सेवाराम त्रिपाठी
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Nov- 2022 -11 Novemberसाहित्य
‘स्वाधीनता आन्दोलन और साहित्य’ : हमारे जीवन मूल्य
स्वाधीनता से बढ़कर इस दुनिया में कोई चीज़ नहीं। स्वतन्त्रता है तो सब कुछ है अन्यथा कुछ भी नहीं। यह आजादी का अमृत महोत्सव वर्ष है। पुस्तक का शीर्षक है-स्वाधीनता आन्दोलन और साहित्य। इसे अनुज्ञा बुक्स दिल्ली ने प्रकाशित…
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Oct- 2022 -6 Octoberप्रासंगिक
रावण न मरा है और न कभी मरेगा?
आज दशहरा है जिसे लोक में दसराहा भी कहा जाता है। दसराहा माने रावण। इसे परिष्कृत भाषा में विजयदशमी भी कहा जाता है। रावण को हर हाल में रहना है? रावण शरीर से गया है लेकिन अपनी असलियत से…
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May- 2022 -8 Mayसामयिक
वायरस की धुन पर राष्ट्रवाद की थिरकन
जिनको देखना चाहिए हम उन्हें नहीं देखते और जिन्हें नहीं देखना चाहिए- उन्हें हम बार-बार नहीं बल्कि हजार बार देखते हैं और जी भर कर देखते हैं। जैसे सब अपना- अपना राष्ट्रवाद लहरा रहे हैं क्योंकि उनके राष्ट्रवाद को…
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Apr- 2022 -13 Aprilशख्सियत
डॉ. अम्बेडकर का संघर्ष: स्वप्न और यथार्थ
(1) ‘‘सभी मनुष्य एक ही मिट्टी के बने हुए हैं और उन्हें एक अधिकार भी है कि अपने साथ अच्छे व्यवहार की माँग करें।’’ (2) ‘‘जाति संस्था केवल श्रम विभाजन नहीं हैं। वह श्रमिकों का भी विभाजन…
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Mar- 2022 -18 Marchसमाज
होली: रंगों का टूटता जादू
आप यह शीर्षक पढ़कर चौंके नहीं। कहाँ होली जैसा उमंग उल्लास और आनंद का त्योहार और कहाँ मैं उसके रंगों के टूटते जादू और निरंतर पड़ रहे नए बदलावों और संदर्भों को ले बैठा। जीवन के बहत्तरवें साल…
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Dec- 2021 -2 Decemberविशेष
चित्रकूटः कुछ कहनी कुछ अनकहनी
चित्रकूट के सम्बन्ध में सोचते- विचारते हुए मुक्तिबोध की कविता का यह अंश अचानक स्मरण हो आया। ‘‘जाने क्या रिश्ता है, जाने क्या नाता है/ जितना भी उड़ेलता हूँ, भर-भर फिर आता है/ दिल में क्या झरना है?/ मीठे…
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1 Decemberसाहित्य
अनसुलझे प्रश्नों के अंबार में
इन वर्षों हम इतने छले जा चुके हैं कि आदमी तो छोड़िए, उसकी परछाईं से भी खौफ पैदा होता-सा लगता है। पता नहीं कौन किस आदमी की परछाईं में घुसकर क्या कर डाले? पुराने प्रश्न सुलझाए नहीं जाते…
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Nov- 2021 -26 Novemberसामयिक
किसान आन्दोलन : स्थापन और विस्थापन का खेल
“जो अन्न-वस्त्र उपजाएगा, अब सो कानून बनाएगा/ यह भारतवर्ष उसी का है, अब शासन वही चलाएगा।” (स्वामी सहजानंद सरस्वती) “यह आशा करना कि पूँजीपति किसानों की हीन दशा से लाभ उठाना छोड़ देंगे, कुत्ते से चमड़े की रखवाली…
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23 Novemberसामयिक
किसान-आन्दोलन : प्रश्न-प्रतिप्रश्न
तीनों काले कृषि कानूनों के खिलाफ़ एवं अनाजदरों के न्यूनतम मूल्य-निर्धारण(एम एस पी) के संदर्भ में विगत एक वर्ष से किसान-आन्दोलन करते रहे हैं। अब जाकर इतने समय बाद सरकार को लगा कि इन्हें वापस लेंगे। सरकार का वादा…
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Sep- 2021 -18 Septemberसाहित्य
भर्तृहरि; आँतरिकता की तहें
“वरं पर्वतदुर्गेषु भ्रान्तं वनचरै: सह। न मूर्खजनसम्पर्क: सुरेन्द्रभवनेष्वपि।।” —भर्तृहरि (नीतिशतकम्) अर्थात् वनचारी जंतुओं के साथ दुर्गम पर्वतीय स्थानों और जंगलों में रहना अच्छा है; किंतु इंद्रभवन में भी मूर्खों के साथ रहना कल्याणप्रद नहीं है। भर्तृहरि बहुत अनुभवी और…
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