समाजसिनेमा

कोरोना काल से ज्यादा घातक है बॉलीवुड काल

 

बीबीसी को एक बार दिए इंटरव्यू में एक व्यक्ति ने कहा – मैंने इस तरह के डरावने हालात इससे पहले कभी नहीं देखे थे। मुझे तो यक़ीन भी नहीं हो रहा है कि हमलोग भारत की राजधानी में हैं। ठीक ऐसा ही मैं कहता हूँ फ़िल्म राधे देखने के बाद। लेकिन उसने महामारी के सम्बन्ध में कहा और मैं फ़िल्म के सम्बन्ध में कह रहा हूँ।

जिन लोगों को ऑक्सीजन नहीं मिल रही है और वो जानवरों की तरह मर रहे हैं क्या उनके लिए कभी हमने 125 करोड़ रुपए जुटाए। जब प्रधानमंत्री केयर फंड की किसी को सही से चिंता न हो तो हमें क्यों चिंता पड़ी है किसी की। हम तो फ़िल्म देखेंगे न।

जयंत मल्होत्रा जैसे लोग श्मशान घाट में लोगों के अन्तिम संस्कार में मदद करते हैं। और फ़िल्म समीक्षक लोग आपकी गाढ़ी कमाई के रुपए बचाने में आपकी मदद करते हैं। हालांकि यह अलग विवाद का विषय है कि अधिकांश फ़िल्म समीक्षक झूठी तारीफों के बंडल आपकी ओर फेंककर चले जाते हैं। तो हमें उनसे भी सावधान रहना चाहिए क्योंकि ऑक्सीजन की कमी से इंसान मरता है एक और उनके ऐसा लिखने से कई इंसान एक साथ मर जाते हैं। 

 इस समय दुनिया में सबसे ज़्यादा मामले रोज़ाना भारत में आ रहे हैं। वहीं चीन, अमेरिका और यूरोप के कई देशों में इस दौरान कोरोना से मरने वालों की संख्या में कमी आई है। कई देश लॉकडाउन हटा रहे हैं। यूरोपीय यूनियन ने तो अमेरिका से आने वालों को इजाज़त देने के सभी संकेत दिए हैं, जिन्होंने कोरोना का टीका लगवा लिया है।

अभी तक आधिकारिक रूप से भारत में कोरोना संक्रमितों की संख्या 2 करोड़ 44 लाख है और मरने वालों की संख्या 2 लाख 66 हज़ार हो गयी है। लेकिन इस बात की भी बहुत ज़्यादा आशंका है कि यह आंकड़े सही नहीं हैं और मरने वालों की संख्या इससे कहीं ज़्यादा है। वहीं राधे फ़िल्म को पहले ही दिन पहले ही शो को देखने वालों की संख्या 42 लाख से ज्यादा थी और एक टिकट की फीस 299 रुपए रखी गयी थी।

भारत की आबादी इतनी ज़्यादा है और लॉजिस्टिक की इतनी समस्या है कि सभी कोरोना मरीज़ों का टेस्ट करना और मरने वालों का सही-सही रिकॉर्ड रखना बहुत मुश्किल है लेकिन फ़िल्म के आंकड़े हम लोग दुरस्त रखते हैं वाह रे विश्ववगुरु। दूसरी ओर वो भी लोग हैं जो गोबर थैरेपी का इस्तेमाल कर रहे हैं। मैं नहीं जानता यह कितना कारगर है क्योंकि हमें घरेलू नुस्ख़े अपनाना और खुद से डॉक्टर बनने की आदत बड़ी पुरानी है।

बीबीसी की एक रिपोर्ट के मुताबिक – भारत में अभी तक ना ही संक्रमण का पीक आया है और ना ही मृतकों का। जॉन्स हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी के अनुसार 26 अप्रैल तक अमेरिका में तीन करोड़ 20 लाख लोग संक्रमित हो चुके हैं और पाँच लाख 72 हज़ार से ज़्यादा लोग मारे जा चुके है। हर 10 लाख की आबादी पर मरने वालों की संख्या के हिसाब से भी भारत अभी यूरोप और लैटिन अमेरिका के कई देशों की तुलना में पीछे है।

वहीं सलमान खान की ईद पर रिलीज हुई फिल्म ‘राधे: योर मोस्ट वांटेड भाई’ की बात करें तो इसकी पहले दिन की  कमाई ने अरसे से रिलीज की राह तक रही फिल्मों के लिए रोशनी की एक नई किरण जरूर दिखाई है। लेकिन यह नई किरण क्या सबके लिए कोरोना से ज्यादा घातक नहीं है आप खुद विचार कीजिए। आंकड़ों के हिसाब से देखें तो सिर्फ भारत में फिल्म ने पहले दिन 125 करोड़ रुपये से ज्यादा की कमाई की। ये सलमान खान की किसी भी फिल्म को देश में मिली अब तक की सबसे बड़ी ओपनिंग है। फिल्म ‘राधे: योर मोस्ट वांटेड भाई’ ने देश में ‘पे पर व्यू’ के जरिए फिल्मों की रिलीज पर भी कामयाबी की मोहर जरूर लगाई है। सलमान की किसी फिल्म की अब तक की सबसे बड़ी ओपनिंग उनकी पिछली फिल्म ‘भारत’ की रही है जिसने रिलीज के दिन ही 42 करोड़ 30 लाख रुपये जुटाए थे। सलमान की पिछली कम से कम रेटिंग वाली फिल्मों ने भी बॉक्स ऑफिस पर दो सौ से तीन सौ करोड़ तक का कारोबार किया।

