भारंगम का बीसवाँ संस्करण
राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय के तत्वाधान में भारत रंग महोत्सव का आयोजन 1 फरवरी से 21 फरवरी तक हुआ. इस आयोजन में मंचित नाटकों के चयन से लेकर दर्शकों की कमी, रंगकर्मियों की उदासीनता या उनके प्रति उपेक्षापूर्ण व्यवहार जैसे तमाम विवाद इस बार भी मौजूद रहे. उद्घाटन सत्र में रानावि के कार्यकारी निदेशक श्री सुरेश शर्मा के साथ सुप्रसिद्ध रंगकर्मी व राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय के भूतपूर्व निदेशक श्री रामगोपाल बजाज सहित संस्कृति मंत्री डॉ. महेश शर्मा, सुप्रसिद्ध नृत्यांगना सोनल मानसिंह उपस्थित रहे. ध्यातव्य है कि भारंगम का आयोजन रामगोपाल बजाज के निदेशकीय कार्यकाल में ही सन् 1999 में शुरू हुआ था. उन्होंने अपने संबोधन में रंग-प्रशिक्षण, रंग-संसाधनों के विकास के साथ रंग-संवेदन की आवश्यता पर बल दिया. बीसवें संस्करण में उनकी उपस्थिति को रंगालोचकों ने सराहा. उद्घाटन सत्र में आमोद भट्ट के निर्देशन में रंगकर्मी ब. व. कारंत के रंग-संगीत और जीवन पर केन्द्रित ‘कारंत के रंग’ प्रस्तुति हुई. इस नाट्य-समारोह में हिन्दी के साथ ही प्रादेशिक भारतीय भाषाओं, विदेशी नाटकों और विभिन्न लोक-शैली के नाटकों को सम्मिलित किया गया. भारंगम के समानांतर इस बार डिब्रूगढ़, राँची, वाराणसी, राजकोट, मैसूर शहरों में आयोजन हुआ. महात्मा गाँधी की 150वीं जयन्ती के अवसर पर गांधी-स्मृति केन्द्रित एक विशेष प्रस्तुति-खंड रखा गया जिसमें समीर बिस्वास, देवेन्द्रराज अंकुर, एम्.के रैना, अर्जुन चारणदेव निर्देशित प्रस्तुतियाँ थीं. अहिन्दी भाषी प्रस्तुतियों में प्रदीप भट्टाचार्य के निर्देशन में बांग्ला नाटक ‘जक्शपुरी‘ और देबब्रत पटनायक के निर्देशन में ‘बुक्सी जगबंधू’ काफी सराहे गये.
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