गजेन्द्र कान्त शर्मा
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पुस्तक-समीक्षा
अक्क महादेवी के बहाने एक मुक़म्मल किताब
21वीं सदी में जिस प्रकार एक वृत के अंदर बंद हो कर रहना मनुष्य की नियति है, उसी प्रकार वृत के संकीर्ण घेरे से बाहर निकल जाना भी उसकी प्रकृति है। मनुष्य अपनी ज्ञानपिपासा में अपने उस वृत के…
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विशेष
भारत में अँग्रेजी राज के पाँव उखाड़ी थी हिन्दी
कांग्रेस के जन्म से लगभग ग्यारह वर्ष पहले 23 मार्च 1874 की ‛कवि वचन सुधा’ में स्वदेशी के व्यवहार के लिए एक प्रतिज्ञा-पत्र प्रकाशित हुआ था, जिस पर कई लोगों के हस्ताक्षर थे। तब महात्मा गांधी की उम्र लगभग…
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स्मृति शेष
हिन्दी के अजब दीवाने थे बाबू अयोध्याप्रसाद खत्री
आमतौर पर खड़ी बोली हिन्दी का जनक भारतेंदु हरिश्चंद्र को ही समझा जाता है। निश्चित ही भारतेंदु हरिश्चन्द्र को खड़ी बोली की गद्य-भाषा का स्वरुप स्थिर करने और गद्य की विविध विधाओं को स्थापित करने का श्रेय है। इसलिए उन्हें…
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