literature
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सामयिक
इक्कीसवीं सदी में महिला सशक्तिकरण, साहित्य और समाज
साहित्य की अवधारणा समाज के बिना सम्भव नहीं है। यह समाज से प्रभावित होता है और समाज भी साहित्य से प्रभावित होता है। साहित्य सामाजिक विषय को ध्यान में ही रख लिखा जाता है। विषय वस्तु और स्वरुप के…
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साहित्य
स्मृति शेष – उस पागल चंदर को कैसे भूले कोई…
sablog.in – पूरा तो याद नहीं, लेकिन जिले का नाम भागलपुर था, अब वहां किस लेखक का घर था, यह याद नहीं। हां, इतना याद है कि वो सर्दी की रात के अंधेरे में आम के पेड़ के नीचे कुछ…
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साहित्य
वो आखिरी शब्द… अलविदा दिल्ली… अब नहीं लौटना तुम्हारे आंगन में…
sablog.in डेस्क : अगस्त का महीना था। मॉनसून अपने शबाब पर था। खिड़की के बाहर रिमझिम बूंदें धरती पर थपाथप गिर रही थी और बूंदों के बीच ना जाने रोहन की आंखें क्या तलाश कर रही थी। उमस भरी दिल्ली की…
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