मुद्दा

भारतीय शिक्षित बेरोजगारों का भविष्य अंधकारमय और दिशाहीन –

  • डॉ. अरविन्द जैन
हमारे देश भारत नहीं इंडिया बाबा का भविष्य उस समय से तय हो चूका था जब से भारत का नाम इंडिया हुआ .इंडियन मतलब अपढ़ ,गंवार ,और असभ्य  यह परिभाषा ऑक्सफ़ोर्ड यूनिवर्सिटी ने दी हैं . सबसे पहले गरीबी अपने आप में अभिशाप हैं और उस पर आमदनी का जरिया न हो तो जीते जी मरना होता हैं ,जब छात्र 10 वी पास करने बाद उसके लिए डॉक्टर ,इंजीनियर आदि बनने का समय होता हैं तब वह उमंग के साथ अपने विषय का चयन करता हैं और उस दिशा में बढ़ता और पढता हैं .फिर उस हिसाब से कॉलेज जाकर अपनी उपाधि लेता हैं और फिर कुछ उच्चतम  शिक्षा लेकर अपने संजोयें सपनो के अनुरूप नौकरी तलाशता हैं क्योकि वह स्वप्न देखता हैं ,जमीनी हक़ीक़त से दूर रहता हैं और उसकी स्वप्न से निद्रा भग्न होती हैं तब वह धरातल पर आ गिरता हैं .औसतन 25 वर्ष वह अपनी पढाई लिखाई में भेट करता हैं और उसके बाद उसकी योग्यता के अनुरूप अधिकांश को नौकरी नहीं मिलती |
                     भाषणों /वादों से पेट की आग नहीं बुझती उसके लिए अन्न /भोजन चाहिए जिसके लिए पैसा और पैसे के लिए नौकरी /व्यापार या अपराध .हमारे देश में नौकरी और व्यापार कम हैं और अपराध बहुत हैं ,दुःख इस बात का होता हैं की जो छात्र या नवयुवक जिस विषय में पारंगत होता हैं उसके अनुरूप काम या नौकरी नहीं मिलती हैं ,नौकरी न मिलने का कारण सरकारी योजनाओं का क्रियान्वयन समुचित नहीं हैं .यह सच हैं की देश की आबादी के अनुरूप नौकरियां नहीं हैं पर जितनी भी हैं उनमे चयन और नियुक्ति पत्र समय पर न होने का कारण मात्र सुविधा शुल्क हैं . कारण परछाईं को जितना पकड़ने का प्रयास करो वह उतनी दूर भागती हैं .और थम जाओ तो मिल जाओ .
                       वर्तमान में हमारे देश के प्रधान सेवक ने 2014 में कहा था की मेरी सरकार प्रतिवर्ष २ करोड़ नौकरियां देगी और दे दी बेरोजगारियाँ ये सब सरकारी आकंड़े हैं .रेलवे की प्रथम ग्रेड की नौकरी जिसमे हेल्पर ,गैंगमैन ,केबिनमैन,कीमेन,ट्रैकमैन और वेल्डर की पोस्ट के लिए न्यूनतम शिक्षा 10 वी पास होनी चाहिए .और पद खाली थे  62,907  .इसके लिए आवेदन पत्र मात्र 1.9करोड़ 10 वी  पास अभ्यार्थी आये और 48.48 लाख उपाधि और उत्तर उपाधि धारकों ने भी आवेदन किया . रेलवे द्वारा जारी विज्ञापन में वेतन और भत्ते मिलाकर 18000 रुपये वेतन हैं आवेदन कर्ताओं का विभाजन इस प्रकार हैं  4.91लाख उपाधि धारक इंजीनियर और 41000 पोस्ट ग्रेजुएट ने 10 वीं पास की अर्हता के लिए आवेदन किया था और उपाधि धारी मैनेजमेंट की 86,000 आवेदन आये थे . रेलवे ने २ करोड़ आवेदन प्राप्त किये प्रथम ग्रेड के लिए . सरकार की तरफ से यह सूचना बताई गयी की अधिकांश लोग सरकारी नौकरी को प्राथमिकता देते हैं और कुछ लोग कहीं और नौकरी कर रहे हैं और इस वर्ग के लिए आवेदन कर रहे हैं .
