सुनीता सृष्टि
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Jan- 2025 -26 Januaryशख्सियत
पलटते पृष्ठ के आखिरी हर्फ़ : रतन टाटा, मनमोहन सिंह और जाकिर हुसैन का जाना
जाते-जाते वर्ष 2024 तीन ऐसे दिग्गजों को हमसे छीन ले गया, जो अपने-अपने क्षेत्र के शिखर पुरुष थे और जिन्होंने अपनी विद्वता और योग्यता से अपनी विशिष्ट पहचान बनाई थी। ‘रतन टाटा’ उद्योग जगत के शिखर पुरुष थे, ‘जाकिर…
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Jun- 2024 -20 Juneसिनेमा
मैं फुलेरा हूं
मैं फुलेरा हूं… जैसे पटेढा… रसड़ा… सराय… खेजुरी… गोड़िया या उत्तरी भारत के दूसरे गांव… एक लाख के अंदर की आबादी, एक दो सरकारी स्कूल, सरकारी अस्पताल, मंदिर, पानी की टंकी और पंचायत। इस रूप में मैं काल्पनिक होते…
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Jan- 2024 -21 Januaryसमाज
हमारे राम
राम न गये थे, न आएँगे। हजारों वर्ष पूर्व से लेकर विभिन्न युगों, भाषाओं, देशों और धर्मों से होते हुए भारतीय संस्कृति की तरह सतत प्रवहमान हैं राम आज तक। संस्कृत के वाल्मीकि से लेकर उत्तर और दक्षिण तक…
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May- 2020 -1 Mayसंस्कृति
सीता की उत्तरकथा
सीता भारतीय संस्कृति की एक ऐसी मिथकीय पात्र हैं लोकजीवन में जिनकी व्याप्ति काफी दूर तक है। इतनी कि कथाजगत से परे जाकर वे व्यक्तित्व की सरहदों में भी प्रवेश कर जाती हैं और स्त्रियों के लिए मानक बन…
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Jul- 2019 -20 Julyस्त्रीकाल
स्त्री विमर्श के प्रचलित मिथ
स्त्री मुक्ति के सवाल तबतक अधूरे रहेंगे, जबतक कि उसे उस पारम्परिक छवि से मुक्त न किया जाये जिसे लक्ष्मण रेखा की तरह उसके अस्तित्व के चतुर्दिक खींच दी गयी है। संदर्भ जब स्त्री मुक्ति या स्त्री विमर्श का…
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Mar- 2019 -8 Marchअंतरराष्ट्रीय
ओ री चिरइया …
आमीर खान के लोकप्रिय धारावाहिक ‘सत्यमेव जयते’ के ‘ओ री चिरइया’ के रुला देने वाले गीत में सदियों के संस्कार सन्निहित हैं। युगों से पितृसत्ता की दहलीज पर स्त्री परायेपन के पंखों के साथ चिड़िया बनी ठिठकी खड़ी है।…
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Feb- 2019 -16 Februaryमुद्दा
फॉलो, फारवर्ड और फेक बनती सच्चाई
सत्य के संधान के लिए जिन सूचनाओं को एकत्र करना कभी एक प्रयत्नसाध्य कार्य हुआ करता था, सूचना क्रांति के युग में उनका अतिरेक ज्ञान के लिए बड़ा संकट बनता जा रहा है। ज्ञान सर्जनात्मक होता है और सूचनाएं…
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Jan- 2019 -7 Januaryसाहित्य
भारत माता ग्रामवासिनी!
इण्टर के विद्यार्थियों को वर्षों से कवि सुमित्रानन्दन की कविता ‘भारत माता ग्रामवासिनी’ पढ़ाते हुए इस बार अर्थ के कुछ और आयाम उद्भासित हुए और साथ ही कुछ सवाल भी। भारत माता ग्रामवासिनी कविता स्वतन्त्रता संघर्ष के दौर की…
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Dec- 2018 -10 Decemberदेश
संस्कृति के उन्माद का समय
संस्कृति के जिस राजनीतिकरण के दौर से आज हम गुजर रहे हैं वह एक भयानक परिदृश्य निर्मित कर रहा है। संस्कृति उच्चतर मानवीय मूल्यों का समुच्चय होती है जो साहित्य और कलाओं में न केवल प्रतिभाषित होती है बल्कि…
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