संजीव ठाकुर
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Aug- 2024 -8 Augustसंस्कृति
लोक-कथा की कथा
हमारे समाज में लोक-कथाओं का अस्तित्व सदियों से रहा है। गाँव-देहात के अशिक्षित लोगों-किसानों, मजदूरों, स्त्रियों के द्वारा बनी-बनाई इन लोक-कथाओं ने समाज का मनोरंजन तो किया ही है, ज्ञानवर्धन भी किया है। जब मनोरंजन के आधुनिक संसाधन अनुपलब्ध…
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Jan- 2024 -25 Januaryसमाज
शब्दों के ठेकेदार
एक ब्लॉग है, जिस पर प्रकाशित किसी रचना पर कोई पाठक प्रतिक्रिया देता है तो उसकी सूचना लेखक को मेल के द्वारा दे दी जाती है। मेरी भी कुछ रचनाएँ वहाँ हैं और यदा-कदा ऐसी सूचना आती रहती है।…
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