राजकमल प्रकाशन
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पुस्तक-समीक्षा
21वीं सदी के भारतीय लोकतन्त्र में पहचान की राजनीति की पड़ताल ‘सुलगन’
संविधान लागू हुए बहत्तर साल होने को है। सकारात्मक विभेद (positive discrimination) के जरिए मुख्यधारा के वंचित समाज और आदिवासियों के सामाजिक अधिकार को सुनिश्चित करने का वादा अबतक जुमला ही साबित हुआ है। दलितों और आदिवासियों पर जुल्म…
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देश
विविधता में एकता का नाम है भारत
भारत एक बहुलतावादी देश है। जिसके कारण यहाँ बहुजातीय, बहुसांस्कृति और बहुधार्मिक मान्यताओं में विश्वास करने वाले लोग बसते हैं। यह अनेक संस्कृतियों का संगम स्थल है। भारत का सम्बन्ध किसी एक धर्म से न होकर अनेक धर्मों से…
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पुस्तक-समीक्षा
उसने गाँधी को क्यों मारा
गाँधी एक ऐसा शब्द है जिसे हमने बचपन से सुना, आज भी गाँधी के ऊपर सोशल मीडिया पर कोई पोस्ट चिपका दो तो पक्ष-विपक्ष वाले उन पर अपनी राय देने के लिए तैयार रहते हैं। महात्मा की हत्या करने…
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शख्सियत
धीमे भूकंप की तरह है सुबकना – यादवेन्द्र
यादवेन्द्र देहरादून में रहने वाले हिंदी के अनूठे कवि श्री लीलाधर जगूड़ी को 2018 के अखिल भारतीय व्यास सम्मान से विभूषित किए जाने की घोषणा की गई है। यह सम्मान उन्हें 2013 में राजकमल प्रकाशन से प्रकाशित कविता संकलन “जितने…
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