राजेश कुमार
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Sep- 2024 -25 Septemberतीसरी घंटी
‘बकरी’ केवल घास नहीं खाती
जो लोग सत्ता के इर्द-गिर्द होते हैं, वे नहीं चाहते हैं कि उनके आस-पास ऐसी कोई आवाज़ सुनाई दे जो उनके विरुद्ध हो। किसी राजनीतिक-सामाजिक आन्दोलन में अगर व्यवस्था परिवर्तन का कोई स्वर सुनाई देता है तो वे सतर्क…
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Aug- 2024 -14 Augustशख्सियत
रेडियो के मार्फत मंटो के नाटक
मंटो को उर्दू और हिन्दी के अधिकतर पाठक उन्हें उनकी बेशुमार कहानियों को लेकर जानते हैं। जितना उन्हें उर्दू के लोग जानते हैं, उससे कम हिन्दी के लोग नहीं जानते हैं। बल्कि दोनों भाषाओं के पाठकों के बीच इतना…
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Jul- 2024 -10 Julyतीसरी घंटी
एकल यानि एक और एक ग्यारह
नाटक की दुनिया में एकल कई नामों से जाना जाता है। बोलचाल की भाषा में कोई एकल को ‘एकांत’ कहता है तो कोई ‘मोनोलॉग’, । कोई इसके लिए ‘एकल अभिनय’ शब्द का प्रयोग करता हो कोई ‘मोनो एक्टिंग’। संस्कृत,…
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May- 2024 -11 Mayतीसरी घंटी
अमली: लोक शैली से लोक स्वर का सफ़र
जब भी भिखारी ठाकुर का नाम आता है, उनका नाटक ‘बिदेसिया’ स्वाभाविक रूप से ज़ुबान पर आ जाता है। और जब ‘बिदेसिया’ की बात आती है तो ‘अमली’ को कोई कैसे भूल सकता है? ‘अमली’ हृषीकेश सुलभ का पहला…
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Apr- 2024 -14 Aprilरंगमंच
उत्पीड़तों के रंगमंच का प्रस्थान बिन्दु
स्वदेश दीपक का ‘कोर्ट मार्शल’ नाटक साहित्य कला परिषद, दिल्ली द्वारा वर्ष 1990 में ‘मोहन राकेश सम्मान’ के लिए आमंत्रित नाटक प्रविष्टियों में सर्वोत्तम चयनित किया गया था। इस संबंध में अक्तूबर, 90 के तीसरे हफ़्ते में स्वदेश दीपक…
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Dec- 2023 -25 Decemberनाटक
रंगमंच का चेहरा
इससे क़तई सहमत नहीं हुआ जा सकता है कि रंगमंच का कोई चेहरा नहीं होता है? जैसे हर आदमी का अपना एक चेहरा होता है, उसके आँख-नाक और मुँह की अलग बनावट होती है … वैसे ही अलग-अलग प्रकार…
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16 Decemberतीसरी घंटी
सत्ता के दबाव से रंगमंच का बिगड़ता चेहरा
नहुष नामक राजा ने अपनी नीति, बुद्धि और पराक्रम से जब स्वर्ग का राज्य प्राप्त किया तो वहाँ संगीत, नृत्य तथा नाट्य को देख कर इन विद्याओं को पृथ्वी पर लाने के लिए चिंतित हुए। राजा ने देवताओं से…
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Sep- 2023 -2 Septemberतीसरी घंटी
असंगत नाटककार का पुनर्पाठ : भुवनेश्वर दर भुवनेश्वर
एक वक्त गुजरने के बाद ऐसा मोड़ आता है जब लगता है जो पढ़ा है, उसे फिर से पढ़ा जाए। और जब पढ़ते हैं तो महसूस होता है कि इस बार की अनुभूति पहले से बिलकुल अलग है। आनंद…
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Nov- 2022 -17 Novemberतीसरी घंटी
रंगमंच में स्त्री के लिए जगह
हड़पने की संस्कृति का इनदिनों जिस तरह विकास हुआ है, वो कम होने का नाम नहीं ले रहा है, उल्टे और तेजी से बढ़ता जा रहा है। यह केवल एक क्षेत्र में नहीं है, इस तरह के ट्रेंड दूसरी…
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Aug- 2022 -5 Augustरंगमंच
राज बिसारिया के रंगमंच की दुनिया
लखीमपुर खीरी में जन्मे राज बिसारिया आज 86 साल से ज्यादा के हो चुके हैं। उम्र के इस पड़ाव पर जहां अधिकतर रंगकर्मी रंगकर्म को अलविदा कर देते हैं, अस्वस्थ होने के कारण लाचार हो जाते हैं, नॉस्टेल्जिया में…
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