जी5 के मुख्य व्यवसाय अधिकारी मनीष कालरा के मुताबिक अगर सलमान की फिल्म थिएटर में एक करोड़ लोग भी देख लेते हैं तो वह फिल्म कम से कम दो सौ करोड़ रुपये कमा लेती है। जी स्टूडियोज, जी5 और जी सिनेप्लेक्स ने मिलकर फिल्म रिलीज का ये नया तोड़ निकाला है। ‘राधे: योर मोस्ट वांटेड भाई’ फिल्म पहले दिन 42 लाख लोगों ने देखी। फिल्म का प्ले बटन दबाने के बाद छह घंटे के भीतर एक शो देखने पर दर्शकों को 299 रुपये खर्च करने पड़े और इस हिसाब से फिल्म ‘राधे: योर मोस्ट वांटेड भाई’ ने रिलीज के पहले ही दिन 125 करोड़ रुपये से ज्यादा रकम सिर्फ भारत में कमा ली। विदेश में फिल्म ने पहले दिन करीब 4.5 करोड़ रुपये की कमाई और की।

फिल्म ‘राधे: योर मोस्ट वांटेड भाई’ अभी विदेश में किसी ओटीटी पर उपलब्ध नही है। विदेश में फिल्म सिर्फ सिनेमाघरों में रिलीज हुई है और ईद की वजह से फिल्म को अरब देशों में काफी अच्छी ओपनिंग भी मिली है। लेकिन, असल चर्चा शनिवार को मुंबई में इस बात को लेकर हुई  कि क्या हिन्दी सिनेमा की साल भर से ज्यादा समय से रिलीज की राह देख रही फिल्मों को भी इसी तरह ‘पे पर व्यू’ के हिसाब से रिलीज कर देना चाहिए। जबकि रिलायंस एंटरटेनमेंट की दो फिल्में ‘सूर्यवंशी’ और ‘83’ और यशराज फिल्म्स की तीन बड़ी फिल्में ‘जयेशभाई जोरदार’, ‘पृथ्वीराज’ व  ‘बंटी और बबली 2’ रिलीज की कतार में हैं। अक्षय कुमार की फिल्म ‘बेलबॉटम’ भी लाइन में लगी है।

जानकारी के मुताबिक सलमान खान की इस फिल्म को जी स्टूडियोज ने 190 करोड़  रुपये में खरीदा है। और, ये रकम उसे पहले हफ्ते में ही वसूल हो जाने की पूरी उम्मीद है। इसके अलावा अभी इस फ़िल्म को टेलीविजन पर दिखाया जाना बाकी है। इंटरनेट मूवी डेटाबेस यानी आईएमडीबी पर मात्र 2 स्टार रेटिंग हासिल करने वाली यह फ़्लॉप फ़िल्म जब सेटेलाइट राईट्स बेचकर उसके तथा विज्ञापनों के जरिये कमाई करेगी तो आंकड़ें और भी अप्रत्याशित उछाल लेंगे। इसमें कोई दोराय नहीं कि सलमान खान की इससे पहले भी खराब रेटिंग हासिल कर चुकी फिल्में भी 200-300 करोड़ आसानी से कमा लेती रही हैं। सलमान खान की किसी फिल्म के पहले हफ्ते में ही सबसे ज्यादा रकम जुटाने का रिकॉर्ड अभी तक फिल्म ‘टाइगर जिंदा है’ के नाम रहा है, इस फिल्म ने रिलीज के पहले हफ्ते में ही 206 करोड़ रुपये की कमाई की थी।

कुल निचोड़ यही है कि हमें ऑक्सीजन की नहीं हमें राधे जैसी फिल्मों की जरूरत है तभी तो जाकर हम लोग कोरोना नाम की इस बीमारी और वायरस से लड़ पाने में कामयाब होंगे। जहाँ ऑक्सीजन सिलेंडर की कालाबाजारी चल रही है, दवाइयों की , इंजेक्शन की, रेमडेसिवर की कालाबाजारी चल रही है उस देश में फिल्मों का 100 करोड़ से ज्यादा कमाना एक ही दिन में सरकारों की नहीं हमारी अपनी नाकामी है। इसलिए सरकार को दोष देने से पहले एक बार अपने गिरेबान में जरूर झांककर देख लीजिएगा।

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तेजस पूनियां

लेखक स्वतन्त्र आलोचक एवं फिल्म समीक्षक हैं। सम्पर्क +919166373652 tejaspoonia@gmail.com
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