राजेंद्र गौतम
-
Sep- 2024 -26 Septemberसाहित्य
मुक्त छन्द से छन्दमुक्ति तक
हिन्दी कविता में छन्द और लय या के हासिये पर जाने का रूपक कुछ वर्ष पहले देखने में आया था। सन् 2005 के ‘आलोचना’ के ‘सहस्राब्दी अंक उन्नीस-बीस’ में देवीप्रसाद की एक लम्बी कविता छपी है- ‘हर इबारत में…
Read More »