सबलोग
-
May- 2018 -10 Mayचर्चा में
बेरोजगारी : बीमारी को इलाज मानने का संकट
भारत युवाओं का देश है। देश में 65 प्रतिशत आबादी युवाओं की है, मगर उनकी स्थिति ठीक नहीं है। उनके लिए न शिक्षा की उचित व्यवस्था है, न रोजगार की। शिक्षा के व्यवसायीकरण के कारण यह काफी महंगी एवं आम…
Read More » -
10 Mayपुस्तक-समीक्षा
राष्ट्रवाद से जुड़े विमर्शों को रेखांकित करती एक किताब
देश में राष्ट्रवाद से जुड़ी बहस इन दिनों चरम पर है। राष्ट्रवाद की स्वीकार्यता बढ़ी है। उसके प्रति लोगों की समझ बढ़ी है। राष्ट्रवाद के प्रति बनाई गई नकारात्मक धारणा टूट रही है। भारत में बुद्धिजीवियों का एक वर्ग ऐसा…
Read More » -
9 Mayपर्यावरण
जैविक खेती से ही हो सकता है कृषि भूमि सुधार
सुरेश हिन्दुस्तानी वर्तमान में देश में इस बात के लिए गंभीरता पूर्वक चिंतन होने लगा है कि रासायनिक खादों के चलते कृषि भूमि में जो हानिकारक बदलाव आए हैं, उसे कैसे दूर किया जाए। इस बारे में केन्द्र…
Read More » -
8 Mayउत्तरप्रदेश
बच्चों को बचाने के वाले की बेटी पिता को नहीं पहचानती!
‘योगी जी ही बताएंगे कि क्या मुसलमान होने की वजह से दंडित किया गया? – डॉ. कफील खान (वर्तमान में जमानत पर बाहर गोरखपुर के बाल रोग चिकित्सक डॉ. कफील खान उस भयानक रात के बारे में सोनिया सरकार से…
Read More » -
Apr- 2018 -28 Aprilशहर-शहर से
विचारधाराएँ भी सत्ता के चरित्र को परिभाषित करती हैं
15 अप्रैल, 2018 को मऊभंडार (घाटशिला) में आई.सी.सी. मजदूर यूनियन के हाल में प्रलेसं और भारतीय महिला फेडरेशन की घाटशिला इकाईयों ने संयुक्त रूप से बैठक सह गोष्ठी का आयोजन किया. गोष्टी का विषय था “धर्म और जातीय अंधवाद के…
Read More » -
27 Aprilसाहित्य
कविता के कहन में गंगा प्रसाद विमल
अपने देश में जीवित लोगों की संख्या अरबों में है। लक्ष्मी की नेमत जिन पर नहीं बरसीं, वे जी तो रहे हैं पर उनका जीवन तक़लीफदेह, कष्टप्रद अधिक है। बाकी लोग अलमस्त हैं। अपनी-अपनी ज़िंदगी में बेलाग-बेलौस हैं। सब एक…
Read More » -
26 Aprilचर्चा में
कांग्रेस को भारी पड़ा महाभियोग प्रस्ताव
वर्तमान में देश में जिस प्रकार की विरोधात्मक राजनीति की जा रही है, वह केवल अविश्वसनीयता के दायरे को और बड़ा करती हुई दिखाई देती है। इसको विपक्षी राजनीति करने वाले राजनीतिक दलों की नकारात्मक चिंतन की राजनीति कहा जाए…
Read More » -
Mar- 2018 -15 Marchचर्चा में
जिन्दगी की चाह का खत्म हो जाना…
इच्छामृत्यु की मांग करना, जिंदगी की चाह का खत्म हो जाना है। जबकि जिंदगी अपने मूल रूप में मृत्यु का इंतजार ही है, परन्तु अपनी इच्छा से मरना अपने मूल रूप में जिंदगी से हारना है। इच्छामृत्यु पर हमारे समाज…
Read More » -
Feb- 2018 -12 Februaryचर्चा में
मानव श्रृंखला में कैसे बदली टोपी?
नीतीश कुमार के फिर से सत्ता में आने के बाद बिहार की राजनीति में बहुत कुछ होता दिखा। पहले नीतिश सरकार ने शराबबंदी पर मोर्चा खोला तो साल 2018 की शुरूआत में ही बाल विवाह व दहेज प्रथा के खिलाफ।…
Read More » -
12 Februaryचर्चा में
पूर्वोत्तर : 3 राज्यों में दिलचस्प होगा चुनाव
पूर्वोत्तर के तीन राज्यों में होने वाले चुनाव को लेकर इस बार लोगों में काफी उत्साह दिखाई पड़ रहा है. खास करके उन राजनैतिक पार्टियों में अच्छी हलचल है, जिनको इन तीनों राज्यों में अपना रंग दिखाना है. तीनों राज्यों…
Read More »