keyoor pathak

  • सामयिक

    दंडकारण्य के द्वन्द

      जंगल के बाहर रहकर उसके भीतर की बेचैनी को नहीं समझा जा सकता। जीवन के बनने-बिखड़ने की प्रक्रिया वहाँ भी उतनी ही सामान्य होती है जितना कि तथाकथित सभ्य और विकसित दुनिया में। यह लघु आलेख जंगल में रहने…

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  • धर्म

    पीरला-पांडुगा: भारतीयता का उत्सव

      ताजुद्दीन, केयूर   धर्म और संस्कृति के मध्य इतनी पतली रेखा है कि कई बार धार्मिक दुराग्रहों की टकराहट में सांस्कृतिक मूल्यों और धरोहरों का भी गम्भीर नुकसान हो जाता और हम समझ भी नहीं पाते। आजकल यह प्रवृति…

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