सिनेमा

ऑस्कर पाने वाली पैरासाइट की पूरी कहानी

 

अगर आप आज भी अपनी स्किन में संवेदनशीलता को लिए फिरते हैं तब फ़िल्म ‘पैरासाइट’ आपके अन्दर घुस कर बेचैन कर देगी| कुछ देर के लिए आपको लगेगा कि आप सामाजिक पैरासाइट बनकर घूम रहे हैं| हो सकता है आप ख़ुद को एक परजीवी के रूप में देखना शुरू कर दें| ‘पैरासाइट’ दक्षिण कोरियाई निर्देशक बोंग जून हो की लिखी और निर्देशित फ़िल्म है| अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर इस फ़िल्म की ख़ूब चर्चा हुई और हो रही है| अच्छा सिनेमा देखने वालों के लिए यह फ़िल्म सोच के स्तर पर प्रभावित करने वाली है| यही नहीं इस फ़िल्म के बनाए गए पोस्टर्स तक भी सोचने पर मजबूर करते हैं| इस फ़िल्म पर ढेरों चर्चाएँ और समीक्षाएँ हो रही हैं|अभी तक हुई समीक्षाओं के अनुसार इसमें दो परिवारों की कहानी की बात कही जा रही है| जबकि फ़िल्म में तीन महत्वपूर्ण परिवार हैं और कहानी इनकी वजह से ही दिलचस्प है| किम टेक परिवार, पार्क परिवार और पार्क मून ग्वांग और उसका पति| इस फ़िल्म को बार देखा जा सकता है साथ ही लम्बे नोट्स बनाकर रखे जाने चाहिएँ और उन्हें बार बार पढ़ा जाना चाहिए|

तीन परिवार

किम परिवार में चार सदस्य हैं जो बेहद ग़रीब हैं और पिज्जा के गत्ते वाले डिब्बे बनाकर अपनी ज़िन्दगी जैसे तैसे चला रहे हैं| इस काम में वे चारों अपना काफी समय देते हैं फिर भी उनकी कमाई रोज़ के खर्चों के लिए कम ही है| सही से गत्तों की पैकिंग न होने से उनके पैसे भी काट लिए जाते हैं| वे एक भीड़भाड़ वाले इलाक़े में सेमी बेसमेंट में रहते हैं जहाँ एक खिड़की है| वही एक खिड़की है जिससे उनके घर में सूरज की रौशनी घुस पाती है| बाक़ी वक़्त उनका जीवन सीलन और कम-ज़्यादा अँधेरे में बीत रहा है| इतना ही नहीं उनके पास कपड़े सुखाने की भी जगह नहीं है|Image result for पैरासाइट movie scene

दूसरा परिवार पार्क परिवार है| इसमें में भी चार सदस्य हैं| बच्चे अच्छे स्कूलों में पढ़ते हैं और उनके लिए निजी ट्यूटर की व्यवस्था घर पर ही की जाती है| उनके लिए महंगे सामान ऑनलाइन ऑर्डर कर मंगाए जाते हैं| घर में एक ‘हेल्प’ भी है जो सारा काम संभालती है| इनका घर शहर के बेहद अच्छे इलाक़े में ऊंचाई पर स्थित है| उनके घर में अलग अलग कमरों में जाने के लिए सुन्दर और डिजाइनर सीढ़ियाँ हैं| परिवार की सुन्दर फ़ोटो दीवारों पर लगी हैं| बड़ा किचन है| इसके साथ ही एक बहुत बड़ी दीवारनुमा शीशे की खिड़की है| इसके बाहर हरी घास वाला पार्क है| धूप यहाँ सुंदर उपहार और सौभाग्य है| लेकिन इस घर में डिजाइनर द्वारा बनाया गया डीप-गहरा बेसमेंट भी है जहाँ कई सीढ़ियों से नीचे उतर कर जाया जा सकता है| इसके बारे में अमीर पार्क परिवार को कोई ख़बर नहीं है|

तीसरा परिवार पार्क परिवार की हेल्पर का है| वह कई सालों से पार्क परिवार की देखभाल करती है और अपने काम की बेहतर समझ रखती है| लेकिन चोरी छिपे और कर्जों वालों के डर से उसने दुनिया से संपर्क खो चुके अपने पति को उस बेसमेंट में छुपा कर रखा है और गुपचुप रोज़ खाना देती है| एक रोज़ उसका पति खाने की तलाश में बेसमेंट से बाहर भी आता है| इसे देखकर पार्क परिवार का सबसे छोटा सदस्य उनका बेटा भूत समझ लेता है और सदमे का शिकार हो जाता है| इस बात के लिए मिसेज पार्क को उसकी चिंता भी है|

