अन्तर्राष्ट्रीय मित्रता दिवस

  • संस्कृति

    मित्रता और संस्कृति

      मैथिली शरण गुप्त जी ने बहुत ही खूबसूरती से निम्नलिखित पंक्तियों मे मित्रता को परिभाषित किया है: ‘तप्त हृदय को, सरस स्नेह से, जो सहला दे, मित्र वही है। रूखे मन को, सराबोर कर, जो नहला दे, मित्र वही…

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