न्यूजक्लिक पर हमला सच की आवाज को दबाना है
न्यूक्लिक के पत्रकारों की गिरफ्तारी के खिलाफ ‘सिटीजंस फोरम’ का प्रतिवाद मार्च
पटना, 6 अक्टूबर
सिटीजंस फोरम (नागरिक सरोकारों जनतांत्रिक अधिकारों के लिए प्रतिबद्ध) द्वारा न्यूजक्लिक के पत्रकारों को गिरफ्तार और प्रताड़ित करने के खिलाफ प्रतिवाद मार्च का आयोजन किया गया। यह प्रतिवाद मार्च जीपीओ गोलंबर से निकलकर बुद्धा स्मृति पार्क तक चलकर आया। मार्च के दौरान ‘प्रेस पर हमला बंद करो’, ‘अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमला बंद करो’ ,’यू.ए.पी.ए जैसे कानून को निरस्त करो’ ‘सच जानने की आजादी पर हमला नहीं सहेंगे’ ‘ झूठ और नफरत की राजनीति मुर्दाबाद’ ‘सूचना प्रौद्योगिकी नियम-2021 जैसी प्रतिगामी नीति जो मीडिया को निष्पक्ष रूप से रिपोर्टिंग करने से रोकती है, को ख़त्म किया जाय’ जैसे नारे लगाए जाते रहे। मार्च में चल रहे लोगों ने अपने कमीज में “फ्री द प्रेस’ (प्रेस को स्वतंत्र करो) का बिल्ला लगाया हुआ था।
बुद्ध स्मृति पार्क में यह मार्च सभा में तब्दील हो गया। इस दौरान एक पर्चा भी आमलोगों के मध्य वितरित किया जा रहा था। सभा में बड़ी संख्या में पटना के नागरिक, विभिन्न संगठनों से जुड़े समाजिक-राजनीतिक संगठनों से जुड़े प्रतिनिधि मौजूद थे। प्रतिरोध सभा का संचालन फोरम की सह संयोजक प्रीति सिन्हा ने किया।
सबसे पहले फोरम के संयोजक अनीश अंकुर ने कहा “न्यूक्लिक को पिछले दो तीन सालों में बार बार परेशान किया जा रहा है। पहले ईडी का छापा मारा गया जब कुछ नहीं मिला न्यूक्लिक पर यह हमला सिर्फ इस कारण किया गया क्योंकि वह सच दिखता है। यह सच केंद्र में बैठी मोदी सरकार को नागवार गुजरती है। न्यूक्लिक के संपादक प्रबीर पुरकायस्थ और एच आर हेड अमित चक्रवर्ती को झूठे आरोप लगाकर गिरफ्तार किया गया। चीन का भय दिखाकर अपने प्रेस की आजादी पर अंकुश लगाया जा रहा है।”
चर्चित सामाजिक कार्यकर्ता अरुण मिश्रा ने बताया “जबसे मोदी सरकार आई है अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और बोलने की आजादी पर पाबंदी लगाई जा रही है। मोदी जी के पी एम केयर फंड में जब चीन से पैसा आता है तब कोई सवाल नहीं उठता लेकिन जब आंदोलन की खबरें कोई अपने वेबसाइट पर दिखाता है तो सत्ताधारियों को परेशानी होने लगती है। प्रबीर पुरकायस्थ पर इमरजेंसी के काले दिनों में एक राजनीतिक कैदी के रूप में जेल में रहना पड़ा था जबकि आज उनके साथ आतंकवादियों के तरह व्यवहार किया जा रहा है।”
रंगकर्मी मोना झा ने अपने संबोधन में कहा “दरअसल, इस वेबसाइट द्वारा दिल्ली दंगों, किसानों के विरोध प्रदर्शन आदि पर रिपोर्ट के कारण सरकार बौखला गयी। वर्तमान कार्रवाई दिल्ली पुलिस की प्रेरित और दुर्भावनापूर्ण इरादे को प्रदर्शित करती है।”
सीपीआई के राज्य सचिव मंडल सदस्य रामलला सिंह “यह समाचार साइट अपने पाठकों, दर्शकों और श्रोताओं को देश और दुनिया में हो रही घटनाओं, आन्दोलनों एवं संघर्षों पर रिपोर्टिंग, विश्लेषण और टिप्पणी से परिचित कराती है। यह नियमित रूप से भारत भर के विभिन्न मुद्दों पर आलोचनात्मक और प्रगतिशील आवाज़ें प्रस्तुत करती है और इसके अलावा यह विज्ञान और प्रौद्योगिकी की गंभीर कवरेज प्रदान करती है। न्यूज़क्लिक को 2021 से ही भारत सरकार की विभिन्न एजेंसियों द्वारा कार्रवाइयों की एक श्रृंखला द्वारा लक्षित किया गया है।”
संजय श्याम ने सभा में बताया “यह कदम इस सरकार के द्वारा अघोषित आपातकाल की ओर इशारा करता है। यह नरेंद्र मोदी द्वारा न्यूज़क्लिक के ख़िलाफ़ दुष्प्रचार, डराने-धमकाने और बदनामी का एक राज्य-निर्मित मैकार्थी अभियान है जो किसी जमाने में द्वितीय युद्ध के बाद अमेरिका में देखा गया था। वैसे भी वर्ल्ड प्रेस फ़्रीडम इंडेक्स में 180 देशों में भारत का स्थान 160 वाँ है।”
