छत्तीसगढ़सिनेमा

अलौकिकता का अहसास ‘हमर छत्तीसगढ़’ में

 

भारत देश सोने की चिड़िया कहा जाने वाला देश आज तलक अपने भीतर ऐसी प्राकृतिक सम्पदाएं, विभिन्नताएं लिए हुए हैं जिसका सानी कोई दूसरा देश शायद ही हो। जहाँ भी चले जाएं, किसी भी कोने में आपको ऐसी चीजें देखने को मिल ही जाती हैं जिसके पीछे कोई न कोई इतिहास जुड़ा हुआ होता है। जिसकी कोई न कोई कहानी रामायण, महाभारत काल से जुड़ी हुई अवश्य ही होती है।

इस देश पर इतने हमले हुए, इतने आततायी आये जिन्होंने  इसकी अक्षुण्ण प्रतिभा, संस्कृति,  ऐतिहासिकता को खंड-विखंड करने की नाकाम कोशिशें भी की। कल ही डिस्कवरी प्लस ओटीटी चैनल पर रिलीज हुई एक डॉक्यूमेंट्री ‘कोहिनूर’ ने भी ऐसा ही कुछ बताने की कोशिश की, जिसमें कोहिनूर हीरे से जुड़ी कई बातें सामने आईं।

लेकिन ‘हमर छत्तीसगढ़’ डॉक्यूमेंट्री का यह पहला ही एपिसोड ‘मोगली बाबा’ नाम के एक अनजाने से ओटीटी पर हमारे देश के एक महत्त्वपूर्ण राज्य छत्तीसगढ़ की कई ऐसी बातें हमारे सामने लेकर आती है जिसके बारे में आम आदमी शायद ही कुछ जानता हो। डॉक्यूमेंट्री में नजर आने वाला छत्तीसगढ़ का नियाग्रा फॉल्स झरना कुछ ऐसा गरजता हुआ लगता है जो अमेरिका के नियाग्रा फॉल्स का हुबहु कॉपी सा है। लेकिन यह फॉल्स वहाँ का नहीं अपितु भारत का है। इसमें पानी की गरज, प्रकृति की ताकत का और शांति का अहसास भी कराती है।

डॉक्यूमेंट्री बताती है कि छत्तीसगढ़ राज्य भारतीय इतिहास के  उन नायकों की तरह है जो किसी भी चमक-दमक से दूर अपनी एक राह बनाता आया है। और इसमें उसे भरपूर साथ मिला है प्रकृति का, वहाँ रहने वाले प्रकृति प्रेमी तथा उससे गहरे जुड़े हुए आदिवासी समुदाय का। इस राज्य की कहानी प्रभु श्री राम और सीता मैया के लव और कुश की जन्मभूमि से भी जुड़ी हुई है जहाँ यह राज्य आज भी अपने अंदर वही तेज और गरिमा लिए हुए हैं। बस उसे आपको खोजने की जरुरत है।

लेकिन यह एपिसोड आपकी उस खोज पर विराम लगाता है। कई दिनों के शोध और कई घण्टों तक की रिकॉर्डिंग को इतनी खूबसूरती से एडिट करके आपके सामने प्रस्तुत किया गया है जिससे यह एक आम डॉक्यूमेंट्री न होकर किसी विदेशी लेखक, निर्देशक की बनाई हुई डॉक्यूमेंट्री सी लगती है। दरअसल कमी हम लोगों की भी है कि हमें उन विदेशियों के द्वारा बनाई गई हमारे देश के भीतर की संस्कृति को लेकर दर्शाई गई डॉक्यूमेंट्री ही पसन्द आती रही हैं।

हमर छत्तीसगढ़

दस दिनों का सफर एक एस यू वी गाड़ी के माध्यम से करते हुए इस डॉक्यूमेंट्री में छत्तीसगढ़ के सिरपुर, कोंडागांव, बस्तर, जगदलपुर से होकर गुजरता है। जिसमें करीब 4700 किलोमीटर का सफर यह डॉक्यूमेंट्री तय करती है। इतने लम्बे सफर को मात्र 40-45 मिनट में दिखा देना भी इसके निर्देशक की खूबसूरत निर्देशन कला को सामने लेकर आता है। जिसको देखते हुए कब यह समय गुजर जाता है आपको मालूम ही नहीं पड़ता और आप चाहते हैं कि बस देखते ही चले जाएं। साथ ही इसमें दिखाई जगहों को देखने की तमन्ना भी यह आपके दिलों में जगा जाती है।

