साक्षात्कार

सच के करीब होना चाहिए लेखन – डॉ. सोहिल मकवाना

 

पिछले दिनों ट्विटर पर वायरल हुई तस्वीर वाले डॉक्टर से हमारे लेखक तेजस पूनियां ने बातें की थीं। उनके साथ टेलीफोनिक इंटरव्यू किया था। डॉ. सोहिल मकवाना जो कोविड विभाग में कार्यरत थे, देश सेवा के साथ-साथ पिछ्ले कुछ सालों में उनके भीतर एक लेखक ने भी जन्म लिया था। अब उनका ताजातरीन प्रकाशित उपन्यास ‘मर्डरम-द प्रोब बिगिन्स’ (MURDRUM – The Probe Begins) आया है। एक चिकित्सक के भीतर बसे इस लेखक से पुनः एक बार हुई बातचीत आपके लिए लेकर हाज़िर हैं हम। पिछली बार हमने कहा था विज्ञान और कला का समन्वय है डॉ. सोहिल मकवाना तो इस बार आइए रूबरू होते हैं उनके भीतर के कलाकार से। अपने जिस उपन्यास से लेखन क्षेत्र में डॉक्टर सोहिल उतरे हैं उसकी बिक्री से होने वाली कमाई को वे कोरोना मरीजों के लिए दान करने वाले हैं। दो खंडों में बंटे अभी उनके उपन्यास का पहला भाग/खंड प्रकाशित हुआ है। (- सबलोग)

प्रश्न – सबसे पहले आपको बहुत सारी बधाईयाँ और शुभकामनाएं कि आज देश में आपका नाम जाना माना है। और आप वायरल डॉक्टर के नाम से मशहूर हैं। चिकित्सा में योगदान देने के साथ-साथ लेखन में बतौर लेखक आपका मुक़म्मल तौर पर पहला उपन्यास आया है। अपनी इस लेखकीय यात्रा के बारे में हमारे पाठकों को कुछ बताएं। कैसे लेखन आरंभ हुआ और कैसे ये ख़्याल आया कि किताब भी निकालनी चाहिए।

उत्तर – मैंने एम.बी.बी.एस और एम.डी करने के बाद फोटोग्राफी करना शुरू किया, कुछ-कुछ पहले भी करता था। बाद में सीखता गया और प्रोफेशनली/व्यवसायिक रूप से फ़ैशन फोटोग्राफी करता था। काफ़ी कुछ सीखा तो वहाँ किसी ने कहा कि एक अमित खन्ना है जो फोटोग्राफर है, डायरेक्टर भी है। उनसे बात हुई तो मुझे लगा कि ये इतना मुश्किल भी नहीं है। कोई भी कर सकता है, डायरेक्टर बनना, फोटोग्राफर डायरेक्टर बनना। तो मुझे लगा कुछ करना चाहिए, आगे जाना चाहिए। लेकिन मैं अपनी जॉब भी नहीं छोड़ सकता था क्योंकि डायरेक्टर बनने के लिए मुंबई में रहना पड़ता है। तो मैंने सोचा कि अगर आप लेखक हो तो अपनी कहानी भेज सकते हो, उसमें पैसे भी मिलते हैं। और आप घर रहते हुए भी सीख सकते हैं। उसी सिलसिले में मैंने भी लेखन शुरू किया। बीच-बीच में फोटोग्राफी और डायरेक्शन भी। मुझे लिखने में बहुत मजा आता था तो मैंने करीब दस-बारह  फ़िल्म की स्क्रिप्ट लिख डाली। और बीच-बीच में मुंबई भी जाता रहता था, लोगों से मिलता था। एक दो प्रोजेक्ट शुरू भी हुए लेकिन फिर लॉक डाउन हो गया। फ़िल्म में बतौर असिस्टेंट डायरेक्टर भी काम किया ‘बाली’ नाम से मराठी फिल्म में। लॉकडाउन में शूटिंग बंद है सब जगह, समय इसी में जा रहा था। तो इस बीच मैंने एक वेबसीरीज लिखी थी। उसे मैंने उपन्यास में बदल दिया। वो है तो वेबसीरीज लेकिन उसे बदला है किताब के लिए। वैसे सोचा तो नहीं था कभी कि लेखक बनेंगे। स्कूल में तो लैंग्वेज में इतने नंबर भी नहीं आते थे। मुश्किल था सब लेकिन कहानी कहना, स्टोरी टेलिंग आता था। बस ऐसे ही लेखन चल रहा है अब तक।

प्रश्न – आपकी किताब जो एक उपन्यास है (अँग्रेजी नॉवल), की बेसिक सी कहानी क्या है? और क्यों लोग इसे पढ़ें?

