शख्सियत

डॉ हाड़ा को पहला स्वतंत्रता सेनानी रामचन्द्र नन्दवाना सम्मान

 

  • चित्तौड़गढ़

मनुष्य केवल तर्क से नहीं संवेदना से भी चलता है। मनुष्य का खास विचार में अवमूल्यन करना साहित्य की कला को नष्ट करना है। सुप्रसिद्ध कवि -चिंतक नंदकिशोर आचार्य ने ‘स्वाधीनता और साहित्य’ विषय पर व्याख्यान में कहा कि साहित्य की आवश्यकता इसलिए बनी रहेगी कि वह मनुष्य की संवेदना को विकसित करता है।

संभावना संस्थान द्वारा आयोजित ‘स्वतंत्रता सेनानी रामचन्द्र नन्दवाना स्मृति सम्मान’ समारोह में आचार्य ने कहा कि राष्ट्रवादियों, राज्यवादियों के पास अनेक तर्क हैं लेकिन सिर्फ तर्क से काम नहीं चलता। तर्क के आधार पर कुछ सिद्ध नहीं किया जा सकता क्योंकि इससे संवेदनशीलता उत्पन्न हो जाए यह जरूरी नहीं। साहित्य न्याय संवेदना पैदा करता है। उन्होंने कहा न्याय के बिना कोई समाज समाज नहीं बनता। साथ ही कानूनी न्याय हमेशा संवेदनात्मक न्याय नहीं हो सकता। न्याय का संवेदन बेहद आवश्यक है क्योंकि इसी से समाज का वास्तविक निर्माण सम्भव है। आचार्य ने कहा कि अपने पूर्वग्रहों को साहित्य पर थोपे जाने से रोकें यही साहित्य की स्वाधीनता है। समानता, बंधुत्व और स्वतंत्रता बड़े सामाजिक मूल्य हैं जिन्हें बनाए रखना आवश्यक है। व्याख्यान के अंत में उन्होंने कहा कि संवेदनात्मक सत्याग्रह के लिए साहित्य हो। सत्य और न्याय समानार्थी हैं इसलिये साहित्य संवेदनात्मक सत्याग्रह करे यह आकांक्षा होनी चाहिए।

इससे पहले आचार्य ने सुप्रसिद्ध आलोचक माधव हाड़ा को उनकी चर्चित कृति ‘पचरंग चोला पहर सखी री’ के लिए पहला ‘स्वतंत्रता सेनानी रामचन्द्र नन्दवाना स्मृति सम्मान’ प्रदान किया। उन्होंने हाड़ा को प्रशस्ति पत्र और ग्यारह हजार रुपये भेंट किये। डॉ हाड़ा ने सम्मान को स्वीकार करते हुए कहा कि मीरां की कार्यस्थली चित्तौड़ में यह सम्मान मिलना गौरव की बात है क्योंकि मीरां के प्रसंग में मेड़ता से अधिक चित्तौड़ का स्मरण होता है। मीरां पर लिखी अपनी सम्मानित कृति के संबंध में उन्होंने कहा कि उन्होंने कोशिश की है रूढ़ि और रूपक का सहारा लिए बिना अपनी बात कहें। प्रचारित तथ्यों से अलग लोक, आख्यान और परम्परा में जो तथ्य हैं उनका महत्त्व भी समझा जाए। डॉ हाड़ा ने स्वतंत्रता सेनानी नन्दवाना की स्मृति को नमन करते हुए कहा कि गांधीवादी जीवन शैली और सामाजिक सक्रियता के लिए उनका योगदान अविस्मरणीय है। समारोह के प्रारम्भ में संभावना संस्थान के अध्यक्ष डॉ के सी शर्मा ने अतिथियों का स्वागत किया। आकाशवाणी के अधिकारी लक्ष्मण व्यास ने प्रशस्ति वाचन किया। संयोजन कर रहे सम्मान के संयोजक डॉ कनक जैन ने अतिथियों का परिचय दिया। आयोजन में साहित्यकार डॉ सत्यनारायण व्यास, मुन्नालाल डाकोत, नंदकिशोर निर्झर, गीतकार रमेश शर्मा, अब्दुल जब्बार, डॉ राजेन्द्र सिंघवी, विजन कालेज की निदेशक साधना मंडलोई, गुरविंदर सिंह, जे पी दशोरा, सी ए आई एम सेठिया, सत्यनारायण नन्दवाना, संतोष शर्मा, जितेंद्र त्रिपाठी, गोपाललाल जाट, सुनीता व्यास सहित साहित्य प्रेमी, पत्रकार, विद्यार्थी और शोधार्थी भी उपस्थित थे। अंत में स्वतंत्रता सेनानी नन्दवाना के दोहित्र और दिल्ली विश्वविद्यालय में सहायक आचार्य डॉ पल्लव ने आभार व्यक्त किया।

 

रिपोर्ट –  विकास अग्रवाल    

सचिव,
संभावना संस्थान
म-16,हाउसिंग बोर्ड,
कुम्भा नगर,
चित्तौड़गढ़-312001,
मो-09413641775,
ईमेल-sambhawnachittorgarh@gmail.com

संभावना ब्लॉग –  http://sambhawnachittorgarh.blogspot.in

फेसबुक पेज –  http://www.facebook.com/sambhawnasansthachittorgarh

Show More

सबलोग

लोक चेतना का राष्ट्रीय मासिक सम्पादक- किशन कालजयी
0 0 votes
Article Rating
Subscribe
Notify of
guest

0 Comments
Inline Feedbacks
View all comments

Related Articles

Back to top button
0
Would love your thoughts, please comment.x
()
x