अंतरराष्ट्रीयआतंकवाद

अब ईरान भी लेगा पाकिस्तान से बदला

बुधवार को ईरान के दक्षिण-पूर्वी हिस्से में रिवॉल्यूशनरी गार्ड्स के सैनिकों पर एक आत्मघाती आतंकी हमला हुआ जिसमें 27 सैनिकों की मौत हो गई थी। ईरान के सरकारी टीवी पर जारी बयानों में यह बात कही गयी है। आतंकी संगठन ‘जैश अल अद्ल’ ने इस हमले की जिम्मेदारी ली थी। ईरान ने इस आत्मघाती आतंकी हमले के मामले में पाकिस्तान पर आतंकवादियों को संरक्षण देने का आरोप लगाया है साथ ही उसने कहा है कि अगर पाकिस्तान सरकार ने उन्हें दंडित नहीं किया तो हम इन जिहादी समूहों को मुंहतोड़ जवाब देंगे और पाकिस्तान को उनका समर्थन करने का अंजाम भुगतना होगा। भारत की तरह ईरान का भी आरोप है कि इन जिहादी संगठनों को पाकिस्तान सेना का समर्थन हासिल है।

इस बीच, भारत की विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने ईरान के उप-विदेश मन्त्री सैय्यद अब्बास अरगाची से मुलाकात की।

इस घटना का ज़िक्र मैंने इसलिए किया कि जो लोग ये नही समझते हैं वो अच्छी तरह से समझ लें कि आतंकवाद का कोई धर्म नहीं होता और इसके शिकार मुसलमान भी उतने ही होते हैं जितने हिंदू ईसाई या यहूदी। आतंकवाद से ईरान अफ़ग़ानिस्तान सीरिया यहां तक की पाकिस्तान भी उतना ही प्रभावित है जितना हमारा भारत। फ़र्क़ सिर्फ़ इतना है कि पाकिस्तान आतंकवाद के नशे में अपने ऊपर लदे क़र्ज़ो के बोझ को भूलने की नाकाम कोशिशों में मसरूफ़ रहता है।
हमारा देश बहुधर्मी होने के चलते आतंकियों का सॉफ्ट टार्गेट रहता है। अलग अलग मज़हब, संस्कृति और भाषाएं होते हुए भी हम सभी एक सूत्र में बंधे हुए रहते हैं ये बात दुनियां के बहुत सारे देशों को खटकती रहती है। यहां होने वाले अधिकतर आतंकी हमलों का मक़सद,यहां के हिन्दूओं और मुसलमानों में टकराव पैदा करके भारत की एकता और अखंडता को कमज़ोर करना रहता है। चंद नासमझ लोगों के बहकने के बाद भी हमारी चट्टानी एकता टूटने से बचती रही है जिससे आतंकवाद के सौदागर हताश और निराश रहते हैं।
जहां तक पाकिस्तान की बात है वहां की सेना और वहां के सियासतदान ना सिर्फ़ आतंक का खुला समर्थन करते हैं, बल्कि तमाम आतंकियों को प्रश्रय, प्रशिक्षण और आर्थिक मदद भी करते हैं। आर्थिक संकट से जूझ रहा पाकिस्तान एक बार फिर से चीन की शरण में है। आज हालत यह है कि दुनिया के तमाम देश या तो पाकिस्तान से नफ़रत करते हैं या अपने हितों के लिए उसका इस्तेमाल करते हैं।
मैं पाकिस्तान को अपने शहर के उस गुंडे जैसा मानता हूं जिसको लात जूता खाने या जेल जाने का कोई डर नही रहता। इसलिए कि उसके पास अपना कुछ है ही नहीं। जो कुछ भी है वो चीन रूस या अमेरिका जैसे साहूकारों का है। वो बेशर्म बन चुका है। जबकि हमारा मुल्क भारत उस बाल बच्चेदार परिवार की तरह है जिसे अपने भविष्य की चिंता है, विकासशील से विकसित बनने की चिंता है और अपनी एकता और अखंडता जैसी शक्ति को अक्षुण्ण बनाए रखने की चिंता है।
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अब्दुल ग़फ़्फ़ार

लेखक कहानीकार एवं सामाजिक कार्यकर्ता हैं, तथा लेखन के कार्य में लगभग 20 वर्षों से सक्रिय हैं। सम्पर्क +919122437788, gaffar607@gmail.com
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