अर्पण जैन 'अविचल'
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Oct- 2022 -1 Octoberसामयिक
गाँधी के देश में गाँधी की अनिवार्यता
देश की माटी का गौरव, समाज का अस्तित्व, जन का मान, सर्वहारा वर्ग की चिन्ता, हर तबके का विशेष ख़्याल, भाषाई एकता और अखण्डता के बीच हिन्दी की स्वीकार्यता, राष्ट्र की आज़ादी के रण के नायक, नेतृत्वकर्ता, सत्यवादी, मितव्ययी,…
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Mar- 2022 -8 Marchसामयिक
दख़ल ज़रूरी है आह्लादिनी का
सृष्टि की उत्पत्ति से, सृजन की वेदिका से, अक्ष के केन्द्र से, धर्म के आचरण से, कर्म की प्रधानता से, कृष के आकर्षण से, सनातन के सत्य से, चेतन के अवचेतन से, जो ऊर्जा का ऊर्ध्वाधर प्रभाव पैदा होता…
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Jan- 2022 -25 Januaryसामयिक
आवश्यक है ‘गणतन्त्र’ की घर वापसी
पचहत्तर वर्षीय आज़ादी का यशस्वी गौरव, मरते-जीते योद्धा, क्रांति के नायकों का मेला, जश्न मनाते भारतीय और फिर इसके साथ लगभग दो वर्ष, ग्यारह माह और अट्ठारह दिन में तैयार हुआ एक ऐसा मसौदा, जिसने इस राष्ट्र की आज़ादी…
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Aug- 2021 -24 Augustसाहित्य
हिन्दी आख़िर क्यों? : संवाद की समरूपता में निहित है राष्ट्र की प्रगति
भाषा किसी दो सजीव में संवाद स्थापित करने का माध्यम है। जीव-जन्तु, पशु-पक्षियों और मनुष्य के अस्तित्व से ही संवाद का आरम्भ माना जाता है। प्रत्येक सजीव अपनी प्रजाति से किसी ने किसी भाषा में संवाद करते हैं। कोयल…
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Jun- 2021 -19 Juneदेश
कोरोना की लहर बनी राजनैतिक उपसर्ग
देश के हालात ऑक्सीज़न और साँसों के लिए मोहताज हो रहे थे, भय और भयाक्रांत जनता इधर-उधर दौड़ रही थी, किसान पहले से ही सड़कों पर थे, अब मरीज़ और परिजन दवाओं, इंजेक्शन और अस्पताल में उपचार मिलने की प्रतीक्षा करते-करते हाँफ़ चुके…
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