कहानी-कथानक

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किम परिवार के सदस्य ‘की वू’ का दोस्त कहीं बाहर जाने के चलते उसे अपने बदले पार्क परिवार की लड़की को ट्यूशन पढ़ाने को कहता है| साथ ही वह एक लकी पत्थर भी उसको तोहफे देता है ताकि उनके घर में समृद्धि आए| ‘की वू’ एक चालाक किस्म का लड़का है और जब उसे पता चलता है कि पार्क परिवार को एक आर्ट पढ़ाने वाले ट्यूटर की ज़रुरत है तब वह अपनी बहन ‘की जेओंग’ को जेसिका बनाकर मिसेज पार्क से मिलवाता है| जेसिका चालाकी से उनके शरारती बेटे को संभाल लेती है और वहाँ पक्की नौकरी पा जाती है| जेसिका अब अपने पिता और किम परिवार के मुखिया ‘किम टेक’ को ड्राईवर की पोस्ट पर नियुक्त करवा लेती है| इसके लिए वह पहले के कार ड्राईवर को चालाकी से निकलवा देती है| अब ख़ुद किम टेक अपनी पत्नी को वहाँ हेल्प का काम दिलवाने के लिए उसकी पुरानी हेल्प को निकलवा देता है| किम टेक मिसेज पार्क को अपनी पुरानी हेल्पर ‘मूंग ग्वांग’ के बारे में कहता है कि वह टीबी से पीड़ित है और यह बीमारी अब उसके बच्चों को भी हो सकती है| मिसेज पार्क बिना सोचे समझे अपनी पुरानी हेल्पर को काम से बाहर कर लेती है| किम टेक अपनी पत्नी ‘चूंग सूक’ को वहाँ एक एजेंसी के थ्रू काम पर रखवा देता है| इस तरह किम परिवार के सभी सदस्यों को अमीर पार्क परिवार में काम मिल जाता है|

अब किम परिवार का जीवन ठीक चल रहा होता है| एक दिन पार्क परिवार कैम्पिंग के लिए जाता है| उनके जाते ही किम परिवार के लोग उनके सामान का इस्तेमाल करते हैं और उनकी जैसी जिन्दगी जीते हैं| वे सभी बैठे बैठे भावी जीवन से जुड़े सपने की बुनाई करते हैं| तभी घर की घंटी बजती है| चूंग सूक देखती है कि घर की पुरानी हेल्प मून ग्वांग आई है| वह घर में आती है तुरंत रसोई में ख़ुफ़िया दरवाजे से नीचे जाकर अपने पति को खाना देती है| मून ग्वांग कहती है कि उसके मुश्किल दिनों के चलते उसे यहाँ अपने पति को कई साल से छुपा कर रखना पड़ा है| वह मिन्नत करती है कि चूंग सूक रोज़ उसके पति को खाना दे दे और घर की मालकिन से कुछ न बताए| लेकिन चूंग सूक तैयार नहीं होती| इसी बीच किसी तरह बाक़ी किम परिवार के सदस्य मून ग्वांग के आगे गिर पड़ते हैं और उसे समझ आ जाता है कि ये सब चाल चलकर मिसेज पार्क के यहाँ काम कर रहे हैं और उनकी गैर-मौजूदगी में उनके सामान और घर का मज़ा ले रहे हैं| वह एक विडियो बना लेती है और उसे मिसेज पार्क के फोन पर भेज देने की धमकी देती है| किम परिवार मार पिटाई से मून ग्वांग और उसके पति को नियंत्रित कर लेते हैं और उन्हें वापस बेसमेंट में कैद कर आते हैं| हाथापाई में मून ग्वांग को चोट लगती है और वह बुरी तरह घायल हो जाती है| इसी बीच मौसम ख़राब होने और भारी बारिश के चलते पार्क परिवार बिना कैम्पिंग के वापस लौट रहा है| मिसेज पार्क फ़ोन कर के अपनी नई हेल्पर चूंग सूक को कुछ पकाकर रख देने के लिए भी कहती है

