जेएनयू
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पुस्तक-समीक्षा
जेएनयू: हक़ीक़त के आईने में
जेएनयू के सेंटर फॉर पॉलिटिकल स्टडीज़ के अध्यापक प्रो. आमिर अली की एक बात वहाँ के शोधार्थी पंकज द्रविड़ ने बताई कि किसी भी किताब के संदर्भ में दो बातें देखी जानी चाहिए- एक उसका टाइटल, और दूसरा उसकी…
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आँखन देखी
साहित्य, समाज और राजनीति
हर साल अपनी कक्षा के नए छात्रों से पूछता हूँ कि उनमें से कितने लोग साहित्य पढ़ने में रुचि रखते हैं। मैं उन्हें साफ़-साफ़ कहता हूँ कि यदि साहित्य में उनकी रुचि नहीं है तो बेहतर होगा कि समाज…
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बिहार
जनतान्त्रिक चेतना मंच द्वारा आयोजित मुंगेरीलाल स्मृति व्याख्यान – चिंटू कुमारी
चिंटू कुमारी जनतान्त्रिक चेतना मंच द्वारा आयोजित मुंगेरीलाल स्मृति व्याख्यान जिसका विषय ‘सामाजिक न्याय और सामाजिक परिवर्तन’ है में मुझे मुंगेरीलाल आयोग की रिपोर्ट के एक विशेष पहलु – दलित महिला राजनैतिक चेतना और मुंगेरीलाल रिपोर्ट पर बोलने…
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शिक्षा
शिक्षामन्त्री के लिए मांगपत्र – प्रेमपाल शर्मा
प्रेमपाल शर्मा खुशी की बात यह है कि 30 मई को नयी सरकार के शपथ ग्रहण करने से पहले ही 100 दिन के जो लक्ष्य निर्धारित किए गए हैं उसमें शिक्षा भी शामिल की गयी है। उसी के…
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राजनीति
विपक्ष के पास है बड़ा जनाधार
23 मई के चुनावी परिणाम से कम से कम तीन सबक सीखे जा सकते हैं। पहला, टेलीविजन संप्रेषण का सबसे प्रभावी माध्यम है और जिस दल का टेलीविजन पर नियन्त्रण होगा, उसी दल के नेता की बतौर शक्तिशाली नेता…
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शख्सियत
स्वप्न और क्रान्ति के कवि गोरख पाण्डेय – मनोज कुमार झा
मनोज कुमार झा दुनिया के कई महान और क्रान्तिकारी कवियों ने आत्महत्या की है। कवियों की हत्या भी की गई है। पिछली सदी के अन्तिम दशक में क्रान्तिकारी कवि पाश की आतंकवादियों ने हत्या कर दी, तो एक…
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स्त्रीकाल
विवाह का अन्तः विस्फोट
निवेदिता मेनन परिवार के इस स्वरूप में हिंसा ऐसी अन्तर्निहित संस्था है जो ‘जेंडर’ के सार तत्व का निर्माण करती है। मैं यहाँ शारीरिक हिंसा की बात विशेष तौर पर नहीं कर रही हूँ। मेरा आशय इस तरह…
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राजनीति
मेरी लड़ाई ध्रुवीकरण की राजनीति के खिलाफ है – कन्हैया कुमार
जेएनयू छात्र संघ के पूर्व अध्यक्ष और भारतीय कम्यूनिस्ट पार्टी के उम्मीदवार कन्हैया कुमार भाजपा के नेता और केन्द्रीय मंत्री गिरिराज सिंह के खिलाफ जाति की सीमा से परे कम्यूनिस्ट पार्टी के समर्थकों की बड़ी संख्या के कारण बिहार…
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आँखन देखी
ऐसे भी जीते हैं लोग
पिछले दिनों पुणे की एक संस्था ‘लोकायत’ ने गाँधी पर एक व्याख्यान देने के लिए मुझे आमन्त्रित किया था. इस व्याख्यान के बहाने मुझे पहली बार पुणे जाने का मौक़ा मिला. इस शहर के बारे में मेरी उत्सुकता काफ़ी…
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