राजनीति

शहीद हुए जवानों पर राजनीति ठीक नहीं 

  • तमन्ना फरीदी
भारत की सेना का मुख्य उद्देश्य देश की सुरक्षा और राष्ट्र की एक एकता को सुनिश्चित करना, देश को बाहरी और आंतरिक खतरों से सुरक्षा प्रदान करना और सीमा पर शांति और सुरक्षा को बनायें रखना हैं।
देश की सुरक्षा और राष्ट्र की एक एकता को सुनिश्चित करना, देश को बाहरी और आंतरिक खतरों से सुरक्षा प्रदान करना और सीमा पर शांति और सुरक्षा को बनायें रखने के लिए हमारे जवानो ने कितनी शहादते दी जिनसे देश का आम नागरिक अनजान है 72 वर्षो में भारतीय सेना के अनगिनत जवानो ने अपने प्राणो की आहुति दे कर देश की सुरक्षा और राष्ट्र की एक एकता को सुनिश्चित करना, देश को बाहरी और आंतरिक खतरों से सुरक्षा प्रदान की है इस पर पूरी किताब भी कम पड़ जाएगी।  इस लेख में हम 2005 से दिसंबर 2017 तक के आंकड़ों से आपको रूबरू करवा रहे है।
भारतीय सेना के जनवरी 2005 से दिसंबर 2017 तक के आंकड़ों से पता लगता है कि कुल 1 हजार 684 जवानों ने पाकिस्तानी फायरिंग, आतंक निरोधी ऑपेशन्स, जवाबी कार्रवाई और शांति मिशनों में अपनी शहादत दी  है।  आंकड़ों अनुसार भारतीय सेना ने बीते 13 सालों में हर तीसरे दिन अपना एक जवान गंवाया है।
सिर्फ साल 2017 में ही 87 भारतीय सैनिक शहीद हुए हैं। 23 दिसंबर 2017 को एक मेजर सहित हुई 4 जवानों की मौत के बाद यह आंकड़ा 91 हो गया है।
भारतीय सेना के आंकड़ों के मुताबित, साल 2016 में 11 अफसर सहित 86 जवान शहीद हुए, वहीं साल 2015 में यह आंकड़ा 4 अफसर सहित 85 जवानों का था। साल 2014 में 65, 2013 में 64, 2012 में 75, 2011 में 71, 2010 में 187, 2009 में 107, 2008 में 71, 2007 में 221 और 2006 में 223 जवान शहीद हुए थे। साल 2015 में सबसे ज्यादा 342 जवान शहीद हुए थे।
वही  2018 में ये संख्या बढ़कर 91 2014 से लेकर 2019 के 15 फरवरी तक के आंकड़ों की बात की जाए तो इन पांच सालों में 381 जवान आतंकियों का निशाना बने हैं. सबसे ज्यादा आतंकी हमले की घटना पिछले साल मतलब 2018 में हुई थी. 2018 में आतंकी हमलों में 91 सैनिक मारे गए और 38 नागरिकों की जान चली गई.
इसके अलावा गृह मंत्रालय के मुताबिक साल 2014 के मुकाबले साल 2018 में जम्मू-कश्मीर में नागरिकों, सुरक्षा बलों और आतंकवादियों- तीनों की मौतों में बढ़ोतरी हुई है.2014 से 2018 के बीच जम्मू-कश्मीर में कुल 1315 लोग आतंकवाद की वजह से मारे गए. इसमें 138 (10.49%) नागरिक थे, 339 (25%) सुरक्षा बल और 838 (63.72%) आतंकी थे.
जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में 14 फरवरी  को बड़ा आतंकी हमला हुआ. इस हमले में सीआरपीएफ के 40 जवान शहीद हो गए. 2019 में अगर जवानों की मौत की बात करें तो साल के दूसरे महीने में ही ये आंकड़े 50 के करीब पहुंच गए हैं. लेकिन अगर पिछले 5 साल के आंकड़ों को देखेंगे तो पाएंगे कि जम्मू कश्मीर में आतंकी हमले करीब 94 फीसदी बढ़े हैं।
आंकड़े ये भी बताते है कि जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में गुरुवार को बड़ा आतंकी हमला हुआ. इस हमले में सीआरपीएफ के 40 जवान शहीद हो गए. 2019 में अगर जवानों की मौत की बात करें तो साल के दूसरे महीने में ही ये आंकड़े 50 के करीब पहुंच गए हैं. लेकिन अगर पिछले 5 साल के आंकड़ों को देखेंगे तो पाएंगे कि जम्मू कश्मीर में आतंकी हमले करीब 94 फीसदी बढ़े हैं।
हम चैन से सो पाए इसलिए ही वो सो गया,
वो भारतीय फौजी ही था जो आज शहीद हो गया.
सेना के शहीद हुए जवानों पर राजनीति ठीक नहीं है अंत में इतना ही कहूँगी जहाँ हम और तुम हिन्दू-मुसलमान के फर्क में लड़ रहे हैं,
कुछ लोग हम दोनों के खातिर सरहद की बर्फ में मर रहे हैं.
नींद उड़ गया यह सोच कर, हमने क्या किया देश के लिए,
आज फिर सरहद पर बहा हैं खून मेरी नींद के लिए, राष्ट्र की एक एकता के लिए , देश को बाहरी और आंतरिक खतरों से सुरक्षा प्रदान करने के लिए और सीमा पर शांति और सुरक्षा को बनायें रखने के लिए  हैं।
जय हिन्द
लेखिका सबलोग के उत्तर प्रदेश ब्यूरो की प्रमुख हैं |
सम्पर्क- +919451634719, tamannafaridi@gmail.com
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सबलोग

लोक चेतना का राष्ट्रीय मासिक सम्पादक- किशन कालजयी
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