इस ख़बर को पाकर किम परिवार के सारे सदस्य घर साफ़ करने लगते हैं| पार्क परिवार घर जल्दी ही पहुँच जाता है, इसलिए किम टेक और उनके बेटे की वू और बेटी किम जेओंग उर्फ़ जेसिका को घर की बैठक में रखे बड़े टेबल के नीचे छुपना पड़ता है| इस दौरान वे ‘मि. एँड मिसेज पार्क’ की बातचीत सुन लेते हैं| मि. पार्क कहते हैं कि उन्हें उनके ड्राईवर से गाड़ी में एक अजीब सी बदबू आती है| इसे सुनकर गरीब किम को बेहद दुःख लगता है| किसी तरह वे लोग घर से बाहर निकलते हैं और उसी भारी बारिश वाली रात में अपने घर की तरफ़ दौड़ते हैं|

वहाँ सबकुछ डूब रहा है| उनके सेमी बेसमेंट घर में बारिश और सीवर का पानी घुस आया है| उन लोगों को गहरी हताशा होती है| उन्हें रात एक सहायता प्राप्त और पीड़ित लोगों के हॉल में गुज़ारनी पड़ती है| बेटा की वू उस लकी पत्थर को छाती से लगाये साथ रखता है| उसे लगता है कि उसकी क़िस्मत इस पत्थर से जुड़ी है| दूसरी तरफ़ मिसेज पार्क बेटे के जन्मदिन की अगले दिन तैयारी करती हैं| बारिश के बंद हो जाने और सुहावने दिन के कारण वे पार्क में बेटे के जन्मदिन का इंतजाम करवाती हैं| इसमें किम परिवार के दोनों ट्यूटर (की जेओंग और की वू) को निमंत्रण देती हैं|

की वू बारिश से घर की तबाही को भूल नहीं पाता और घर का बेटा होने के चलते बेसमेंट में मून ग्वांग और उसके पति को ठिकाने लगाने अपने लकी पत्थर के साथ चल देता है| लेकिन मून ग्वांग के चोट के कारण काफी खून बहने से मौत हो चुकी है| इसलिए उसका पति ग़ुस्से में उसके लकी पत्थर को की वू के सिर पर दे मारता है| वह बहुत दिनों बाद बेसमेंट से बाहर निकला है| उसका दिमाग ख़राब है| उसकी पत्नी की मौत हो चुकी है| उसे अब किम परिवार के बाक़ी सदस्यों से बदला लेना है|Image result for पैरासाइट movie scene

चाक़ू लेकर वह बाहर पार्क में चल रही जन्मदिन पार्टी में जाता है| वहाँ वह की जेओंग (जेसिका) को देखते ही उसके सीने में चाकू मार देता है| अपनी बेटी के खून को देखकर मि. किम उस तक पहुँचते हैं| इस बीच मून ग्वांग का पति चूंग सूक की तरफ़ बढ़ता है लेकिन वह ख़ुद को बचाती है और उसे आत्म सुरक्षा में मार डालती है| इस भारी क़त्लेआम को देखकर मि. पार्क का बेटा बेहोश हो जाता है| वह अपने द्वारा देखे हुए भूत को एक बार दुबारा देख लेता है| मि. पार्क, मि. किम से जल्दी से गाड़ी निकालने को कहते हैं| वह अपनी बेटी को छोड़ नहीं पाते और वहीं से चाभी मि. पार्क की तरफ़ फेंकते हैं| चाभी बरसों से बेसमेंट में रह रहे मून ग्वांग के पति की लाश के पास गिरती है| मि. पार्क को उसके अंदर से एक बदबू आती है और वह अपनी नाक सिकोड़ लेते हैं| इसे देखकर अपनी बेटी को खो चुके और घायल बेटे को देख चुके मि. किम को बेहद गुस्सा आता है और वह पास ही पड़ा लम्बा खंजर मि. पार्क के सीने में उतार देते हैं| उनकी भी वहीं मौत हो जाती है|

