैं। इन चारों में से एक वकील है। तलाक विशेषज्ञ। अपनी मां के कहने पर शादी के लिए लड़के देख रही है। दूसरी अपने पिता की मर्जी के विरूद्ध किसी अंग्रेज से शादी करके विदेश में रही है। एक बच्चे की मां है। तीसरी की शादी में पिता ने साढ़े तीन करोड़ रुपए खर्च कर दिए। मगर छह महीने में ही पति छोड़ कर वापस आ गई। चौथी की शादी है। जो सिर्फ अपने प्रेमी की खुशी के लिए शादी कर रही है।
रिश्तों को लेकर दो मत में रहने वाली युवा पीढ़ी पर हाल के बरसों में अनेक फिल्मों का निर्माण हो चुका है। वीरे को इसी का विस्तार कह सकते हैं। इस क़िस्म की फिल्मों में किरदारों की पृष्ठभूमि -में अमूमन माता पिता के झगड़े हुआ करते हैं। पुरानी यादें,दोस्त,आखिर तक पुरानी गांठों का खुलना, सब ठीक हो जाना इसमें होता है। फिल्म में यही सब है। चार लड़कियों की कहानी फ़िल्म को अलग करती है।
फ़िल्म चार महिला दोस्तों की ऐसी कहानी कहती है, जो शराब पीती हैं, सिगरेट पीती हैं, शादी से पहले सेक्स को बुरा नहीं मानतीं और न ही गाली देने से परहेज करती हैं। चारों का बिदांस अंदाज है। जिंदगी को लेकर स्वच्छंद बोल्ड अप्रोच है। वो केवल अपनी शर्तों पर जीना चाहती हैं। फ़िल्म की शुरूआत चार किशोर लड़कियों से होती है। जो लॉकर रूम में एग्जाम पर डिसकस कर रही।
12वीं की चार लड़कियों के साथ कहानी खुलती है। कालिंदी पुरी, अवनी शर्मा, साक्षी सोनी एवम मीरा सूद से। 12 वीं के लास्ट दिन में चारों स्कूल जाते हैं। लौटने पर कालिंदी के घर पर मोमेंट्स को सेलिब्रेट करते हैं। कालिंदी की फैमिली काफी ओपन माइंडेड है। चारों को सेलिब्रेशन के लिए शैंपेन दी जाती है। हालांकि अगले ही सीन में परिवार की दुखती रग भी सामने आ जाती है। बंद कमरे में कालिंदी के माता पिता लड़ाई में रिश्तों में आई खटास का एहसास होता है। मां बाप के बीच छिछले रिश्ते को देख कालिंदी मन ही मन जान लेती है कि ब्याह शादी बेकार है।
टाईम फ्लाई के ज़रिए कहानी दस साल आगे चली जाती है। चारों किशोर लड़कियां वयस्क हो चुकी हैं। सभी की जिंदगी में कालिंदी (करीना कपूर) की शादी से बदलाव आता है। कालिंदी कमिटमेंट करने से डरती है, लेकिन वो ऋषभ (सुमीत व्यास) से प्यार करती है। वो ऋषभ से शादी कर रही है। वहीं कालिंदी की दोस्तों की बात करें तो साक्षी सोनी (स्वरा भास्कर) जल्दीबाज़ी में की गई अपनी शादी से छुटकारा चाहती है। अपने पति से तलाक चाहती है। अवनी (सोनम कपूर) को शादी के लिए लड़के नहीं मिल रहे। मां उसकी शादी के लिए दबाव बना रही है। मीरा (शिखा) ने अपने परिवार के मर्जी के खिलाफ शादी की।
अभिनय की बात करें तो सभी कलाकारों ने किरदारों के साथ न्याय किया। करीना कपूर और सोनम कपूर ठीक रहीं। स्वरा भास्कर ने अपने किरदार को बखूबी पकड़ा। फिल्म में सोनम और करीना के रूप में सुपर स्टार थीं। लेकिन अभिनय के मामले में स्वरा और शिखा ने काफी प्रभावित करती हैं । साक्षी के रोल में स्वरा भास्कर काफ़ी प्रभावी हैं। स्वरा ने किरदार के डिटेल्स पर मेहनत की है। साक्षी के किरदार से गुजरते हुए सारा फोकस वहीं हो जाता है। दरअसल स्वरा के किरदार ने फिल्म को सुपरस्टार बना दिया। वहीं शिखा तल्सानिया भी कम नहीं। बाकी लोग भी ठीक रहे। चमक-दमक, रोशनी, धूम-धड़ाका, शराब, गालियां.. बेबाक़ीपन…बोल्डनेस क्या कुछ नहीं इस फिल्म में।
शशांक घोष के निर्देशन में बनी ये फिल्म नए जमाने के अनुरूप है। आज के समय में जिस तरह से लड़कियां अपनी मर्जी की जिंदगी चाहती हैं। शशांक ने आज के परिप्रेक्ष्य में कहानी को पर्दे पर उतारा। नए मूड की फ़िल्म देकर दिल जीत लेते हैं। फिल्म का बोल्ड विषय उसे ख़ास बना गया। इसके किरदार लम्बे समय तक चर्चा में रहें। बहुत कुछ ‘दिल चाहता है’ का फीमेल वर्जन। फिल्म खास दर्शकों को केटर करती है। एक शब्द में फिल्म के बारे में कहना हो तो इसे ‘बोल्ड’ कहना चाहिए। ट्रेलर से ही आप अंदाजा सकते हैं कि वीरे फैमिली नहीं बल्कि दोस्तों के साथ यानी की अपने ‘वीरे’ के साथ देखने वाली एंजॉय करने वाली फिल्म है। वीरे दी वेडिंग महिला मित्रों के जीवन, शादी, करियर, बच्चों, समाज द्वारा सुंदरता और नैतिकता के रूढ़िबद्ध मानकों के साथ उनके संघर्ष एवम जीत के बारे में हैं।