पंजाब में पराली प्रबंधन के लिए एक्स-सीटू प्रबंधों को मिला बढ़ावा
धान की पराली के सुचारू प्रबंधन के लिए पंजाब द्वारा किए जा रहे एक्स-सीटू प्रबंधों को बढ़ावा मिला है। जिससे धान की पराली आधारित थर्मल पावर प्लांट्स को पराली राज्य के भीतर ही उपलब्ध हो जाएगी और खुले खेतों में धान की पराली को जलाने के मामलों में कमी आएगी।
दरअसल पंजाब के मुख्यमंत्री श्री भगवंत मान द्वारा धान की पराली के सुचारू प्रबंधन के दिशा-निर्देशों के अंतर्गत पंजाब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा किए जा रहे एक्स-सीटू प्रबंधों को बढ़ावा मिला है। बोर्ड के प्रयासों के स्वरूप एक औद्योगिक इकाई को केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा धान की पराली के प्रयोग को प्रोत्साहित करने के लिए पेलेटाइजेशन और टॉरफेक्शन प्लांट की स्थापना के लिए पर्यावरण संरक्षण शुल्क फंड के अंतर्गत एक बार वित्तीय सहायता देने के लिए दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं।
विज्ञान, प्रौद्यौगिकी एवं पर्यावरण मंत्री गुरमीत सिंह मीत हेयर ने जारी प्रैस बयान में कहा कि पंजाब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा उद्यमियों और मौजूदा औद्योगिक इकाईयों को राज्य में धान की पराली का अधिक से अधिक प्रयोग करने को प्रोत्साहित करने के लिए धान की पराली आधारित पेलेटाइजेशन और टॉरफेक्शन प्लांट लगाने के लिए प्रेरित किया गया है। बोर्डों के निरंतर और गंभीर प्रयासों के स्वरूप पंजाब की तीन औद्योगिक इकाईयों ने केंद्रीय बोर्ड द्वारा जारी दिशा-निर्देशों के अंतर्गत वित्तीय सहायता प्राप्त करने के लिए बोर्ड के पोर्टल पर आवेदन किया है।
आवेदन के तहत तीन इकाईयों में से बोर्ड की सिफ़ारशों पर मैसर्ज ए.बी. फ्यूल्स गाँव ढैपयी, भीखली (जि़ला) को 3 टीपीएच की क्षमता वाले धान की पराली आधारित टॉरफेक्शन प्लांट स्थापित करने के लिए केंद्रीय बोर्ड से 81 लाख 85 हजार 805 रुपए की वित्तीय सहायता सफलतापूर्वक प्राप्त हुई है, जो उद्योग की कुल लागत (2 करोड़ 4 लाख 64 हजार 513 रुपए) का 40 प्रतिशत है।
मीत हेयर ने आगे बताया कि धान की पराली के इस एक्स-सीटू प्रबंधन और राज्य में ऐसी इकाईयों की स्थापना से धान की पराली आधारित थर्मल पावर प्लांट्स को पराली अधारित राज्य के भीतर ही उपलब्ध हो जाएगी और खुले खेतों में धान की पराली को जलाने के मामलों में कमी आएगी। ऐसे पैलेटाइजेशन/टॉरफेक्शन प्लांट्स की स्थापना और वित्तीय सहायता प्रदान करने से उद्यमियों और मौजूदा औद्योगिक इकाईयों को प्रोत्साहित किया जाएगा, जिससे राज्य में पैदा हो रही धान की पराली के प्रयोग में काफ़ी वृद्धि होगी।