krishna sobti

  • चर्चा में

    जहाँ हम रुकें, वहाँ से तुम चलो

      सुबह जगते ही कृष्णा सोबती के देहांत की खबर सुनी तो एकबारगी तो लगा जैसे साहित्य के आसमान का सबसे उजला सितारा कहीं खो गया हो और मन डूबने लगा। मगर उनके रचना-संसार से गुजर कर बनी हुई चेतना…

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    एक बड़ी क्षति

    हिन्दी की शिखर-गद्यकार, अन्याय के विरुद्ध सदा जुझारू और सशक्त आवाज़ कृष्णा सोबती आज सुबह नहीं रहीं| 94 वर्षीय कृष्णा जी पिछले कुछ समय से अस्वस्थ थीं। पर विचार के स्तर पर पहले की तरह ही बुलंद! एक बड़ी लेखिका…

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