महाशक्ति के रूप में उभरता भारत
- रेशमा त्रिपाठी
यदि कोरोना वायरस के रहस्यमय रूप से प्रकट होने, और समस्त विश्व से इसकी जानकारी छिपाने फिर प्रचार– प्रसार के बाद चीन में उद्योग से लेकर जनजीवन तक सामान्य होने का विश्लेषण करें! तो पता चलता हैं कि 31 दिसम्बर को ही विश्व स्वास्थ्य संगठन ने आगाह किया कि उनके हुबई सूबे के वुहान में असामान्य निमुनिया की शिकायत के मामले सामने आए हैं और 1 जनवरी को ही उसी फूड मार्केट को लॉक डॉउन कर दिया गया। और इसी दौरान चीन ने वायरस को न पहचानने का नाटक किया। विशेषज्ञों की मानें तो चीन के सभी व्यपारिक क्षेत्र सुरक्षित हैं अभी भी जैसें–वुहान से शंघाई 839km , बीजिंग– 1152km, मिलान और न्यूयॉर्क– 15000 km फिर भी सुरक्षित हैं जबकि इटली, ईरान, यूरोप, अमेरिका, भारत ऐसे ही विश्व के लगभग 198 देशों की अर्थव्यवस्था बर्बाद हो गयी। जो कि पूरी दुनिया के लोकतांत्रिक देशों में अपना महत्वपूर्ण स्थान रखने वाला भारत अपने देश को और देशों की तुलना में सुरक्षित रख सका हैं फिर क्यों न महाशक्ति के रूप में इसे रखा जाए क्योंकि विश्व पटल पर जब– जब कोई बड़ा परिवर्तन हुआ हैं तब– तब देश को किसी न किसी महत्वपूर्ण आयाम से जुड़ने का मौका मिला हैं जैसे कि वर्तमान परिदृश्य में कोविद-19 में ‘मोदी मन्त्र’ को लेकर सुरक्षा की, सजगता की दृष्टि को लेकर दिखाई दे रहा हैं यदि इतिहास पर नजर डालें तो द्वितीय विश्वयुद्ध की अपार जन हानि के बाद विश्व के नेताओं के सामने एक चुनौती थी मानवता को बचाने की जिसका दायरा देश की सीमाएं न होकर सिर्फ मानवता थी जहाँ तक हमारी सामान्य दृष्टि जाती हैं ऐसी कोई बड़ी वैश्विक घटना दिखाई नहीं देती जहाँ विश्व के लगभग सभी देश मानवता से संघर्ष करते दिखें। यद्यपि की युद्ध, बीमारी के संकट आने पर क्षेत्रीय और आर्थिक प्रतिस्पर्धा में विश्व के कई देश एक दूसरे के आमने– सामने दिखाई देते हैं किन्तु इसका असर द्वितीय विश्व युद्ध के बाद कभी नहीं देखा गया।
कमोबेश युद्ध की तैयारी कहें या विश्व विजेता बनने की कोशिश WHO की रिपोर्ट की मानें तो इस बात की ओर इशारा करती हैं कि वर्तमान महामारी चीन द्वारा ‘ वैश्विक हथियार’ बनाने के लिए ऐसे प्रयोग किए गए। जिसकी भयावह स्थिति से आज विश्व के सभी देश गुजर रहे हैं ऐसे में आज भारत दुनिया में अपने बौद्धिक एवं पारंपारिक एकजुटता जो सामान्यतः नहीं दिखाई देती हैं परन्तु इस संकट के समय अपने दुश्मनों को भी वह सहायता प्रदान कर रहा हैं इसलिए ही यकीनन भारत को महानता का दर्जा प्राप्त हैं। जो मानवता को बचाने की सार्थक पहल भी हैं इन्हीं संदर्भों को ध्यान में रखते हुए विश्व नेताओं को यह समझना होगा कि भारत ने जिस प्रकार महामारी के इस कठिन संकट में दुनिया को यह संदेश दिया हैं– ‘मोदी मन्त्र’ और WHO की उन तमाम रिपोर्टों के मुताबिक अपने आपको एवं संपूर्ण जनमानस को बचाने के लिए आर्थिक नफा– नुकसान न देखते हुए अपने संपूर्ण भारत को लॉकडाउन किया हैं हालांकि भारत एक गरीब देश हैं ऐसा अब तक के सर्वे रिपोर्ट का मानना हैं अतः विश्व आर्थिक महाशक्ति संगठनों में भारत भले ही न हो परन्तु G-7,G-20 और अन्य वैश्विक आर्थिक समूह में भारत के ही तरीके कारगर साबित हो रहे हैं ऐसे में अब भारत को जरूरत हैं विश्व मंच पर पहुँचने की जहाँ पर आज दुनिया के कुछ देश बीटों पावर रखते हैं जो कि हैं–‘ सुरक्षा परिषद की स्थाई सदस्यता’
चीन सुरक्षा परिषद का स्थाई सदस्य होने के बावजूद भारत के पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान जैसी हरकतें कर रहा हैं जिसमें विश्व की समस्त मानवता को शर्मसार होना पड़ रहा हैं ऐसे में आज विश्व को यह समझना होगा कि अब भारत को वैश्विक मंच पर न देखने पर अधूरापन जरूर दिखाई देगा। अतः जरूरत हैं अब उसे वैश्विक नेता स्वीकार करें। ऐसे में जब विश्व नई– नई चुनौतियों को लगातार सामना कर रहा हैं जिसमें लोकतंत्र को बचाने से लेकर आर्थिक, सामाजिक ढांचे भी गर्त में जा रहे हैं तब भारत निश्चित रूप से समावेशी विकास की ओर अग्रसर हैं और विश्व पटल पर अपनी छाप द्वारा ऊंचाइयों को भी सिद्ध कर चुका हैं उदाहरण के तौर पर– कोविद–19 पर भारत ने इस प्रकार पकड़ रखी हैं कि वह तारीफ के काबिल हैं वही दुनिया के विकसित देश अधिक मात्रा में जन– क्षति को झेल रहे हैं और भारत काफी हद तक खुद को जन क्षति से बचाए हुए हैं अतः यही राजनीतिक, सामाजिक, वैश्विक समझ भारत को यूएनओ में सुरक्षा परिषद की स्थाई सदस्यता की ओर इंगित करती हैं अब जरूरत हैं कि WHO इस पर विचार करें। और भारत को महाशक्ति के पटल पर स्थापित कर सुरक्षा परिषद की स्थाई सदस्यता प्रदान करें।
लेखिका अवधेश प्रताप सिंह विश्वविद्यालय, रीवा में शोध छात्रा हैं|
सम्पर्क- +919415606173, reshmatripathi005@gmail.com
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