अभय सागर मिंज
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Jul- 2024 -25 Julyआदिवासियत
आदिवासियों की मुखर राजनैतिक पहचान
9 अगस्त 1982 को प्रथम बार संयुक्त राष्ट्र संघ के एकनॉमिक एण्ड सोशल काउन्सिल (ईकोसोक) ने आदिवासियों से सम्बन्धित एक कार्यकारी समूह का गठन किया जिसे वर्किंग ग्रूप ऑन इण्डिजेनस पॉप्युलेशन कहा गया। 1994 में संयुक्त राष्ट्र संघ के…
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Mar- 2024 -30 Marchआदिवासियत
धूमिल होती आदिवासी मौलिकता
बाल्यावस्था में जब लम्बी छुट्टियों में गाँव जाया करता था तो रात्रि भोजन के पश्चात व्याकुलता के साथ अपने आजी से कहानी सुनने के लिए प्रतीक्षा करता था। लकड़ी के चूल्हे के बग़ल में ज़मीन पर ही चटाई…
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Jul- 2023 -30 Julyआदिवासियत
कोई क्यों नहीं सुनता है आदिवासियों को?
नॉर्वे विश्वविद्यालय के मित्र सह ‘द पोलिटिकल लाइफ ऑफ़ मेमोरी’ के लेखक राहुल रंजन ने अपनी पुस्तक के भूमिका में लिखा है कि आदिवासियों ने हमेशा स्पष्ट स्वर में अपनी बात/विरोध दर्ज किया है किंतु हमारे ही पास उन्हें…
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May- 2023 -13 Mayमुद्दा
क्यों लिखना चाहिए आदिवासी समुदाय को?
अंग्रेजी में एक कहावत है – इट मैटर्ज हू स्पीक्स फॉर यू? यह महत्वपूर्ण है कि आपकी ‘आवाज’ कौन बनता है। हाल के दशक में एक अवधारणा बहुत तेजी से विकसित हुई है और मानवशास्त्र में इसे हम ‘नेटिव…
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Aug- 2020 -9 Augustमुद्दा
विश्व आदिवासी दिवस की सार्थकता
संयुक्त राष्ट्र संघ का आदिवासियों के अधिकार के लिए घोषणा पत्र संयुक्त राष्ट्र संघ के एक विशेष पदाधिकारी ज़ोस आर मार्टिनेज़ कोबो को विश्व के सभी आदिवासियों के सामाजिक, सांस्कृतिक, जातीय भेदभाव और आर्थिक परिस्थिति के विषय…
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4 Augustमुद्दा
पर्यावरण प्रभाव आकलन प्रारूप 2020 और आदिवासी समाज
फ्रेंड्स ऑफ़ द अर्थ इन्टरनेशनल 74 देशों में पर्यावरण संगठनों का एक अन्तर्राष्ट्रीय नेटवर्क है। फ्रेंड्स ऑफ़ द अर्थ की स्थापना 1969 में सैन फ्रांसिस्को में डेविड ब्राउनर, डोनाल्ड ऐटकेन और गैरी सूकी द्वारा की गयी थी। अक्टूबर 2017…
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Jul- 2020 -17 Julyधर्म
आदिवासी धर्म कोड की माँग
अमेरिका के विख्यात मानवशास्त्री प्रोफ़ेसर रॉबर्ट राफ़ ने लुप्तप्राय भाषाओं पर गहन अध्ययन किया है और उनका एक निष्कर्ष बड़ा रोचक है। उन्होंने अपने अनुसन्धान में यह सिद्ध किया कि जिस समाज में धार्मिक क्रियाएँ मातृभाषा में होती हैं…
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11 Julyसंस्कृति
मातृभाषा को बचाने की जरूरत
उच्च शिक्षा के लिए जब मैं दिल्ली विश्वविद्यालय के मानवशास्त्र विभाग गया तो झारखण्ड राज्य से हम मात्र दो विद्यार्थी थे। एक अनुभवी शिक्षक ने एक दिन अपने कार्यालय बुलाया और ‘द हिन्दू’ नामक अख़बार में छपे एक चित्र…
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