प्रो. संजय द्विवेदी
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भाषा
अमृतकाल में राजभाषा हिंदी को मिलेंगी नई राहें..!
तृतीय अखिल भारतीय राजभाषा सम्मेलन, पुणे (14-15 सितंबर) के अवसर पर विशेष किसी भी लोकतांत्रिक देश में जनता और सरकार के मध्य जन-जन की भाषा ही संपर्क भाषा के रूप में सार्थक भूमिका अदा कर सकती है। हिंदी,…
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भाषा
हिन्दी हैं हम
भाषा संवाद संप्रेषण का सशक्त माध्यम है। मनुष्य को इसलिए भी परमात्मा की श्रेष्ठ कृति कहा जाता है कि वह भाषा का उपयोग कर अपने भावों को अभिव्यक्त करने में सक्षम है। यही विशेषता है, जो मनुष्य को अन्य…
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शख्सियत
एक पत्रकार त्रिलोक दीप जैसा
ये ऊपर वाले की रहमत ही थी कि त्रिलोक दीप सर का मेरी जिंदगी में आना हुआ। दिल्ली न आता तो शायद इस बहुत खास आदमी से मेरी मुलाकातें न होतीं। देश की नामवर पत्रिकाओं में जिनका नाम…
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पुस्तक-समीक्षा
पत्रकारिता से साहित्य में चली आई ‘न हन्यते’
आचार्य संजय द्विवेदी की नई किताब ‘न हन्यते’ को खोलने से पहले मन पर एक छाप थी कि पत्रकारिता के आचार्य की पुस्तक है और दिवंगत प्रख्यातों के नाम लिखे स्मृति-लेख हैं, जैसे समाचार पत्रों में संपादकीय पृष्ठ पर…
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प्रेस रिलीज़
‘ग्लोबल विलेज’ की अवधारणा ने हमें ‘वर्चुअल वर्ल्ड’ में पहुंचाया
आईआईएमसी के छात्र सूरज तिवारी की पुस्तक ‘विश्वविद्यालय जंक्शन’ का विमोचन हिंदी के प्रख्यात कवि एवं ललित निबंधकार श्री अष्टभुजा शुक्ल ने कहा है कि आज कागज पर लिखने की संभावनाएं खत्म होती जा रही हैं। हम आभासी समय…
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प्रेस रिलीज़
‘नैरेटिव’ से ज्यादा जरूरी है ‘सच’: मेजर जनरल कटोच
भारतीय जन संचार संस्थान (आईआईएमसी) द्वारा सीआरपीएफ अधिकारियों के लिए आयोजित मीडिया संचार पाठ्यक्रम के समापन समारोह को संबोधित करते हुए मेजर जनरल (सेवानिवृत्त) ध्रुव कटोच ने कहा कि देश और देशवासियों की बेहतरी के लिए ‘नैरेटिव’ से ज्यादा ‘सच’ जरूरी है। उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया…
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पुस्तक-समीक्षा
नए युगबोध का दस्तावेज है ‘भारतबोध का नया समय’
प्रोफेसर संजय द्विवेदी भारतीय पत्रकारिता के प्रतिष्ठित आचार्य हैं। उनकी नई पुस्तक ‘भारतबोध का नया समय’ के पहले आलेख में (जो कि पुस्तक का शीर्षक भी है) मीडिया आचार्य संजय द्विवेदी वसुधैव कुटुम्बकम् (धरती मेरा घर है) की उपनिषदीय…
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मुद्दा
आइए ड्रग्स मुक्त भारत बनाएं
बौद्ध दर्शन में संसार की जटिलता को समझाने के लिए बुद्ध ने चार आर्यसत्यों की बात की है। ये सत्य हैं – संसार में दुख है। दुख का कारण है। इसका निवारण है। और इसके निवारण का मार्ग…
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मीडिया
पठनीयता के संकट के बीच खुद को बदल रहे हैं अखबार
भारत में अखबारों के विकास की कहानी 1780 से प्रारम्भ होती है, जब जेम्स आगस्टस हिक्की ने पहला अखबार ‘बंगाल गजट’ निकाला। कोलकाता से निकला यह अखबार हिक्की की जिद, जूनुन और सच के साथ खड़े रहने की बुनियाद पर रखा गया।…
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मीडिया
कोरोना संकट में संबल बनी पत्रकारिता
हिन्दी पत्रकारिता दिवस (30 मई) पर विशेष कोविड-19 के दौर में हिन्दी पत्रकारिता दिवस मनाते हुए हम तमाम प्रश्नों से घिरे हैं। अँग्रेजी पत्रकारिता ने अपने सीमित और विशेष पाठक वर्ग के कारण अपने संकटों से कुछ निजात पाई है। किन्तु…
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