उत्तर – इसमें एक अनाथ लड़की की कहानी है। जो 28-30 साल की है। क्राइम ब्रांच में जाना चाहती है। ऑफिसर बनना चाहती है लेकिन किसी वजह से नहीं जा पाती वहाँ। फिर एक बार इंटर्नशिप में उसका नंबर लगता है तो वहाँ कम्प्यूटर में डाटा कलेक्शन करने का काम दे दिया जाता है। इंटर्नशिप में ज्यादा सीखने को नहीं मिलता उसे। लेकिन वो बचपन से होशियार है, वहाँ धीरे-धीरे सिस्टम के अंदर तक घुसती है। खुफिया जानकारी निकालती है। तो उसी दौरान उसे एक सीरियल किलर के बारे में पता चलता है। जो सालों से लोगों को मार रहा है। उसके बारे में स्कैंडल का भी पर्दाफ़ाश करती है, फॉरेंसिक जांच करके। इस उपन्यास के पहले भाग में यही सब कुछ है उपन्यास के दूसरे भाग में इससे आगे की कहानी को दिखाया जाएगा। कि उस लड़की के साथ क्या हुआ, उस किलर का क्या हुआ आदि-आदि। इसके अलावा भी काफ़ी लोग इस किताब को, नॉवेल को खरीद रहे हैं। अच्छा रिस्पॉन्स भी मिल रहा है।

बाकी रही पढ़ने की बात तो वो इसलिए पढ़ा जाए कि इसमें जो पात्र हैं वो नये हैं, कहानी नई है। कंटेंट फ्रेश यानी ताजातरीन सा है। इसमें जो घटनाएं निहित हैं वो दुनिया में कहीं न कहीं घटी हैं। सच्ची घटनाओं का सम्मिश्रण है इसमें। इससे पहले आपने सुना, देखा नहीं होगा ऐसा इसे पढ़कर पाठक वर्ग चौंकेगा। बाकी गूगल करने पर वो सब निकलेगा लेकिन इसमें अतिरिक्त जो है वो यह कि फोरेंसिक साइंस इसमें है। इतना एडवांस कंटेंट आपको कहीं नहीं मिलेगा। हालाँकि सीरियल किलर की कहानी काफी समय से चल रही है बॉलीवुड में लेकिन उसका उद्देश्य, उसका तरीका उसका मनोविज्ञान ये सब उपन्यास में नये हैं। इसमें जो एडवांस डायलॉग्स हैं वो नये हैं। बाकी अगर कोई अच्छा प्रोडक्शन हाउस मिलता है तो इसे वेबसीरीज के रूप में बनाया जाएगा। क्योंकि वही इसके साथ न्याय कर पाएंगे।

प्रश्न – क्या यह पूर्वनियोजित था कि पहले फोटो शेयर करते हैं, वायरल हो जाए फिर अचानक से महीने दो महीने में एक उपन्यास निकाल देंगे। या इसके लिए कथावस्तु बहुत पहले से आप बुनते आ रहे थे।

उत्तर – नहीं… नहीं ऐसा कुछ भी नहीं है। मैं ये कहानी तो पहले से लिखता आ रहा था। फोटो शेयर करने से पहले। वैसे लिखना पिछले पांच साल से जारी है निरन्तर। रही बात फोटो शेयर करने की तो फोटो मैं शेयर करता ही रहता हूँ। लेकिन ये वायरल हो गई। वायरल का क्या पता कब क्या वायरल हो जाए, किसी को नहीं पता। मुझे भी नहीं पता था। ऐसे इतनी वायरल हो जाएगी फोटो। ऐसा अगर होता तो पहले किताब निकालता, फिर फोटो वायरल करता या खुद ही हो जाती। जैसे अब हुई, तो ऐसा करने में ज्यादा फायदा होता किताब को। किताब तो आनी ही थी पहले से निर्धारित था। वैसे आजकल हर कोई वायरल हो जाता है।

प्रश्न–  इस सीरियल की कहानी को लिखने की प्रेरणा आपको कहाँ से मिली? क्या यह कोई सच्ची घटनाओं पर आधारित है?

उत्तर – ये सीरियल किलर का एक जॉनर तो है ही। और मेरे पास एक एक्स्ट्रा ऑडिनरी क्लाइमैक्स (असाधारण उत्कर्ष) तो था ही। एक मर्डर मिस्ट्री भी दिमाग में चल रही थी। लेकिन इसमें तीखापन तब आया जब सीरियल किलर के बारे में खोजबीन शुरू की। तो बहुत सारे सीरियल किलर के बारे में पढ़ा जिन्होंने 150-200, 300 तक खून किए। दस-दस सालों तक वो ऐसा करते रहे। किसी को पता नहीं चला, भनक नहीं लगी। तो मैं इसके जितना भीतर घुसता गया उतना ही जाना। बहुत सी डॉक्यूमेंट्री देखी, शोध किया। तब जाकर महसूस हुआ। खैर ये किसी एक सीरियल किलर की कहानी नहीं है। कई ऐसी घटनाओं से प्रेरित है। उनका सबका निचोड़ है ये। भारत में भी बहुत से हुए हैं, एक महिला भी थी ऐसी ही। उनके सबके मनोविज्ञान को समझकर मैंने कथा बुनी है। उनका बचपन कैसा होता है। वो क्यों ऐसे बन जाते हैं, उन सबका निचोड़ है ये कहानी।