यूँ भी इस छत्तीसगढ़ राज्य की प्राकृतिक संपदा का कोई सानी नहीं है तिस पर इस राज्य के एक इलाके सिरपुर का एक पुराना ऐतिहासिक लक्ष्मण मन्दिर जो सिरपुर में ही स्थित है। वहाँ बरसों पहले मलपुरिया शासक, सुखदेव राज आदि का शासन भी रहा। मन्दिर में मिलने वाले शिलालेखों से यह बात पता चलती है साथ ही हमें और आपको पता चलती है इस डॉक्यूमेंट्री को देखने से जिसमें  पांडव काल के अलावा बौद्ध व जैन धर्मावलंबियों नाता भी यह दर्शाती है।

हमर छत्तीसगढ़

छत्तीसगढ़ में एक हरेली पर्व के बारे में भी यह डॉक्यूमेंट्री एक रोचक जानकारी प्रदान करती है जो अन्यत्र कहीं देखने को नहीं मिलती। पर्व, तीज, त्यौहार, मंदिर, स्थापत्य कला, एतिहाासिकता का सम्मिश्रण इस डॉक्यूमेंट्री में इस कदर घुला हुआ नजर आता है जिससे यह अलौकिकता के सफर पर आपको लिए चलती है।

शिल्प कला की नक्काशी हो , हरेली पर्व पर खाई जाने वाली खास जड़ी बूटी की बातें हों जिसको लेकर मान्यता है कि इसे खाने से कोई बीमारी नहीं होगी। और ये जहरीली जड़ी बूटियां हरेली पर्व के दिन अमृत बन जाती हैं। छत्तीसगढ़ और भगवान बुद्ध का महानदी जैसा नाता हो , भगवान बुद्ध के द्वारा सिखाये जा रहे जीवन मूल्यों की बातें हों, 2000 हजार साल पहले व्यापार के इस बड़े केंद्र की बातें जहां इसकी रौनक देखने चीनी स्कॉलर हेनस्वांग का आना से लेकर और कई बातें वे सब इस एक एपिसोड में समेट पाना इसके लेखक, निर्देशक व निर्माता ‘अम्बर शर्मा’ के लिए आसान नहीं रहा होगा।

हमर छत्तीसगढ़

 भगवान धन्वंतरि आयुर्वेद के जनक की भूमि भारत का यह स्थान देश भारत के एक राज्य छत्तीसगढ़ की इस अनूठी कहानी को  आप मोगली बाबा के ओटीटी चैनल पर अथवा इस लिंक पर क्लिक करके भी देख सकते हैं। यकीन जानिए इस एक एपिसोड को देखकर ही आप जानेंगे कि जो शांति, आराम प्रकृति के नजदीक है वह दुनियाँ के आलीशान होटलों में भी नहीं। उसका अहसास, आनन्द एक बारगी आप अपने घरों में भी ले सकते हैं। जिसमें चावल की दारू, आदिवासी माड़िया समुदाय के द्वारा खाये जाने वाले स्पेशल भोजन, महिलाओं के डॉमिनेट समाज तथा उनकी घोंटूल परम्परा , रामनामी पन्थ के आरम्भ  जैसी कई रोचक बातें आप जान सकते हैं तथा अपने देश की सभ्यता, संस्कृति, परम्परा पर गर्व कर सकते हैं।

आजादी का 75 वां साल अमृत महोत्सव के रूप में बनाने जा रहे हमारे देश की एक कहानी को आप अगर अपने घर बैठे भी नहीं देखना चाहते तो फिर आप आज से कोई भी फिल्म, कोई भी मनोरंजन से जुड़ी सिनेमा वाली चीजें इस्तेमाल न लाइयेगा। वहीं आपको अपने देश, उसकी संस्कृति, परम्परा पर जरा भी मान, अभिमान, गर्व है तो पहली ही फुर्सत में ऐसी कहानियों को देख डालने की आदत डाल लीजिएगा।

नोट – ‘हमर छत्तीसगढ़’ डॉक्यूमेंट्री सीरीज के निर्माता, निर्देशक से एक अनुरोध की ऐसी उम्दा कहानियों को किसी फिल्म फेस्टिवल का हिस्सा भी वे बनाएं ताकि हमारे देश की ऐसी अलौकिकता चहूँ और अपना प्रकाश फैलाएं तथा कुछ इनाम भी आप लोग फिल्म फेस्टिवलों में हासिल कर सकें

अपनी रेटिंग – 4.5 स्टार

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तेजस पूनियां

लेखक स्वतन्त्र आलोचक एवं फिल्म समीक्षक हैं। सम्पर्क +919166373652 tejaspoonia@gmail.com
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