मि. किम, मि. पार्क को मारकर उसी बेसमेंट में छिप जाते हैं| वह उस अँधेरे बेसमेंट से अपने बेटे की वू, जो कोमा से बाहर आया है, को सिग्नल भेजते हैं| सिग्नल को उनका बेटा पढ़ लेता है और पिता के नाम एक चिट्ठी लिखता है| वह लिखता है कि वह बहुत पैसा कमाएगा और उस घर को ख़रीदकर उन्हें आज़ाद करेगा| फ़िल्म इस सपने और मि. किम के बेसमेंट के बाहर आकर रसोई से खाना चुराते हुए दृश्य पर ख़त्म हो जाती है|Image result for पैरासाइट movie scene

फ़िल्म में प्रतीकात्मकता- इस फ़िल्म में ऐसे बहुत से प्रतीकों, दृश्यों, संवादों आदि का इस्तेमाल किया गया है जिससे दर्शकों को यह फ़िल्म सोचने पर मजबूर तो करती ही है साथ ही गहरा प्रभाव भी डालती है| यह कहानी हमारे दौर के सामाजिक, आर्थिक, व्यावहारिक, सांस्कृतिक ताने बाने को पेश करती है| अन्त` में इस ताने बाने में जो बचता है वह त्रासदी ही है| इस फ़िल्म दिखाई गए प्रतीकों को समझना ज़रूरी है| हमारा रहन सहन इन वस्तुओं से जुड़ा हुआ है| फ़िल्म में ये बिना किसी संवाद के अपना असर दर्शकों पर छोड़ती हैं|

खिड़कियाँ– फ़िल्म में दो खिड़कियाँ हैं| किम परिवार के घर की छोटी खिड़की है| वही एक मात्र साधन है जिससे वे बाहर की दुनिया से जुड़े हैं| वहीं से वे इंटरनेट के सिग्नल की तलाश करते हैं| बाहर के आते जाते लोगों को देखते हैं| सरकारी कर्मचारी जब कीड़ों को मारने की गैस छोड़ता है तब पार्क परिवार परेशान हो जाता है| ठीक यही परजीवियों(पैरासाइट) के साथ होता है| उनके जान को ख़तरा होता है| उनका जीवन मुश्किल होता है| समाज में ऐसे ही गरीब लोग हैं जो काम के लिए दूसरे वर्ग पर निर्भर हैं| उनके रहने की जगह तंग, अँधेरी, कम रोशनदार, बदबू से भरी हुई है| किम परिवार के घर की खिड़की एक उम्मीद का भी प्रतीक है जिससे उनकी जिन्दगी में अच्छा बदलाव आ सकता है|

इस खिड़की से उनके घर में बड़ी कम रौशनी आती है| इतनी कि उनका जीवन कीड़ों की तरह बना रहे| जितनी छोटी खिड़की उतना तंग जीवन यहाँ दीखता है| दूसरी तरफ पार्क परिवार के घर की बड़ी खिड़की है जिससे घर के बाहर विशाल और भव्य दृश्य दिखाई देता है| सूरज की धूप तो आती ही है और बाहर का नजारा भी खूबसूरत मिलता है| दोनों ही घर की खिडकियों एक विशेषता यह है कि उसके आरपार देखा जा सकता है| फर्क यह कि दोनों खिडकियों में से दिख क्या रहा है? दोनों का आकार क्या है? दोनों के आकार के पीछे कारण क्या हैं और इसके लिए कौन जिम्मेदार है?

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लकी पत्थर– हमारे यहाँ जाने कितने ही लोग मेहनत पर यकीन करते हुए कब सौभाग्य जगाने वाले पत्थर नीलम, मोती आदि पहनने लगते हैं, पता चलता रहता है| कई लोग अपने हाथ की रेखाएँ पढ़वाने चल देते हैं तो कई अपने सौभाग्य की खोज दिनों, देवताओं आदि के पूजन में करते हैं| ठीक इसी तरह यह पत्थर उस गरीब परिवार के पास उम्मीद और अच्छे सौभाग्य के साथ तोहफे के रूप में आता है| लेकिन वही लकी पत्थर एक हथियार भी बन जाता है और यर्थाथ की ज़मीन पर ले आता है| लालच किसी भी अच्छी जगह ले जाए पर उसका अंजाम बुरा ही होता है| किम परिवार अमीर बनने के सपने में मेहनत तो करते हैं पर वे अपने जैसे ही दूसरे कामकाजी लोगों को धोखे से रिप्लेस करते हैं| वे मूंग ग्वांग की हत्या भी कर देते हैं| पत्थर शुरुआत में लकी बनकर आता है पर अपने अन्त` में वह अपने ही मालिक को बुरी तरह से घायल करने का हथियार बन जाता है| पत्थर का मालिक सिर पर वार होने की वजह से कोमा में चला जाता है| चाहत में डूबी हमारी इच्छाएँ अंधविश्वास को भी बहुत मजबूत शक्ल-ओ-सूरत में तब्दील कर देती हैं|

