Ruhani Satsang Books
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धर्म
भारतीय तत्व–चिन्तन का प्राणतत्व : पंथी होकर भी पंथ–निरपेक्ष!
गुरु नानक देव का चिन्तन ‘इक ओंकार सतनाम’ से ‘सर्वेश्वरवाद’ तक जो व्यक्ति अथवा देश अपना सर्वस्व (ज्ञानानुशासन–परम्परा) बिसरा दे और अपने गुरुओं की शिक्षा (ज्ञान!) से अत्यंत दूर चला जाए, उसे पुनः अपने अंतस में झाँकने और…
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