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Jan- 2018 -22 Januaryचर्चा में
वसंत-पंचमी सरस्वती-पूजन का पर्याय रूप उत्सव है
ऋतुओं में वसंत-ऋतु सर्वश्रेष्ठ है। इसीलिए वसंत को ऋतुओं का राजा माना जाता है। इस ऋतु के प्रवेश करते ही सम्पूर्ण पृथ्वी वासंती आभा से खिल उठती है। वसंत ऋतु के आगमन पर वृक्षों से पुराने पत्ते झड़ जाते हैं…
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13 Januaryपुस्तक-समीक्षा
कविता संग्रह, जो वाक़ई ख़ास है
कविता अभिव्यक्ति का ऐसा माध्यम है, जिसके द्वारा मन की भावनाओं को सुंदरता से व्यक्त किया जाता है। आचार्य रामचंद्र शुक्ल के शब्दों में, हृदय की मुक्ति की साधना के लिए मनुष्य की वाणी जो शब्द विधान करती आई है,…
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12 Januaryचर्चा में
हिन्दुत्व की ओर बढ़ती कांग्रेस !
गले में रुद्राक्ष की माला, माथे पर चंदन का टीका और होठों पर शिव का नाम। ये है कांग्रेस के अध्यक्ष राहुल गांधी का नया अवतार। हाल में हुए हिमाचल प्रदेश और गुजरात के विधानसभा चुनावों के दौरान न सिर्फ़…
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12 Januaryचर्चा में
अलविदा, चिरयुवा साथी दूधनाथ सिंह!
‘आख़िरी क़लाम’ जैसे अविस्मरणीय महाकाव्यात्मक उपन्यास और ‘रक्तपात’, ‘रीछ’, ‘धर्मक्षेत्रे कुरुक्षेत्रे’, ‘माई का शोकगीत’ जैसी लम्बे समय तक चर्चा में बनी रहने वाली कहानियों के लेखक, जनवादी लेखक संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष आदरणीय दूधनाथ सिंह नहीं रहे. उनका न रहना…
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6 JanuaryUncategorized
भीमा कोरेगांव: पेशवा पर जीत नहीं, दमन को हराने की कहानी
हाल में भीमा कोरेगांव (महाराष्ट्र) में दलित संगठनों द्वारा 1 जनवरी 2018 को कोरेगांव युद्ध 1818 (जो कि पेशवा बाजीराव द्वितीय और ईस्ट इंडिया कंपनी के बीच हुआ था) की 200वीं बरसी, ‘शौर्य दिवस’ के रूप में मनाई जा रही…
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6 Januaryचर्चा में
काले धन का सबसे बड़ा डॉन- इलेक्टोरल बांड
सरकार के लिए पारदर्शिता नया पर्दा है। इस पर्दे का रंग तो दिखेगा मगर पीछे का खेल नहीं। चुनावी चंदे के लिए सरकार ने बांड ख़रीदने का नया कानून पेश किया है। यह जानते हुए कि मदहोश जनता कभी ख़्याल…
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4 JanuaryUncategorized
साईं बाबा से शुरुआत क्यों?
कई सारे मित्र सुबह-सुबह किसी देवी-देवता, तीर्थस्थान, किसी धर्म गुरु या अवतार का फोटो ग्रुप में डालकर या उनकी वंदना करके अन्य मित्रों को शुभकामना सन्देश भेजते हैं. कई दिनों से सोच रहा था कि इसको देखकर मेरे मन में…
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3 Januaryचर्चा में
ललित बाबू और लालू संग नियति का खेल ही तो जीवन का संदेश है
बिहार की राजनीति में ललित बाबू के बाद आज तक लालू यादव से बड़ा कोई जननेता नहीं हुआ। अपने दौर में दोनों ने जो चाहा वही किया। नियति और वक्त ने एक को जिंदा रहते, दूसरे को मौत के बाद…
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Dec- 2017 -31 Decemberचर्चा में
‘संघ और समाज’ के आत्मीय संबंध पर मीडिया विमर्श के दो विशेषांक
लेखक एवं राजनीतिक विचारक प्रो. संजय द्विवेदी के संपादकत्व में प्रकाशित होने वाली जनसंचार एवं सामाजिक सरोकारों पर केंद्रित पत्रिका ‘मीडिया विमर्श’ का प्रत्येक अंक किसी एक महत्वपूर्ण विषय पर समग्र सामग्री लेकर आता है। ग्यारह वर्ष की अपनी यात्रा में मीडिया…
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29 Decemberव्यंग्य
फिर झांसे में होरी
अशोक गौतम होरी पिछले एक हफ्ते से टूटी रस्सियों की झोली चारपाई पर झोला हुआ मृत्यु के इंतजार में लेटा था। सुना है, उसे वरदान मिला है कि जब तक उसका बेटा गोबर उसे मुखाग्नि देने शहर से…
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