सीढ़ियाँ– पार्क परिवार के घर में सीढ़ियों की संख्या अधिक है| घर में बनी हुई सीढ़ियाँ ऊपर की तरफ़ जाती हैं जहाँ सबके अपने लग्ज़री कमरे हैं| और जब उन सीढ़ियों से नीचे उतरा भी जाता है तो शानदार बैठक खाना और रसोई है| सीढ़ियाँ सम्पन्नता का प्रतीक हैं| लेकिन एक दूसरे प्रकार की सीढ़ियाँ उनके घर के ही बेसमेंट में हैं जिससे पार्क परिवार बेखबर है| बेसमेंट में सीढ़ियों के नीचे सीढ़ियाँ हैं| जितने नीचे उतना ही ‘पैरासाइटी जीवन’ अँधेरे और शीलन में पनप रहा है| वहाँ सूरज नहीं है| लग्ज़री जीवन के साधन नहीं हैं| रौशनी का अभाव है| दुनिया से कटाव है| सामान्य जीवन नदारद है| लेकिन यही बेसमेंट की सीढ़ियाँ ऊपर आती हैं तब रात के समय किचन से खाना चुराने के लिए साधन भी बनती हैं| जैसे रात में सबके सो जाने पर कीड़े घूमने लगते हैं| यही काम पहले मून ग्वांग का पति और बाद में मि. किम करते हैं| क्योंकि दोनों के अपराध आगे बढ़ने की कोशिश में हुए अनचाहे अपराध हैं| इसलिए अब वे छुपी हुई ज़िन्दगी गुज़ार रहे हैं| सीढ़ियाँ अमीर और ग़रीबी के भयानक फ़र्क को दिखलाती हैं|

 

खाने की टेबल– किम परिवार के घर की खाने की टेबल छोटी है जिस पर परिवार का खाना लगभग बिखरी हुई अवस्था में रहता है| खाने की ऐसी दशा होती है जैसे किसी खाने पर कीड़े जुट जाते हैं| वही अमीर पार्क परिवार का कोई एक टेबल एक नहीं बल्कि कई हैं| वे डिजाइनर टेबल हैं| शानदार हैं| सफाई से चमक रहे हैं| कम लोगों में बड़े टेबल हैं| पार्क परिवार के कैम्पिंग में जाने के बाद किम परिवार बैठक में रखे टेबल का प्रयोग करता है और अपने सपने बुनता है| फ़िल्म के दृश्य में उनके बैठने के तरीकों को भी ‘पैरासाइटी व्यवहार’ के साथ दिखाया गया है| वास्तव में ग़रीबों का जीवन कुछ इसी तरह तब्दील होता जा रहा है| अमीरों के पास कुछ इस तरह के घर हैं जो आसमान की ऊँचाई को छू रहे हैं तो दूसरी तरफ़ ग़रीब लोगों के पास माकन तक नहीं हैं| कुछ लोगों के पास मकान के नाम पर माचिस की डिबियाएँ हैं|

जब पार्क परिवार घर पहुँचता है तब घर के मालिक के गैर मौजूदगी में जी रहे किम परिवार के सदस्य उसी टेबल के नीचे कीड़ों की तरह दम रोककर छुपकर लेट जाते हैं| यहाँ टेबल समाज के दोनों खानों का आईना है| जहाँ एक और शानदार दुनिया जी खा रही है तो दूसरी तरह एक तबका उस ज़िन्दगी से महरूम है| उनके पास रहने और खाने के आधारभूत साधन भी नहीं हैं|

