अमित कुमार सिंह
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Jul- 2020 -31 Julyशख्सियत
गोरखपुर में प्रेमचन्द : सौ साल पहले
आज से सौ साल पहले यानी वर्ष 1920 में गोरखपुर ही मुंशी प्रेमचन्द का पता-ठिकाना था। वे 19 अगस्त 1916 को इस शहर में आए और अगले साढ़े चार साल यानी 16 फ़रवरी 1921 तक बनारसी से गोरखपुरिया बनकर…
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Jun- 2020 -14 Juneसिनेमा
कला और कहानी के कसौटी पर गुलाबो-सिताबो
साहित्य एवं कला विमर्श के क्षेत्र में एक प्रचलित वाद है- कलावाद। जोकि यूरोप से चला और फ्रेंच भाषा में इसका नारा बना- “ल’ आर पूर ल’ आर” यानी “कला कला के लिए”। सामान्य शब्दों में कहें तो एक…
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Mar- 2020 -22 Marchसमाज
‘जीवन में स्पंदन का मंत्र : चटाक-चट-धा!’
फनीश्वरनाथ रेणु की लोक-यथार्थ में पगी कहानियों में से एक कालजयी कहानी है – “पहलवान की ढोलक”| आज़ादी के पहले के बिहार प्रान्त की पृष्ठभूमि में रची गयी इस कहानी में हैजा और मलेरिया के महामारी से जूझते एक…
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Jul- 2019 -15 Julyसमाज
बाप की ही हिस्सा होती है बेटियाँ
याद आता है फ़िल्म “ओंकारा” का एक संवाद, जो एक “भगा ली गई लड़की” का पिता “भगाने वाले लड़के” से कहता है… “याद रखना! जो लड़की अपने बाप की नहीं हो सकती, वो किसी की नहीं हो सकती।” वास्तव…
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Mar- 2019 -29 Marchसिनेमा
केसरी : युद्ध के मुलम्मे में मानवीयता के बाईस पहरेदारों की कहानी
हाल के दिनों में इतिहास की कहानियों का पन्नों से उतरकर पर्दे पर चढ़ने का काफी तेजी से चलन बढ़ा है | इसी कड़ी में बॉलीवुड की ताजातरीन सौगात है – “केसरी”| केसरी मोटे तौर पर तो सन 1897…
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11 Marchसिनेमा
“सोनचिड़िया : रेत पर नाव खेने की कहानी”
आज के दौर में अगर डकैती पर केन्द्रित कोई फिल्म बनती है, तो यह सहज ही अनुमान लगाया जा सकता है कि वह पुरानी लकीर को पीटने वाली कोई चलताऊ टाइप की बी-ग्रेड फिल्म होगी | लेकिन “सोनचिड़िया” में…
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