दुनिया के पहले अंतरिक्ष यात्री यूरी गागरिन
आकाश को सबसे पहले छूने का श्रेय यूरी गागरिन (9 मार्च 1934 – 27 मार्च 1968) को जाता है। आज से 60 वर्ष पहले 12 अप्रैल, 1961 को 27 साल के पायलट ने अंतरिक्ष में कदम रख कर इतिहास रच दिया था। वह पहले शख्स थे जिन्होने दूसरे अंतरिक्ष यात्रियों को प्रेरणा दी। गागरिन को अंतरिक्ष में ले जाने वाला 4.75 टन वजनी वोस्टॉक-1 स्पेस क्राफ्ट तैयार था। गागारिन ने पृथ्वी का एक चक्कर लगाकर अंतरिक्ष में मानव उड़ान के युग की शुरुआत की थी। इसलिए हर साल 12 अप्रैल को इंटनेशनल डे ऑफ ह्यूमन स्पेस फ्लाइट मनाया जाता है। यह 12 अप्रैल 1961 का दिन था, सुबह 9.37 (मॉस्को के टाइम के अनुसार) वोस्टॉक-1 को लॉन्च कर दिया गया।
ये इतिहास का सबसे महत्वपूर्ण पल था, जब किसी इंसान ने पृथ्वी से बाहर अंतरिक्ष में उड़ान भरी। इस अनोखी यात्रा के तुरन्त बाद ही यूरी गागरिन दुनिया भर में मशहूर हो गये। 12 अप्रैल 1961 को रूसी-सोवियत पायलट गागरिन अंतरिक्ष पहुंचाने वाला यान वोस्तोक से रवाना हुए। जाते वक्त उनके पहले शब्द थे “पोयेख़ाली” जिसका अर्थ होता है “अब हम चले”। ये दुनिया के लिए ऐसा समय था जब कोई भी से नहीं जानता था कि अंतरिक्ष में भारहीनता की स्थिति में पहुंचने पर गागरिन को क्या होगा। रुसी वैज्ञानिकों को इस बात का डर था कि गागरिन भारशून्यता की स्थिति में बेहोश हो सकते हैं। लेकिन गागरिन ने कहा कि भारशून्यता की स्थिति उन्हें अच्छी लग रही है। यूरी ने पृथ्वी की कक्षा में 108 मिनट तक चक्कर लगाया। वो 203 मील की उंचाई पर 27000 किलोमीटर प्रति घंटे की तेज गति का सामना किया। उसके बाद 10 बजकर 55 मिनट पर रूस की धरती पर वापस लैंड हो गये।
यूरी के बारे में एक बात मशहूर है, जब वह 6 साल के थे तब दूसरे विश्व युद्ध के दौरान उनके घर पर एक नाजी अधिकारी ने कब्जा कर लिया था। इसलिए उनका परिवार दो साल तक झोपड़ी में रहा।यूरी एलेक्सेविच गागरिन एक बढ़ई के बेटे थे। उनका जन्म 1934 में रूस के क्लूशीनो गांव में हुआ था, जो स्मोलेंस्क शहर में है। वह जब 16 वर्ष के हुए तो मॉस्को चले गये। यहाँ उन्होंने धातु का प्रशिक्षण और फॉउन्ड्री मैन के तौर पर काम करना शुरू कर दिया। वहाँ उनका कार्य अच्छा रहा, तो उन्हें सरातोव के एक टेक्निकल स्कूल में जाने का मौका मिला। 1955 में सारातोव शहर में उन्होंने कास्टिंग टेक्नोलॉजी में डिप्लोमा लिया। साथ ही, वहाँ के फ्लाइंग क्लब में भर्ती हो कर विमान चलाना भी सीखने लगे। वहाँ उन्होंने एक फ्लाइंग स्कूल को ज्वाइन कर लिया।
कहते हैं, बस यहीं से उनके मन में प्लेन में बैठकर आसमान छूने का सपना जन्म लेने लगा था। इसके लिए उन्होंने खुद को पूरी तरह से फ्लाइंग स्कूल को सौंप दिया। परिणाम यह रहा कि 1957 में स्नातक होते ही वह एक फाइटर पायलट के रूप में उभरे।