प्रश्न – आपके फेवरेट राइटर कौन हैं? किस तरह की कहानियाँ या उपन्यास वायरल डॉक्टर को पसन्द है।

उत्तर – मैं बहुत कम पढ़ता हूँ। इतना समय नहीं रहता देखता ज्यादा हूँ इसके बनिस्पत। ऑलिवर सैक मेरे पसंदीदा लेखक हैं। जो मेडिकल के बारे में, मेडिसिन के बारे में बहुत बढ़िया लिखते हैं। मेडिसिन को आर्ट में, कला में परिवर्तित करके लिखते थे वो। साहित्य में मेडिसिन/चिकित्सा का सम्मिश्रण करके लिखते थे। कुछ सच्ची घटनाएं भी लिखी उन्होंने। मुझे कुछ नई कहानियाँ पसन्द हैं, कोरियन फिल्में पसन्द हैं। या हॉलीवुड फिल्में जो थोड़ा हटकर हों। कुछ नया हो उनमें। बॉलीवुड में नया देखने को नहीं मिलता ज्यादा। या तो रीमेक बनती हैं या फिर बॉयोपिक और मेरे पसंदीदा डायरेक्टर क्रिस्टोफर नॉलन हैं।

बाकी उपन्यासों पर, कहानियों आदि पर फ़िल्म भी बननी चाहिए उतनी ही। नॉवेल या कहानियों को फ़िल्म में बदलकर , उन्हें रूपांतरित करना भी अच्छा है। अच्छे से निर्देशन के साथ दिखाया जाना चाहिए। लेकिन जो अँग्रेजी में बन चुकी हैं उन्हें ही ज्यादातर दिखाया जाता है जैसे ‘द गर्ल ऑन द ट्रेन’ जैसी फिल्मों का रीमेक बनना। हालाँकि मेरे पास भी काफी अच्छी फिल्मों की कहानियाँ लिखी हुई पड़ी हैं। लेकिन मजबूरन उन्हें किताब के रूप में निकालना पड़ रहा है और नये लेखकों पर जल्दी कोई भरोसा भी नहीं करता लेकिन मुझे ये नया देखना, पढ़ना ही पसन्द है। मेरा खुद का भी यही प्रयास रहता है कि कुछ नया या हटकर लिखा जाए। सबसे बड़ी बात ये कि ‘लेखन को सच के करीब होना चाहिए।’ 

प्रश्न – बतौर असिस्टेंट डायरेक्टर भी आपने काम किया है। लेकिन किसी फिल्म को डायरेक्ट करने का मौका मिला तो किस तरह की कहानी को आप डायरेक्ट करना चाहेंगे? और आपके फेवरेट एक्टर्स कौन हैं जिनके साथ आप काम करना चाहेंगे उसमें।

उत्तर – हाँ मैं डायरेक्ट करना चाहूंगा वैसे खुद के लिखे को भी करना है एक दिन डायरेक्ट। क्योंकि मुझे लगता है मेरी उन कहानियों से मैं ही न्याय कर पाऊंगा या कोई बड़ा प्रोडक्शन हाउस। क्योंकि वे कुछ जटिल भी होती हैं। डायरेक्टिंग के लिए बात करना तो थोड़ा जल्दी होगा। मेरी अभी कोई पहचान भी नहीं है फ़िल्म जगत में, जो मैं राजकुमार राव जैसे के साथ काम कर पाऊं लेकिन एक दिन वो भी आएगा। जरूर हालाँकि समय लगेगा उस जगह तक पहुँचने में मुझे। वैसे अभी उपन्यास का दूसरा भाग आना बाकी है, अभी पहला भाग ही आया है। और मेरे दो ही जॉनर है कॉमेडी और हॉरर के अलावा थ्रिलर। और मैं लिखूंगा भी तो मेडिकल फिक्शन लिखूंगा फ़िल्म के लिए। उसमें कुछ न कुछ मेडिसिन या टेक्नोलॉजी , बायोटेक्नोलॉजी से जुड़ा हुआ किस्सा होगा। या ऐसा कुछ जो पहले कहीं न देखा गया हो।


यह भी पढ़ें – विज्ञान और कला का समन्वय – डॉ सोहिल मकवाना


तो कैसी लगी आपको ये बातचीत कमेंट करके/अपनी प्रतिक्रियाओं से जरूर रूबरू करवाएं और इस किताब को आप अमेजन पर इस लिंक से खरीद सकते हैं। अगर आप अँग्रेजी उपन्यासों में पढ़ने में दिलचस्पी रखते हैं या फिक्शन और उसमें मेडिकल या फॉरेंसिक जैसा पहलू पढ़ना चाहते हैं तो इसे अवश्य पढ़ें। साथ ही इस महामारी में महामारी से ग्रसित लोगों की सहायतार्थ किताब खरीदकर कुछ योगदान आप भी इस महायज्ञ में हविषा के तौर पर डाल सकते हैं।

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तेजस पूनियां

लेखक स्वतन्त्र आलोचक एवं फिल्म समीक्षक हैं। सम्पर्क +919166373652 tejaspoonia@gmail.com
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