sevaram tripathi
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सामयिक
किसान आन्दोलन : स्थापन और विस्थापन का खेल
“जो अन्न-वस्त्र उपजाएगा, अब सो कानून बनाएगा/ यह भारतवर्ष उसी का है, अब शासन वही चलाएगा।” (स्वामी सहजानंद सरस्वती) “यह आशा करना कि पूँजीपति किसानों की हीन दशा से लाभ उठाना छोड़ देंगे, कुत्ते से चमड़े की रखवाली…
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विशेष
लेखन यानी बाक़ायदा एक हलफ़िया बयान
आपत्ति में या संकट के समय लेखक की आस्था और विवेक की असली पहचान होती है। यही नहीं नागरिकों की स्वतन्त्रता की कीमत का खुलासा होता है। आस्था और विवेक कोई लुभावनी चीज़ नहीं हैं। इनकी हमेशा तलाश होती…
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मुद्दा
कोरोना की त्रासदी और हमारा समय
कोराना वायरस की सूचना दिसम्बर, 2019 में पहली बार सामने आई थी। फिर उसकी भयावहता के चरण धीरे-धीरे बढ़े और एक समय वह आया जब समूचे भूमण्डल में उसका कोहराम छा गया। यह भी देखने में आया कि कोई…
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देश
खुशफहमी से बाहर यथार्थ देखने का वक़्त
देश दुनिया के जो हालात हैं, उसको गम्भीरता से लेने की ज़रूरत है। फ़ोटो शूट करने में थोड़ी-थोड़ी खुशियों की भी एक दुनिया होती है। इसका मज़ा भी लेना चाहिए, लेकिन केवल इन्हीं में डूबे रहना क्या एकदम ठीक…
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