जातिवाद
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राजनीति
दलित राजनीति का ‘चिराग’ संकट में
स्वर्गीय रामविलास पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी पर कब्जे को लेकर उनके पुत्र चिराग पासवान और भाई पशुपति पारस के बीच जंग छिड़ा हुआ है। यदि रामविलास पासवान जीवित होते तो निश्चित तौर पर यह संघर्ष नहीं होता और यदि ऐसा कुछ…
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बिहार
पिछड़ी जाति की जमींदारी व सोशलिस्ट धारा
जैसा कि पहले के लेखों में ये तर्क प्रस्तुत किया गया है बिहार में जातिवाद की बढ़ोतरी तथा कांग्रेस सहित अन्य दलों में जमींदारों के प्रवेश के बीच गहरा सम्बन्ध है। लोहिया के सूत्रीकरण ने पिछड़ी जाति के धनाढ्य…
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बिहार
जमींदारों की रणनीति है ‘भूमिहार’ पहचान पर जोर देना
(भाग 2) एक श्रेणी के बतौर ‘भूमिहारवाद’ या भूमिहार विरोध बिहार में स्वतन्त्रता प्राप्ति के बाद से ही प्रचलन में रहा है। जब आजादी के बाद श्रीकृष्ण सिंह बिहार के पहले मुख्यमन्त्री बने, उनके कार्यकाल को भी ‘‘भूमिहार…
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Uncategorized
साहित्य की एक नयी दुनिया – अमित कुमार
अमित कुमार ‘साहित्य की एक नई दुनिया संभव हैं’, के नारों के साथ दलित साहित्य महोत्सव का आगाज ऐतिहासिक रहा. प्रसिद्द लेखक साहित्यकार मोहन दास नैमिशराय, लक्ष्मण गायकवाड़, बल्ली सिंह चीमा, निर्मला पुतुल, हेमलता महिश्वरी, अब्दुल बिस्मिल्लाह, चौथीराम…
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