                     नेशनल सैंपल सर्वे ऑफिस के मुताबिक वर्ष 2011-12 से 2017-18 के बीच आकस्मिक कामगारों की नौकरियों  से हाथ धोना पड़ा जिसमे लगभग 3 करोड़ मजदुर जो खेतिहर थे .और करीबन 4.7 करोड युवाओं को नौकरी से वंचित रहना पड़ा . पिछले वर्ष 1 करोड़ नौकरिया सरकार की गलत नीतियों के कारण नहीं भर पायी .वर्ष 1993-94 से देश में बेरोजगारी  का प्रतिशत बढ़ा हैं . वर्ष 2018 में मोदी सरकार ने मात्र 450 लोगों को प्रतिदिन नौकरी दी हैं जो ऊंट के मुँह में जीरा हैं .
                      इस प्रकार हम यदि एक विभाग रेलवे की देखे तो इससे समझ में आता हैं की पढ़े लिखे छात्र अब अपनी योग्यता से भी कमतर पद पर नौकरी करने बाध्य हैं ,जबकि उन्होंने कितना श्रम कर उपाधियाँ प्राप्त की और उनको अपेक्षित नौकरी नहीं मिल रही हैं ,इससे वे अच्छे हैं जो निरक्षर और अपढ़ हैं वे कम से कम श्रम कर अपना भरण पोषण कर लेते हैं जो भी जैसा मजदूरी का काम ,आजकल व्यापार की स्थिति ऐसी हो  गयी की रोजगार करने वाला बेरोजगार होता चला जा रहा हैं .जिसने स्वप्न देखे थे और उसे कोई मार्ग न सूझे तो वह क्या करेगा ,वह तड़पेगा जैसे प्रधानसेवक चुनाव के समय अपनी जीत के लिए वोट की  भीख मांगने तैयार हैं ,क्या वे भविष्य में यदि चुनाव हार जाते हैं तब भी उन्हें पदानुसार सब सुविधाएं मिलेंगी किसकी दम पर ,हम वोटरों की दम पर .और हम करदाताताओं के धन से
                         भारत वर्ष की प्रतिष्ठा विश्व स्तर पर बहुत हैं ,हम स्वर्णिम युग में जी रहे हैं और हमारे प्रधान सेवक पूरे विश्व में भ्रमण कर ,समझौता करके आये पर अब तक कितनों को नौकरी दी .इस चुनाव में यह मुद्दा विशेष रूप से होना चाहिए की भविष्य की क्या रूपरेखारहेंगी सभी पार्टियों की ,यदि यह क्रम जारी रहा तो स्थिति विस्फोटक हो जाएँगी .
                           इसके लिए जरुरी  हैं की  सरकार सुनियोजित ढंग से नौकरी का प्रबंधन  करे और जो युवा भारत का भविष्य हैं उन्हें अंधकार से प्रकाश की ओर आये अन्यथा युवा का भविष्य दांव पर लगा रहेगा और बिना नौकरी व्यवसाय के वे अपराध की दुनिया में जायेंगे और उन्हें मुफ्त में रहना  खाना सरकार की तरफ  से मिलेगा .
                      इसके लिए इंडिया का नाम भारत रखे अन्यथा हम वास्तव में असभ्य गंवार और अपढ़ माने जायेंगे और अब बहुत हो चुके भाषण ,अब हमें नौकरी और रोटी कपडा और मकान चाहिए .इससे कम में अब समझौता नहीं होगा .
 लेखक उपन्यासकार हैं तथा शाकाहार परिषद्, भोपाल  के संरक्षक हैं|
 सम्पर्क – 09425006753, arvindkumarjain1951@gmail.com
.
.
.

सबलोग को फेसबुक पर पढने के लिए लाइक करें|

Show More

सबलोग

लोक चेतना का राष्ट्रीय मासिक सम्पादक- किशन कालजयी
0 0 votes
Article Rating
Subscribe
Notify of
guest

0 Comments
Inline Feedbacks
View all comments

Related Articles

Back to top button
0
Would love your thoughts, please comment.x
()
x