ए.आई.पी.एफ के कमलेश शर्मा ने सभा को संबोधित करते हुए कहा “न्यूज़क्लिक को 2021 से ही भारत सरकार की विभिन्न एजेंसियों द्वारा कार्रवाइयों की एक श्रृंखला द्वारा लक्षित किया गया है। इसके कार्यालयों और अधिकारियों के आवासों पर प्रवर्तन निदेशालय, दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा और आयकर विभाग द्वारा छापे मारे गए हैं। पहले भी सभी उपकरण, लैपटॉप, गैजेट, फोन आदि जब्त कर लिए गए थे। सभी ईमेल और संचार का बारीकी से विश्लेषण किया गया। पिछले कई वर्षों में न्यूज़क्लिक द्वारा प्राप्त सभी बैंक विवरण, चालान, किए गए खर्च और प्राप्त धन के स्रोतों की समय-समय पर सरकार की विभिन्न एजेंसियों द्वारा जांच की गई है। विभिन्न निदेशकों और अन्य सम्बंधित व्यक्तियों ने कई अवसरों पर इन सरकारी एजेंसियों द्वारा पूछताछ में अनगिनत घंटे बिताए हैं। फिर भी, पिछले दो से अधिक वर्षों में, प्रवर्तन निदेशालय न्यूज़क्लिक पर मनी लॉन्ड्रिंग का आरोप लगाते हुए शिकायत दर्ज नहीं कर पाया है।”
चक्रवर्ती अशोक प्रियदर्शी के अनुसार “पत्रकारों पर हमला करके मोदी सरकार अपने अंत का रास्ता खुद तैयार कर रही है। सरकार की नीतियों से मजदूर-किसान, छात्र-नौजवान, महिला, दलित, आदिवासी, अल्पसंख्यक, पिछड़ा, मध्यम वर्ग सभी त्रस्त हैं और देश के विभिन हिस्सों में आन्दोलनरत हैं। मोदी का पाकिस्तानी भय काम नहीं आ रहा है। फिर से देश को गुमराह करने के लिए उसने अब चीन का शिगूफा छेड़ा है। इसी बहाने मोदी सरकार 2024 के लोकसभा की बैतरणी पार करना चाहती है क्योंकि भीमा कोरेगांव से लेकर अन्य कई दमनकारी कार्रवाइयों से वह पूरी तरह से नंगा हो चुकी है। पूर्व में भी सरकार ने अनेक निष्पक्ष स्वतंत्र मीडिया ग्रुपों को प्रताड़ित किया है जो सरकार की जनविरोधी नीतियों की आलोचना करते रहे हैं।”
सूर्यकर जितेंद्र ने सभा को संबोधित करते हुए कहा “आज भारत में इमरजेंसी जैसे हालात हैं जब पत्रकारों और कलमकारों पर हमला किया जा रहा है।”
पटना विश्विद्यालय में इतिहास के प्राध्यापक प्रो सतीश कुमार ने कहा “यह सरकार लोकतंत्र की सभी संस्थाओं को तो खत्म कर ही रही है। साथ ही कितने दुर्भाग्य की बात है की एक विकलांग व्यक्ति अमित चक्रवर्ती पर यू.ए.पी.ए. जैसी धारा लगाई है, जो आतंकवादियों पर लगाया जाता है। विकलांग शख्स को गिरफ्तार करना बेहद निंदनीय हरकत है।”
जनगायक प्रमोद यादव ने जनगीत गाए जबकि जनकवि आदित्य कमल ने अपनी कुछ कविताओं का पाठ किया। सभा में संबोधित करने वालों में अन्य लोगों में थे श्रम मुक्ति संगठन के रासबिहारी चौधरी।
प्रतिवाद मार्च और सभा में शामिल लोगों में थे अखिल भारतीय शांति व एकजुटता संगठन (एप्सो) के राज्य महासचिव नेता सर्वोदय शर्मा, के.एन सिंह, माकपा के पटना जिला सचिव मनोज चंद्रवंशी, राजद नेता रंजीत कुमार राय, श्रम मुक्ति संगठन के जयप्रकाश ललन, सीपीआई के पटना जिला सचिव विश्वजीत कुमार, मजदूर संगठन एटक के राज्य महासचिव अजय कुमार, एटक के राज्य अध्यक्ष गजनफर नवाब, उपमहासचिव डी.पी.यादव, ए.आई.एस.एफ के पटना जिला नेता बिट्टू भारद्वाज, ए.आई.एस.एफ के राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य पुष्पेंद्र शुक्ला, जन संस्कृति मंच के अनिल अंशुमन, प्रेरणा (जनवादी सांस्कृतिक मोर्चा) के अमरेंद्र अनल, वरिष्ठ रंगकर्मी राकेश रंजन, किसान नेता गोपाल शर्मा, नगरनिगम कर्मचारियों के नेता जितेंद्र कुमार, चित्रकार राकेश कुमुद, रंजन कुमार, धनंजय कुमार, फारवर्ड ब्लॉक के नेता बालगोविंद सिंह, एन.ए.पी.एम के आशीष रंजन झा, हसपुरा सोशल फोरम के गालिब खान, रामलखन, इंद्रजीत कुमार, पत्रकार इमरान खान, गालिब कलीम, प्रगतिशील लेखक संघ के गजेंद्रकांत शर्मा, शिक्षाविद राजकुमार शाही, आइसा के संतोष आर्य, चर्चित लेखक अरुण सिंह, रोहित, भाकपा (माले-क्लास स्ट्रगल क) के नंदकिशोर सिंह, जनवादी लेखक संघ के कुलभूषण गोपाल, अभियान सांस्कृतिक मंच के राजू कुमार, विनीत राय, हरदेव ठाकुर, शंकर शाह आदि मौजूद थे।