
राज से पर्दा उठाती ‘सोनम गुप्ता बेवफा है’
{Featured in IMDb Critics Reviews}
निर्देशक- गौरव चौधरी
कास्ट – अभय अवस्थी, किम्मी गुप्ता, प्रदीप, सुमित अग्रवाल
अपनी रेटिंग – तीन स्टार (एक अतिरिक्त स्टार असली कहानी को बाहर लाने के लिए)
करीबन आज से चार-पांच बरस पहले एक लड़का विक्की यादव एक दस के नोट पर लिखता है ‘सोनम गुप्ता बेवफ़ा है’ फिर देखते-देखते हमारे देश में लगभग हर दस के नोट पर यह नोट लिखा हुआ वायरल होता है और देश के अलावा यह खबर विदेशों में भी चटखारेदार और हंसी मजाक के साथ पढ़ी-देखी व सुनाई जाने लगती है। हर कोई अपने-अपने हिसाब से इस कहानी को गढ़ता है, मढ़ता है और सामने वाले पर उड़ेलता है।
आज से करीबन चार साल पहले पिक्चर वाले यूट्यूब चैनल पर इसी नाम से फ़िल्म आई। जिसे डायरेक्ट किया गौरव चौधरी ने और लेकर आए एक असल कहानी सोनम गुप्ता की। हालांकि यूट्यूब और गूगल की हर साइट और अखबारों के पन्ने पर यह कहानी आग की तरह फैली और पन्ने-दर-पन्ने रंग दिये गये। कहानी जो असलियत में है वह उत्तरप्रदेश के एक शहर के साइबर कैफे से निकली है। जिसमें एक लड़का विक्की यादव कैफे में बैठा फेसबुक चला रहा है एक दिन सोनम गुप्ता वहाँ आती है और विक्की उसे निहारता रह जाता है। फिर क्या दोनों अपने प्यार का इजहार करते हैं लेकिन फिर कुछ ऐसा सामने आता है कि सोनम गुप्ता पूरे देश के लिए बेवफा बन जाती है। यह थी असल कहानी जिसे हर लेखक, निर्देशक ने अपने-अपने तरीके से दिखाया।
फ़िल्म दिल्ली में एक इंटरनेशनल फ़िल्म फेस्टिवल में बेस्ट फ़िल्म का अवॉर्ड भी हासिल कर चुकी है। फ़िल्म में विक्की के किरदार में अभय अच्छे लगे। सोनम गुप्ता के किरदार में किम्मी गुप्ता जंचती है। सुमित अग्रवाल कैफे मालिक के रूप में ठीक ठाक प्रदर्शन करते नजर आते हैं। बेहद कम संसाधनों के साथ फिल्माई गयी यह फ़िल्म एक असल कहानी को गढ़ती, जीती है। सोनम के पिता बने प्रदीप इससे पहले कई काम कर चुके हैं। अभय अवस्थी भी अब एक जाना माना नाम बन चुके हैं।
कैमरा एंगल पंकज सिंह कैंतुरा का कुछ जगह प्रभावित करता है, विनोद कुमार सिंह की एडिटिंग में सुधार की गुंजाइशें नजर आती है। अमित चौधरी का म्यूजिक फ़िल्म को प्रभावी बनाता है। फ़िल्म में पुराने गाने और उनका इस्तेमाल बेहतर तरीके से किया गया है। गौरव चौधरी का निर्देशन फ़िल्म को देखते समय चेहरे पर मुस्कान बरकरार रखता है लेकिन बावजूद इसके काफी कुछ कच्चापन भी नजर आता है हालांकि स्वतंत्र रूप से किया गया यह उनका पहला काम रहा।
अब बात करें फ़िल्म और दस पर लिखे गये नोट की कहानी तो यह प्यार में धोखा खाए लोगों की कहानी है। इश्क शब्द खुद से ही अधूरा है तो यह किसी के लिए मुकम्मल कैसे हो सकता है।
एक बात और कुछ हो न हो लेकिन लोग अब सोनम गुप्ता नाम रखने से जरूर कतराने लगे होंगे।
फिर भले ही हजारों प्रेम कहानियां इस दुनिया में घटित हुई हों। वे आगे भी घटित होती ही रहेंगीं यूँ ही क्योंकि वो शायर मीर कह गये हैं न –
राह-ए-दूर-ए-इश्क़ में रोता है क्या।
आगे आगे देखिए होता है क्या।।
फिल्म का लिंक – https://youtu.be/JKDdaFf93V0
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