दूसरे विश्व युद्ध के बाद, जहाँ दुनिया को बहुत बड़ा नुकसान झेलना पड़ा। वहीं, दो देश दुनिया की महाशक्ति बनकर उभरे। इनमें एक था अमेरिका और दूसरा सोवियत संघ। ये दोनों देश शीत युद्ध के दौर से गुजर रहे थे। दिलचस्प बात तो यह थी कि दोनों देश सिर्फ हथियारों के मामले में ही एक-दूसरे से आगे नहीं निकलना चाहते थे। बल्कि ये अंतरिक्ष में भी सबसे पहले पहुंचना चाहते थे। इसके लिए दोनों ने कई स्पेस प्रोग्राम भी चलाए। अमेरिका इस वार में आगे रहा, लेकिन सोवियत यूनियन स्पेस में किसी इंसान को सबसे पहले भेजने में सफल रहा।
शुरू में अमेरिका की अंतरिक्ष उपलब्धियां सोवियत यूनियन से पीछे ही थीं। मानव निर्मित सबसे पहली सेटेलाइट स्पूतनिक 1 को अंतरिक्ष में स्थापित करके सोवियत यूनियन ने अमेरिका को चौका दिया था। विश्व का पहला उपग्रह स्थापित करने के बाद अपनी स्पेस खोज को आगे बढ़ाते हुए सोवियत यूनियन ने एक फैसला लिया। इसके तहत उसने तय किया कि वह अब इंसान को अंतरिक्ष में भेजेगा।एक सीक्रेट चुनाव प्रक्रिया के तहत हजारों लोगों को चुना गया। कड़ी मानसिक और शारीरिक परीक्षा को पास करने के बाद 19 लोग इस काबिल पाए गये। यूरी गागरिन भी इनमें से एक थे। शुरुआती कुछ प्रशिक्षणों के बाद गागरिन को एलीट ट्रेनिंग ग्रुप ‘सोची सिक्स’ के लिए चुन लिया गया। इसमें गागरिन ने सभी लोगों को प्रभावित किया, तो उन्हें वोस्टॉक प्रोग्राम का हिस्सा बनाया गया।
जब ‘वोस्टॉक लॉन्च’ का नंबर आया तो यूरी गागरिन ही थे, जिन्हें उनके साथी घेरमन तीतोव के साथ नामित किया गया। इन दोनों का चुनाव न सिर्फ प्रशिक्षण में इनके बेहतर प्रदर्शन की वजह से किया गया था, बल्कि उनकी कद काठी भी स्पेस मिशन की जरूरत के अनुसार थी। असल में यूरी गागरिन को उनकी कम ऊंचाई के कारण इस अभियान के लिए चुना गया था। उनकी ऊंचाई मात्र पांच फुट दो इंच थी। वहीं गागरिन अंतरिक्ष की यात्रा कर दुनिया भर में हीरो बन चुके थे। गागरिन को ऑर्डर ऑफ लेनिन और सोवियत संघ के हीरो के सम्मान से सम्मानित किया गया, स्मारक बनाए गये और सड़कें उनके नाम पर कर दी गयीं। ये वह मौका था जब अंतरिक्ष में सोवियत संघ पहला इंसान भेज कर अमेरिका को तगड़ा झटका दे चुका था।
वोस्टॉक-1 के बाद गागरिन फिर दोबारा स्पेस में नहीं गये, लेकिन वो अंतरिक्ष यात्रियों को ट्रेनिंग देते रहे। गागरिन एक और पायलट के साथ एक रूटीन ट्रेनिंग के तहत दो सीट वाले मिग-15 विमान को उड़ा रहे थे, जो हादसे का शिकार होकर नीचे जा गिरा। 27 मार्च 1968 को मिग-15 ट्रैनिंग जेट हादसे का शिकार हो गया, जिसमें यूरी गैगरिन की मौत हो गयी।