भारी वर्षा– बिना मौसम के भारी वर्षा जलवायु परिवर्तन की तरफ संकेत करती है| इसके साथ ही इस ज़ोरदार बारिश का अमीर और गरीब लोगों पर क्या प्रभाव पड़ता है यह भी समझ आता है| इस वर्षा में मामूली ज़िन्दगी जी रहे लोगों का घर और सामान सब डूब जाता है तो वहीं| अमीर लोगों के लिए बड़ी खिड़की से बारिश देखना मनोरंजन है| यही नहीं, अगले दिन उन्हें यह महसूस होता है कि मौसम सुहावना हो गया है| हवा साफ़ है| हेल्थ के लिए अच्छा है| यह समाज के अंदर बढ़ती प्राकृतिक परेशानियों की तरफ़ भी इशारा है| क्यों अमीर और पूंजीपति ऐसे साधनों की छाया में रहते हैं जहाँ उन्हें कोई दिक्कत नहीं होती लेकिन गरीब इन दिक्कतों से पार नहीं पाता और उसकी जान पर भी बन आती है|Image result for पैरासाइट movie scene

बदबू– किम परिवार कम स्वच्छ और गैर रोशनीदार घर में रहते हैं| इसलिए उनके पास जीने की बुनियादी सुविधाएँ भी नहीं मिलतीं| शीलन वाली ज़िंदगी में वाजिब है कि एक महक जुड़ जाती है| इसके अलावा शरीरिक श्रम में भी शरीर से पसीना निकलता है जो बताता है कि असली श्रम कौन करता है| किम परिवार के मुखिया क्योंकि मि. पार्क के ड्राईवर हैं, वे श्रम करते हैं| लेकिन उनके बदन से एक महक आती है जो मि. पार्क के लिए परेशानी का सबब है| वह इसका ज़िक्र अपनी पत्नी मिसेज पार्क से भी करते हैं| ग़रीब और सर्विस प्रोवाइडर के प्रति अमीर वर्ग की सोच और रवैया दिखाया गया है| वह आभार नहीं मानते बल्कि एक्स्ट्रा पे के नाम पर उनको अधिक समय काम पर लगाया जाता है| यह अमीरी गरीबी की खाई इतनी ख़तरनाक है कि मि. पार्क को मि. किम मार डालते हैं| इसके पीछे वजह बेशक बदबू को दिखाया गया है, पर कहीं न कहीं मि. किम, मि. पार्क अमानुष रवैये से आहत होते हैं| यहाँ पार्क परिवार भी पैरासाइट है| वे ‘लेबर’ का अत्यधिक इस्तेमाल कम पे के साथ कर रहे हैं| अमीरों की ‘अच्छाई’ पर एक संवाद भी है| की वू कहता है कि ये लोग अमीर होने के बाद भी अच्छे हैं| इस बात पर उसकी माँ कहती है कि वे अमीर हैं इसलिए अच्छे हैं| इसके अलावा फ़िल्म में रेड इंडियन खेल और पोशाक को भी प्रतीक के रूप में समझा जा सकता है|

दक्षिण कोरियाई या अन्य किसी भी देश के समाजों के लोगों में बढ़ती अमीरी गरीबी की खाई, उनका आपसी टकराव, लालच, तरीके, ग़रीबों के आपसी टकराहट आदि को यह फ़िल्म बहुत ही सरलता से दिखाती चलती है| फ़िल्म का अन्त` सबसे मार्मिक है| वह उस नौजवान बेटे के सपने वाले ख़त से जुड़ा है जिसमें वह अपने पिता को एक उम्मीद के साथ तब तक उसी बेसमेंट में रहने को कहता है जहाँ वह मि. पार्क को मारकर घुस चुका है, जब तक वह ढेर सारा रुपया कमाकर उस आलिशान घर को ख़रीद नहीं लेता| अन्त` का दृश्य उस लड़के की उम्मीद वाली पर दर्द से भरी आँखों पर ही ख़त्म होता है| कोई नहीं जानता कि वह इतना पैसा कमा पाएगा भी या नहीं| हिन्दी फिल्में होती तो ज़रूर चमत्कार पकड़ा देतीं, लेकिन यह फ़िल्म पत्थर की तरह एक भारी सच सीने में चिपका देती है कि शायद ही ऐसा हो| आपको उस वक़्त एक कड़वेपन का एहसास होता है| इस कड़वेपन के कारण को हम अपने समाज में कहाँ कहाँ देखते और समझते हैं, इस सोच तक पहुँचाने का काम यह फ़िल्म बखूबी करती है|

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ज्योति प्रसाद

लेखिका जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में रिसर्च फेलो हैं। सम्पर्क-  jyotijprasad@gmail.com
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