jawahar choudhary
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राग-ज़िन्दगी
जरा से बीज से कोपल निकल आई
(बोसकीयाना की खिड़की से ज़िन्दगी के झोंके) फ़िल्में हमारे जीवन में इतनी रच बस गयी हैं कि लगता है लोकमानस को दिशा देने का काम करती हैं। यदि फ़िल्मकार गुलज़ार हों तो यह प्रभाव बहुत सलीके से गहरे तक उतरता…
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